सीपीसीबी : निर्देश का सख्ती से पालन हो

Last Updated 16 Apr 2020 03:15:23 AM IST

केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने हाल में कोरोना वायरस महामारी को लेकर अस्पतालों में बनाए गए कोविड-19 आइसोलेशन वार्ड और केंद्रों से निकलने वाले कचरे के प्रबंधन/निस्तारण को आवश्यक सेवा का हिस्सा बना दिया।


सीपीसीबी : निर्देश का सख्ती से पालन हो

दरअसल, इससे पहले सीपीसीबी ने कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए सभी स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों को एक दिशा-निर्देश जारी किया था जिसमें आइसोलेशन वाडरे से निकले कचरे के प्रबंधन/निपटान से जुड़े सामान्य बायो-मेडिकल कचरा उपचार एवं निपटान (सीबीडब्ल्यूटीएफ) में एहतियात बरतने को कहा था। इसके लिए गाइडलाइंस भी जारी की थी।
हालांकि, गाइडलाइंस जारी किए जाने के बाद भी बोर्ड को बायो-मेडिकल कचरे के निपटारे में कुछ दिक्कतें आने की सूचना मिली थी यानी उसके निर्देश का ठीक से पालन नहीं हो रहा था। ऐसे में सीपीसीबी को अस्पतालों के कोविड-19 आइसोलेशन वार्ड, आइसोलेशन केंद्रों आदि से बायो-मेडिकल कचरे को एकत्र करने, उसके परिवहन, उपचार आदि में शामिल सीबीडब्ल्यूटीएफ के कर्मचारी और सीबीडब्ल्यूटीएफ की सेवाओं को स्वास्थ्य सुविधाओं से जुड़ी आवश्यक सेवा बनाने के लिए विवश होना पड़ा। दरअसल, देश के तमाम सरकारी और निजी अस्पतालों से बायो-मेडिकल कचरे के निस्तारण की अलग से व्यवस्था है। बावजूद कई अस्पताल ऐसे भी रहे हैं जो इसका पालन नहीं कर रहे थे। ऐसे में कोरोना वायरस से जुड़े चिकित्सा कचरे के निस्तारण को लेकर सीपीसीबी की चिंता बढ़नी स्वाभाविक थी। हमें समझना होगा कि सीपीसीबी ने कोई सतही निर्देश जारी नहीं किए हैं, बल्कि कोविड-19 से जुड़े कचरा प्रबंधन पर स्वास्थ्य मंत्रालय के संबंधित अधिकारियों, विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के अध्ययन के आधार पर कठोर दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

दरअसल, हमें कोरोना वायरस की गंभीरता को समझना होगा। यह संक्रामक वायरस है। बहुत खतरनाक है। संक्रामक व्यक्ति के संपर्क में आने या उसके द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सामान के संपर्क में आने से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। आइसोलेशन वाडरे में जिन लोगों को रखा जाता है वे या तो कोरोना वायरस से संक्रमित होते हैं, या उनमें संक्रमण होने का खतरा होता है। ऐसे में आइसोलेशन वार्ड में रखे गए व्यक्ति के सामान के संपर्क में आने से भी किसी व्यक्ति में कोरोना वायरस फैलने का खतरा बना रहता है। दरअसल, संक्रमित द्वारा इस्तेमाल की गई वस्तुओं के संपर्क में आना उतना ही खतरनाक है, जितना एक संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आना। कोरोना का एक भी वायरस लाखों लोगों को संक्रमित करने की क्षमता रखता है। दुर्घटना से बचने के लिए सावधानी बरतनी पड़ेगी। ऐसे में सीपीसीबी द्वारा जारी दिशा-निर्देश एहतियाती कदम था, जिस पर सख्ती से अमल होना चाहिए था। 
दरअसल, सीपीसीबी ने स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों को आइसोलेशन वाडरे में अलग रंग के कूड़ेदान रखने के निर्देश दिए थे ताकि बायो-मेडिकल कचरा (बीएमडब्लू) प्रबंधन नियमों-2016 और सीपीसीबी नियमों के अनुसार कचरे को समुचित तरीके से अलग किया जा सके। साथ ही कोविड-19 वाडरे से निकले कचरे वाले बैग पर ‘कोविड-19 कचरा’ का लेबल लगाने के निर्देश दिए गए थे जिससे कॉमन बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फेसिलिटी को इसकी पहचान करने में मदद मिलती। प्राथमिकता के आधार पर कचरे को आसानी से निस्तारित किया जा सकता। पूर्व में कई बार देखा गया है कि सीपीसीबी के निर्देशों को संस्थानों ने हल्के में लिया है। उस पर अमल करने में लापरवाही बरती है। हालांकि जन स्वास्थ्य से जुड़े इस मामले में लापरवाही होती है, तो इसका भयानक दुष्परिणाम हो सकता है। इतना ही नहीं सीपीसीबी ने कोविड-19 आइसोलेशन वाडरे में कचरे के लिए अलग ट्रॉलियों का इस्तेमाल करने और उन पर ‘कोविड-19 कचरा’ का लेबल गाने का भी निर्देश दिया था। हमें समझना होगा कि कोरोना वायरस पर तब तक पूरी तरह से जीत हासिल नहीं की जा सकती जब तक हम पूरी तरह से एहतियात नहीं बरतेंगे। सरकार या संबंधित एजेंसियों के दिशा-निर्देशों का अक्षरश: पालन नहीं करेंगे। यह ऐसी लड़ाई है जिसमें 100 प्रतिशत परिणाम लाने ही होंगे। इसमें 99 प्रतिशत या 99.9 प्रतिशत से काम नहीं चलने वाला। थोड़ी-सी लापरवाही या चूक से कोई भी व्यक्ति कोराना वायरस की चपेट में आ सकता है और उसकी जान सांसत में फंस सकती है। ऐसे में आइसोलेशन वार्ड के कचरे का निस्तारण करने वाले स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को भी चाहिए कि पूरी सर्तकता बरतें।

चंदन कुमार चौधरी


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