अर्थव्यवस्था : पैकेज और उपाय

Last Updated 09 Apr 2020 03:30:50 AM IST

कोरोना वायरस से प्रभावित दुनिया के करीब 195 देश परेशान हैं। अब तक 30873 लोगों के मरने की खबर है। भारत भी कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित है।


अर्थव्यवस्था : पैकेज और उपाय

पूरा देश लॉक-डाउन में है। उद्योग-धंधे बंद हैं। सेवा क्षेत्र से लेकर कृषि क्षेत्र, व्यवसाय से लेकर रोजगार तक सभी संकट में हैं। अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत की जीडीपी को 2020 के लिए 2.5% बताया है जबकि पहले यह अनुमान 5.3% का था। घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने भी खपत तथा निवेश में कमी के कारण भारत की जीडीपी 3.5% रहने का अनुमान लगाया है। अर्थशास्त्री प्रो. अरुण  कुमार  के मुताबिक, सेवा क्षेत्र तथा उत्पादन क्षेत्र चौपट हैं। मांग तथा उत्पादन समाप्त होने के साथ छंटनी तेजी से हो रही है। असंगठित क्षेत्र की स्थिति और भी भयावह है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बड़ी वैश्विक मंदी की भविष्यवाणी करते हुए कहा है कि भारत इससे  बच नहीं पाएगा। हालांकि कच्चे तेल की कीमतों में कमी तथा फसल उत्पादन में वृद्धि की उम्मीद से कुछ राहत की भी आस है। नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने लॉक-डाउन के चलते प्रथम तिमाही में इसके शून्य की स्थिति में रहने की बात कही है।
     इन्हीं गंभीर परिस्थितियों में अप्रैल के दूसरे सप्ताह में होने वाली आरबीआई मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक कोरोना के प्रभाव के कारण पहले ही आयोजित की गई तथा 27 मार्च को आरबीआई गवर्नर को मध्यम वर्ग  को राहत देने वाली घोषणाएं करनी पड़ीं। उन्होंने सभी  बैंकों को घर, वाहन, पर्सनल लोन सहित सभी प्रकार के टर्म लोन की ईएमआई तथा क्रेडिट कार्ड बिल की वसूली तीन माह तक रोकने के लिए अधिकृत किया है। रेपो रेट में 0.75% की कटौती की गई है। रेपो रेट अब 4.4% हो गई है। बैंक इसका पूरा लाभ दें तो ईएमआई भी घटेगा। रिवर्स रेपो रेट में भी 0.9% की कमी की गई है। बैंकों के कैश-रिजर्व रेश्यो को भी घटा दिया गया है जिससे बैंकिंग व्यवस्था में 1.37 लाख करोड़ रुपये आएंगे। आरबीआई के सभी फैसलों से 3.74 लाख करोड़ रुपये का प्रवाह बढ़ने की उम्मीद है। वैसे ईएमआई घटाने पर आरबीआई गवर्नर ने बैंकों को सीधा आदेश नहीं दिया है परंतु आरबीआई के निर्देश तथा प्रधानमंत्री के मजबूत समर्थन के चलते बैंकों को इस पर शीघ्र अमल करना ही होगा।
     लॉक-डाउन से गरीबों की बढ़ती तबाही पर उठते सवालों के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक लाख सत्तर हजार करोड़ रुपये के राहत पैकेज का ऐलान किया है। पैकेज में स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाले स्वास्थ्य योद्धाओं, गरीबों, मनरेगा मजदूरों, किसानों, वृद्ध, विधवा, दिव्यांगों, जन-धन योजना, उज्ज्वला योजना तथा स्वयं सहायता समूह की महिलाओं, संगठित तथा निर्माण क्षेत्र के मजदूरों के लिए राहतों की घोषणा की गई हैं। वित्त मंत्री ने कहा है कि हम किसी को भूखों नहीं मरने देंगे। लॉक-डाउन के बाद मानवीय सेवा को लेकर सरकार सक्रिय है। सरकार कोरोना वायरस से मुक्ति के लिए केंद्र तथा राज्यों के अस्पतालों में सेवा में लगे स्वास्थ्य योद्धा डॉक्टर, नर्स, आशा कार्यकर्ता, सफाईकर्मी, टेक्नीशियन इत्यादि को 50 लाख रुपये की स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ देगी। इससे 20 लाख कर्मचारियों को लाभ मिलेगा। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत राशन कार्ड वाले 80 करोड़ गरीबों को तीन माह तक 5 किलो चावल या गेहूं के साथ एक किलो दाल जनवितरण प्रणाली से मुफ्त मिलेगी। मनरेगा मजदूरों की दिहाड़ी 20 रुपये बढ़ाई गई है, जो 182 से बढ़कर 202 रुपये हो जाएगी। इससे 5 करोड़ परिवार लाभान्वित होंगे। किसानों को पीएम किसान योजना के तहत मिलने वाली राशि की प्रथम किश्त की दो हजार रुपये की राशि किसानों के खातों में भेजी जा रही है। इससे 8 करोड़ 70 लाख किसानों को लाभ मिलेगा। हालांकि मनरेगा मजदूरी में वृद्धि मुद्रास्फीति के कारण होनी ही थी तथा किसानों को देय किस्त भी पूर्व  निर्धारित ही है। कुछ नया नहीं है। वृद्ध, दिव्यांग तथा विधवाओं को डीबीटी के माध्यम से अतिरिक्त 1 हजार रुपये तीन माह में दो किश्तों में दिए जाएंगे। प्रधानमंत्री जन-धन योजना से जुड़ी खाताधारी महिलाओं को 5 सौ रुपये तीन माह तक उनके खातों में भेजे जाएंगे। इससे 20 करोड़ महिलाओं को लाभ मिलेगा। उज्ज्वला योजना के तहत जिन गरीब परिवारों को मुफ्त कनेक्शन मिला हुआ है, उन्हें अगले तीन माह तक मुफ्त गैस सिलेंडर मिलेंगे। गरीबी रेखा से नीचे जीने वाले 8.3 करोड़ परिवारों की  महिलाओं को यह लाभ मिलेगा। स्वयं सहायता समूहों के 63 लाख समूूूहों को गारंटीमुक्त ऋण की सीमा 10 से बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दी गई है। इससे 7 करोड़ परिवार लाभान्वित होंगे। संगठित क्षेत्र, जहां सौ से कम मजदूर काम करते हैं और जिनका वेतन पंद्रह हजार रुपये से कम है, के मजदूरों के प्रोविडेंट फंड में कर्मचारी तथा नियोक्ता का अंशदान तीन माह तक सरकार देगी जो 12% कर्मचारी तथा 12% नियोक्ता द्वारा देय होता है। लॉक-डाउन में जिनके व्यवसाय बंद होंगे, वे भी इस दायरे में आएंगे। पीएफ फंड एक्ट में संशोधन किया जाएगा तथा जमा रकम का 75% या तीन माह का वेतन, जो भी कम होगा, भी कर्मचारी  निकाल सकेंगे। अस्सी लाख कर्मचारियों तथा चार लाख से अधिक संस्थानों को इसका लाभ मिलेगा। अब जरूरी है कि इन घोषणाओं पर त्वरित कार्रवाई हो।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 24 मार्च  को आम जन तथा  उद्योग जगत के लिए भी राहत का ऐलान किया था जिसमें तीन माह तक किसी भी एटीएम से पैसा निकालने पर शुल्क नहीं लगेगा। खाते में न्यूनतम राशि रहना अब अनिवार्य नहीं होगा। आईटीआर रिटर्न 30 जून तक भरा जाएगा। मार्च, अप्रैल तथा मई के जीएसटी रिटर्न की तिथि 30 जून तक बढ़ाई गई है। टीडीएस भुगतान में विलंब पर 18% ब्याज घटा कर 9% कर दिया गया है। विवाद से विास स्कीम की तारीख 30 जून तक बढ़ा दी गई है। पांच करोड़ से कम टर्नओवर वाली कंपनियों को विलंब से जीएसटी फाइल करने पर कोई जुर्माना या ब्याज नहीं देना होगा। कस्टम क्लीयरेंस 30 जून तक 24 घंटे सेवा देगी। राज्य सरकारों ने भी अपने-अपने ढंग से राहतों का ऐलान किया है। कोरोना वायरस की स्थिति गंभीर बनी हुई है। वेरोजगारी, खेती की तबाही, उद्योग-व्यवसाय व सेवा क्षेत्र की बंदी से चौतरफा व्याप्त संकट से उबरने के लिए सरकार को पैकेज पर निर्णय लेना ही होगा जो उत्पादन और मांग बढ़ाए तथा कोरोना संक्रमण समाप्त होने के बाद इकॉनमी को पटरी पर ला सके।

प्रो. आनंद किशोर


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