मुद्दा : सरकार और गांव में संवाद जरूरी

Last Updated 13 Apr 2020 12:52:47 AM IST

सत्ता के ऊपरी तल और सबसे निचली ईकाई के बीच संवाद कोरोना से लड़ने में बड़ा हथियार साबित हो रहा है।


मुद्दा : सरकार और गांव में संवाद जरूरी

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार ग्राम पंचायत स्तर पर सीधे संवाद कर और कोरोना से जागरूकता लाने के लिए गांव के लोगों को तैयार करने में अभी तक सफल रही है।
लखनऊ स्थित मुख्यमंत्री हेल्पलाइन-1076 अब तक प्रदेश के सभी ग्राम प्रधानों से दो बार संपर्क कर चुका है और इस दौरान 70 हजार के करीब शिकायतों को निस्तारित भी किया गया। स्थानीय नगर निकायों में नगर निगमों, नगर पालिका परिषदों व नगर पंचायतों के सभी सभासदों से भी लखनऊ कंट्रोल रूम का संवाद हो चुका है।

उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में जिस तरह सरकार सबसे निचली इकाई तक इस संवाद के साथ पहुत्च रही है, उसका नतीजा गांव में कोरोना को लेकर जागरूकता के रूप में दिख रहा है। लोग खुद ही बाहर से आने वालों को रोक रहे हैं, उन्हें मेडिकल चेकअप कराने को कह रहे हैं। मुख्यमंत्री हेल्पलाइन के इस कंट्रोल रूम द्वारा कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम व प्रबंधन की फील्ड में की जा रही कार्रवाई का फीडबैक प्राप्त करने व संक्रमण से संदिग्ध लोगों की पहचान व उनके इलाज को लेकर जरूरी सलाह व निर्देश देकर मदद की जा रही है। सीएम हेल्पलाइन पर प्रधानों द्वारा संक्रमण से प्रभावित परिवारों व मरीजों की ओर से आने वाले फोन पर हो रहे संवाद का विश्लेषण भी किया जा रहा है। इसके आधार पर एक स्टैंर्डड ऑपरेटिंग प्रोसीजर तैयार हुआ है, जिससे ये जाना जा रहा है कि प्रदेश भर में देश के विभिन्न हिस्सों से लौटे लोग किस तरह संक्रमित हुए?

इसके परिणामस्वरूप जांच व इलाज की जरूरत समझने में अधिक आसानी होगी। ऐसे समय जब कोरोना वायरस के कारण लॉक-डाउन हुए उत्तर प्रदेश में एक बड़ी आबादी घरों में सिमट गई है, उस समय आम जनजीवन को सुगम बनाने के लिए प्रदेश सरकार अपने तकनीकी संसाधनों द्वारा लगातार प्रयासरत है। कोरोना महामारी की किसी भी स्थिति से निपटने के लिए राज्य सरकार ने सभी जिलों में कंट्रोल रूम स्थापित किए हैं। इन कंट्रोल रूम द्वारा कोरोना वायरस से बचाव, रोकथाम एवं नियंत्रण से संबंधित सूचनाओं को जिला स्तर पर प्राप्त कर उनका संकलन करके निश्चित समय के अंदर बड़े अधिकारियों को वास्तविक स्थितियों से अवगत कराया जा रहा है।

राज्य के बड़े अधिकारी इन जानकारियों और तकनीकी को अब ग्राम प्रधानों को भी समझा और बता रहे हैं। जब उत्तर प्रदेश सरकार के राजस्व विभाग की विस्तृत भूमि प्रबंधन प्रणाली ‘डिजिटल लैंड’ को केन्द्र सरकार के प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग ने एक्सिलेंस इन गवर्नमेंट प्रोसेस रिइंजीनियरिंग फॉर डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के तहत कैटेगरी-1 के लिए गोल्ड मेडल दिया था, तब किसी ने सोचा भी ना होगा कि पेपरलेस हो चुका मुख्यमंत्री कार्यालय और ई-गवन्रेस की ओर तेजी से बढ़ रही उत्तर प्रदेश सरकार अपनी इसी ई-गवन्रेस की जनसेवा को संकटकाल में जनसुरक्षा का भी माध्यम बना लेगी।

इस कंट्रोल रूम के जरिये लोगों को क्वारंटीन वार्ड, इंस्टीट्यूशनल क्वारंटीन, आइसोलेशन वार्ड और लेवल-1, 2 व 3 के कोविड अस्पतालों के बारे में बताया जा रहा है। इसके अतिरिक्त इंटीग्रेटेड राहत पोर्टल व कोविड-19 मोबाइल एप और सिंगल लाइन से 12 लाइन विस्तारित क्षमता वाले टोल फ्री नंबर 1070 की शुरु आत भी रिकॉर्ड समय के भीतर हो गई। उत्तर प्रदेश सरकार ने अन्य राज्यों में भी फंसे अपने नागरिकों की सहायता के लिए हफ्ते के सात दिन और 24 घंटे चालू रहने वाला एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया, जिस पर संपर्क कर के लोग कोरोना वायरस के संकट के बीच मदद प्राप्त कर सकते हैं।

तकनीकी सेवाएं किस तरह लॉक-डाउन के दौरान भी उत्तर प्रदेश सरकार को हर जरूरतमंद तक पहुंचा रही है, उसकी बानगी देखना हो, तो हमें योगी आदित्यनाथ द्वारा प्रदेश के 86.71 लाख वृद्ध एवं विधवा महिलाओं, दिव्यांगों और अशक्तों को 871 करोड़ रु पये की मदद को देखना होगा। सरकार सोशल मीडिया पर मुस्तैद है, डिलीवरी सिस्टम में भी हर दिन के साथ सुधार हो रहा है, प्रशासन भी व्हाट्सएप नम्बरों पर सुनवाई कर रहा है और सरकार सिर्फ  शहरों तक सीमित ना होकर गांव के हर दरवाजे तक पहुंच चुकी है; तब मेरी एक सलाह है कि कोरोना वायरस को ट्रैक करने के लिए फेस रिकॉग्निशन सिस्टम का इस्तेमाल उत्तर प्रदेश में भी होना चाहिए। इस सिस्टम से योगी आदित्यनाथ और उनकी सरकार कोरोना से लड़ी जाने वाली इस लड़ाई को और बेहतर तरीके से लड़ पाएगी।

रुद्र प्रताप दुबे


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