अर्थव्यवस्था : डूबते उद्योग-कारोबार को बचाना जरूरी

Last Updated 10 Apr 2020 02:19:06 AM IST

इन दिनों कोरोना और लॉक-डाउन के कारण देश की अर्थव्यवस्था और देश के उद्योग-कारोबार पर बढ़ते हुए प्रतिकूल प्रभाव के संबंध में एक के बाद एक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक-औद्योगिक संगठनों की रिपोर्ट प्रकाशित हो रही हैं।


अर्थव्यवस्था : डूबते उद्योग-कारोबार को बचाना जरूरी

इन रिपोर्टों में सरकार को विशेष आर्थिक राहत पैकेज देने का सुझाव दिया जा रहा है। हाल ही में भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) और भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंडल (एसोचैम) ने अर्थव्यवस्था को बचाए रखने के लिए सरकार से करीब 15 लाख करोड़ से 22 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज की मांग की है।
इन संगठनों ने सरकार से यह भी कहा है कि अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए और इसमें मांग पैदा करने के लिए आगामी 3 महीनों तक जीएसटी की दरें आधी कर दी जाएं। इन संगठनों ने रिजर्व बैंक से भी मांग की है कि ब्याज दरों में एक फीसद की कटौती और की जाए। इसी तरह भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा प्रकाशित ‘सीईओ स्नैप’ पोल से खुलासा हुआ है कि उद्योग कारोबार के राजस्व में भारी गिरावट आ रही है। रोजगार पर प्रतिकूल असर हो रहा है। स्थिति यह है कि उद्योगों के उत्पादन से वितरण तक सभी चरणों में कदम-कदम पर मुश्किलें दिखाई दे रही हैं। ऐसे में उद्योग-कारोबार को बचाने के लिए सरकार द्वारा विशेष और व्यापक राहत पैकेज जल्दी ही दिया जाना जरूरी है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि चार अप्रैल को देश में कार्यरत विभिन्न क्षेत्रों की पच्चीस बड़ी कंपनियों के सीईओ के बीच कराए गए सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि लॉक-डाउन से भारत का उद्योग-कारोबार चारों ओर से मुश्किलों से घिर गया है। ऐसे में अब तक सरकार द्वारा घोषित आर्थिक पैकेज और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा दी गई बैंकिंग राहत पर्याप्त नहीं है। इसके लिए एक व्यापक राहत पैकेज घोषित किया जाना चाहिए।

गौरतलब है कि इस सर्वेक्षण में भारत के उद्योग और कारोबार जगत के जिन सीईओ ने भाग लिया था, उनका कहना है कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ऋण के भुगतान पर तीन महीने की छूट की अवधि बढ़ाकर कम से कम एक वर्ष की जानी चाहिए। इसके अलावा, कोरोना वायरस के संकट से निपटने के लिए कंपनियों से फिलहाल टैक्स नहीं लिया जाना चाहिए या उनके आयकर पर उपयुक्त कटौती की जानी चाहिए। इस सर्वेक्षण में सीईओ द्वारा यह भी मांग की गई कि सरकार द्वारा देश की जीडीपी में योगदान देने वाले सभी घटकों को जीडीपी के करीब दस प्रतिशत का हिस्सा समग्र आर्थिक पैकेज के रूप में दिया जाना चाहिए।
भारतीय दवा उद्योग, वाहन उद्योग, केमिकल उद्योग, खिलौना कारोबार तथा इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे अनेक क्षेत्र मुश्किलों का सामना करते दिखाई दे रहे हैं और इन क्षेत्रों में रोजगार चुनौतियां बढ़ गई हैं। इतना ही नहीं हम चीन को जिन वस्तुओं का निर्यात करते हैं, वे उद्योग-कारोबार भी कोरोना वायरस के कारण बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। चीन सहित विभिन्न देशों को निर्यात के सौदे रुक गए हैं, जिससे इस क्षेत्र में भी नई रोजगार चुनौतियां उत्पन्न हो गई हैं। न केवल चीन पर आधारित आयात-निर्यात घटा है वरन देश के संपूर्ण आंतरिक उद्योग-कारोबार और विदेश व्यापार में भी कमी आ गई है।
यदि हम अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव का अध्ययन करें तो पाते हैं कि पिछले मार्च महीने में देश में वाहनों की बिक्री में 50 फीसदी की कमी आई। जीएसटी की प्राप्ति में 20 फीसद की गिरावट आई। पेट्रोल और डीजल की खपत में 20 प्रतिशत की कमी आई। बिजली की खपत में भी 30 प्रतिशत की कमी आई। स्थिति यह है कि लॉक-डाउन के कारण आर्थिक गतिविधियों में बड़ा संकुचन आ गया है। देश के कुल कार्यबल में गैर-संगठित क्षेत्र की हिस्सेदारी 90 फीसद है। साथ ही, देश के कुल कार्यबल में 20 फीसद लोग रोजाना मजदूरी प्राप्त करने वाले हैं। इन सबके कारण देश में चारों ओर रोजगार संबंधी चिंताएं और अधिक उभर कर दिखाई दे रही हैं।
स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि लॉक-डाउन के कम होने और नियंत्रण घटने के बाद भी स्थितियों में सुधार धीरे-धीरे ही आएगा। संकुचित हुई अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ने में कोई एक वर्ष का समय भी लग सकता है। निश्चित रूप से बंद पड़ी कंपनियों को दोबारा काम शुरू करने में समय लगेगा। उद्योग-कारोबार के अनुकूल वातावरण के लिए भी लंबा समय लगेगा। रोजगार खोने वाले लोगों के परिवारों की क्रय शक्ति बढ़ने में समय लगेगा। निवेश को बढ़ाने में भी समय लगेगा। बैंकों के ऋण वितरण में रु कावटें दूर करने और सामान्य कार्यप्रणाली बहाल करने में भी समय लगेगा। इन सब के कारण वित्त वर्ष 2020-21 में कई उद्योग-कारोबार और बड़ी कंपनियां अनुभव करते हुए दिखाई देंगे कि यह उनके लिए एक खोया हुआ वर्ष बनकर रह गया है।
हम आशा करें कि जिस तरह अमेरिका, इटली और जापान जैसे देशों ने कोरोना वायरस से प्रभावित कर्मचारियों को बेरोजगारी लाभ देने की योजना बनाई है, उसी तरह भारत सरकार भी वैसी ही योजना बनाएगी।

डा. जयंतीलाल भंडारी


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment