सरोकार : महिलाओं का प्रजनन स्वास्थ्य और कोरोना संकट
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना के हाहाकार के बीच गर्भपात को अनिवार्य स्वास्थ्य सेवा घोषित करने का अनुरोध किया है।
सरोकार : महिलाओं का प्रजनन स्वास्थ्य और कोरोना संकट |
संगठन ने सभी सरकारों से कहा है कि वे जिन भी सेवाओं को अनिवार्य मानती हैं, उन्हें चिह्नित करके वरीयता दें। इनमें प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं को महत्त्वपूर्ण माना जाना चाहिए।
भले ही कोविड 19 का प्रकोप कायम है, फिर भी गर्भनिरोधकों और सुरक्षित गर्भपात को नजरंदाज नहीं किया जा सकता। यूरोपीय देशों के लगभग 100 गैर-सरकारी संगठनों ने संयुक्त बयान में कहा है कि लॉक-डाउन के दौरान उन महिलाओं की मदद की जानी चाहिए जो प्रजनन स्वास्थ्य सेवाएं हासिल करना चाहती हैं। पिछले हफ्ते लंदन के मैरी स्टोप्स इंटरनेशनल नामक गैर-सरकारी संगठन ने चेतावनी दी थी कि कोविड-19 के कारण इस साल लगभग 95 लाख महिलाओं और लड़कियों को परिवार नियोजन की सेवाएं उपलब्ध नहीं हो पाएंगी। यह संगठन दुनिया के 37 देशों में गर्भनिरोध और सुरक्षित गर्भपात की सेवाएं मुहैया कराता है। संगठन का कहना है कि यात्रा पर प्रतिबंधों और लॉक-डाउन के चलते महिलाओं पर बुरा असर होगा क्योंकि उन्हें प्रजनन स्वास्थ्य सेवाएं हासिल करने में परेशानी होगी। इंटरनेशनल प्लांड पेरेंटहुड फेडरेशन जैसे अंतरराष्ट्रीय एनजीओ के 23 सदस्य संगठनों ने कोविड-19 के कारण गर्भपात सेवाएं कम कर दी हैं। चौसठ देशों में उसके 5,600 क्लिनिक बंद कर दिए गए हैं। गर्भनिरोध के साधन और एचआईवी की दवाओं की भी कमी है यानी विश्व की लाखों महिलाओं और लड़कियों को अपने स्वास्थ्य की देखभाल में मुश्किल होगी।
एक दूसरी परेशानी भी है। जैसा कि एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 21 दिन के लॉकडाउन के चलते अफ्रीकी देशों की महिलाएं बहुत दिक्कत में हैं। यहां से गर्भनिरोध के साधन कई देशों में भेजे जाते हैं। अब सप्लाई बंद है तो अफ्रीका, एशिया और अन्य जगहों की लाखों महिलाओं को प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़ी सामग्री मिलनी बंद हो गई हैं। इस कारण अपने पति और पुरुष मित्रों के साथ घरों तक सीमित हुई औरतों को अवांछित गर्भधारण का सामना करना पड़ रहा है। यह भी सच है कि लॉक-डाउन से तमाम कारखानों का कामकाज ठप पड़ा है। विश्व में गर्भनिरोधक उत्पादों के सबसे बड़े निर्माता कारेक्स ने चिंता जताई है कि सप्लाई चेन टूटने से कंडोम के उत्पादन पर बुरा असर पड़ने वाला है।
विश्व में रबर का सबसे बड़ा उत्पादक मलयेशिया है। रबर कंडोम निर्माण का मुख्य कच्चा माल है। लॉक-डाउन से मलयेशिया से कच्चे माल की आपूर्ति प्रभावित है। नतीजतन, कोरेक्स का कामकाज भी प्रभावित हुआ है। कंपनी का अनुमान है कि मार्च के मध्य से अप्रैल के मध्य तक की रोक के कारण वह पिछले साल के सामान्य उत्पादन के मुकाबले 20 करोड़ कंडोम कम बना पाएगी। यूएन पॉपुलेशन फंड का मानना है कि इससे असुरक्षित गर्भपात, एड्स और संक्रामक यौन बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है। दूसरे, घरों में बंद रहने को मजबूर लोगों में कंडोम की मांग भी काफी बढ़ गई है। भारतीय मीडिया में खबरें आई हैं कि देशव्यापी लॉकडाउन के लागू होने के पहले हफ्ते में ही कंडोम की मांग में 25 से 35 फीसद उछाल दर्ज हुआ है। इन सबका औरतों पर ही सीधा असर होता है।
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