निर्यात : अवसरों की होगी भरमार
हाल ही में 4 मई को गुटनिरपेक्ष देशों के वर्चुअल सम्मेलन को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि कोरोना संकट के समय दुनिया में भारत को मददगार देश माना जा रहा है।
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भारत ने 120 से ज्यादा देशों को दवाइयां निर्यात की हैं। ऐसे में भारत को दुनिया की नई फॉर्मेसी के रूप में देखा जा रहा है। निस्संदेह जहां कोरोना संकट से परेशानियों का सामना कर रहे कई देशों को भारत ने दवाइयों और खाद्य पदाथरे सहित कई वस्तुओं का निर्यात करके उन देशों के उपभोक्ताओं को बड़ी राहत दी है, वहीं भारत के लिए नई निर्यात संभावनाओं को भी यकीनन आगे बढ़ाया है।
गौरतलब है कि पिछले दिनों दो मई को प्रधानमंत्री मोदी ने कोविड-19 के खिलाफ नये वैश्विक मौकों को भारत की ओर आकर्षित करने की रणनीतियों पर चर्चा के लिए एक व्यापक बैठक आयोजित की। इसमें प्रधानमंत्री ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में अफरा-तफरी मची है और चीन में कार्यरत कई देशों की निर्यातक कंपनियां चीन से बाहर निकल कर विकल्प देश की तलाश में हैं। ऐसी कंपनियों को भारत की ओर आकर्षित करने और भारत से निर्यात बढ़ाने के लिए प्लग एंड प्ले मॉडल को साकार करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा रणनीतिक कदम उठाए जाने चाहिए। यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने निवेशकों को आकर्षित करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के ‘प्लग एंड प्ले’ मॉडल को साकार करने के मद्देनजर मोडिफाइड इंडस्ट्रियल इन्फ्रास्ट्रक्चर अपग्रेडेशन स्कीम (एमआईआईयूएस) में बदलाव करने तथा औद्योगिक उत्पादन के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) में गैर-उपयोगी खाली पड़ी जमीन का इस्तेमाल करने के संकेत दिए हैं। प्लग एंड प्ले व्यवस्था में कंपनियों को सभी इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार मिलता है और उद्योग सीधे उत्पादन शुरू कर सकता है। इसी तरह सरकार सेज में खाली पड़ी करीब तेइस हजार हेक्टेयर से अधिक जमीन का इस्तेमाल नये उद्योगों के लिए शीघ्रतापूर्वक कर सकती है। सेज में सभी बुनियादी ढांचा सुविधाएं मसलन, बिजली, पानी और सड़क जैसी सुविधाएं मौजूद हैं। चूंकि इस समय दुनिया में दवाओं सहित कृषि, प्रोसेस्ड फूड, गारमेंट्स, जेम्स एंड ज्वैलरी, लेदर एंड लेदर प्रोडक्टस, कारपेट और इंजीनियरिंग प्रोडक्ट्स जैसी कई वस्तुओं के निर्यात की अच्छी संभावनाएं हैं, अतएव ऐसे निर्यात क्षेत्रों के लिए सरकार के रणनीतिक प्रयत्न लाभप्रद होंगे। इसमें कोई दो मत नहीं है कि भारतीय फार्मा उद्योग पूरी दुनिया में अहमियत रखता है। भारत अकेला ऐसा देश है जिसके पास यूएसएफडीए के मानकों के अनुरूप अमेरिका से बाहर सबसे अधिक संख्या में दवा बनाने के प्लांट हैं। ऐसे में पिछले वर्ष 2019-20 में भारत से 21.98 लाख करोड़ रु पये मूल्य की वस्तुओं का निर्यात किया गया था। अब नये परिदृश्य में भारत से अधिक निर्यात बढ़ाकर निर्यात मूल्य को ऊंचाई पर ले जाने की संभावनाएं हैं।
इन दिनों कोरोना संकट की चुनौतियों के बीच राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न रिपोटरे में यह बात उभर कर सामने आ रही है कि भारत रणनीतिपूर्वक कई वस्तुओं का उत्पादन और निर्यात बढ़ा कर दुनिया के उपभोक्ताओं को राहत दे सकता है तथा नई निर्यात संभावनाओं को साकार कर सकता है। यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि अमेरिका सहित दुनिया के कई देशों में चीन के साथ कारोबार करने को लेकर नकारात्मक वातावरण बना है जबकि दुनिया भर में भारत की कारोबारी छवि मजबूत हुई है। ऐसी अनुकूल कारोबारी स्थिति का भारत द्वारा शीघ्रतापूर्वक लाभ लिया जा सकता है। स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि चीन की अर्थव्यवस्था अभी पूरी तरह से कोरोना संकट से मुक्त नहीं हो पाई है। चीन के उद्योग अपनी पूरी क्षमता से उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं। चीन से निर्यात घट गए हैं। ऐसे में भारत निर्यात के नये मौकों को मुट्ठी में करने के लिए रणनीतिक कदम उठा रहा है। मार्च, 2020 की शुरु आत में भारत ने निर्णय लिया कि चीन से दवाई उत्पादन के लिए आने वाले आयातित कच्चे माल का देश में ही उत्पादन शुरू किया जाए। इसके लिए सरकार ने 2000 करोड़ रु पये खर्च करने की योजना बनाई है। ऐसे में एक ओर सरकार द्वारा निर्यातकों की उन सभी मुश्किलों को दूर करना होगा जिनका वे वर्तमान समय में सामना कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सरकार द्वारा नये निर्यात प्रोत्साहन देकर निर्यातकों का सहारा बनना होगा। यदि हम इस समय निर्यातकों की ओर देखें तो पाते हैं कि निर्यात उद्योग से संबंधित कई फैक्ट्रियां बंद हैं। भारत में निर्यातकों के संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट्र्स ऑर्गेनाइजेशन (फियो) का कहना है कि देश के निर्यात क्षेत्र की नौकरियां बचाना भी मुश्किल भरा काम हो गया है। अमेरिका, यूरोप सहित कई देशों के बड़े ग्राहकों की ओर से दिए गए विदेशी ऑर्डर रद्द किए जा रहे हैं।
स्थिति यह है कि मई और जून, 2020 की अवधि निर्यातकों के लिए महत्त्वपूर्ण है। यदि इन महीनों में भारत निर्यात के लिए उपयुक्त उत्पादन नहीं करता है तो वह 2020 के पूरे वर्ष के लिए विदेशी खरीदारों की योजना से बाहर हो जाएगा। इसलिए सरकार द्वारा देश के निर्यात क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया जाना जरूरी है। साथ ही, इस क्षेत्र द्वारा जिस राहत पैकेज की अपेक्षा की जा रही है, उसके लिए सरकार द्वारा शीघ्रतापूर्वक कदम उठाए जाने जरूरी हैं।
उम्मीद करें कि प्रधानमंत्री मोदी ने कोविड-19 के खिलाफ अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने और देश से निर्यात बढ़ाने के लिए जो प्लग एंड प्ले मॉडल प्रस्तुत किया है, उससे चीन से बाहर निकलते हुए निर्यात मौकों को भारत अपनी मुट्ठी में लेते हुए दिखाई दे सकेगा। उम्मीद करें कि सरकार द्वारा देश की निर्यातक इकाइयों को प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में अधिक प्रोत्साहन दिए जाएंगे। इससे निश्चित रूप से देश की निर्यातक इकाइयां सुविधापूवर्क उत्पादन करके निर्यात बाजार में तेजी से आगे बढें़गी। उम्मीद करें कि वर्ष 2020 में कोविड-19 की चुनौतियों के बीच भी वैश्विक निर्यात में भारत तेजी से आगे बढ़ेगा और दुनिया में अग्रणी निर्यातक देश के रूप में नई पहचान बनाते हुए दिखाई दे सकेगा।
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