सामयिक : मिसाल पेश कर रहा भारत

Last Updated 07 Apr 2020 12:56:50 AM IST

हम अपने देश की अंत:शक्ति, समस्याओं से लड़ने की क्षमता आदि को लेकर हमेशा नकारात्मक भाव से भरे रहते हैं।


सामयिक : मिसाल पेश कर रहा भारत

कोरोना वायरस के कोविड-19 प्रकोप के दौरान भी एक वर्ग का आचरण ऐसा ही है। किंतु इसके परे समग्र स्थिति पर नजर दौड़ाइए तो आपको सकारात्मक, उम्मीद भरा, विजयी भाव से भरी तस्वीर भी नजर आएगी। यह स्वीकारने में समस्या नहीं है कि विश्व समुदाय को इस तरह के भयावह महामारी के प्रकोप की कल्पना नहीं थी।
पहली तस्वीर में ऐसा लग रहा है जैसे दुनिया के नियंत्रण से कोरोना परिवार का कोविड-19 वायरस बाहर जा रहा है। हर दिन संक्रमितों और मृतकों की संख्या में हो रहा इजाफा एक-एक व्यक्ति को भयाक्रांत किए हुए है। संक्रमितों की संख्या 14 लाख पार करने वाली है तथा 69 हजार से ज्यादा लोगों की जान इस महामारी ने ले ली है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप स्वयं दो लाख नागरिकों की जान जाने की आशंका व्यक्त कर चुके हैं। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने, जो खुद कोरोना की गिरफ्त में हैं, देश भर को भेजे जा रहे तीन करोड़ पत्र में कहा है कि स्थिति सुधरने से पहले काफी बदतर हो सकती है। इटली के प्रधानमंत्री ग्यूसेप्पे कांटे ने तो हथियार डाल दिया है। उन्होंने कहा है कि चीजें हमारे नियंत्रण में नहीं हैं। हमारी समस्त शक्तियां खर्च हो चुकीं हैं। इससे जरा भारत की तुलना करिए।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को तीन बार सीधे संबोधित किया है, ‘मन की बात’ की है। इसके अलावा वो मुख्यमंत्रियों, गृह सचिवों, कैबिनेट सचिवों, स्वास्थ्यकर्मिंयों, समाजसेवियों, धार्मिंक नेताओं, कॉरेपारेट, भाजपा पदाधिकारियों, रेडियो जॉकी, मीडिया संस्थानों के प्रतिनिधियों, भारत के विदेशी दूतावासों-उच्चायोगों में कार्यरत राजदूतों से संवाद कर चुके हैं। किसी में भी एक बार आपको निराशा का भाव नहीं मिलेगा। सबमें सबसे सहयोग करने, लोगों को जागृत करने, कमजोर और वंचितों की सेवा करने, आदि की ही बात की। अपने राजनियकों से विदेशों में फंसे भारतीयों को मदद करने तथा दूसरे देशों के लिए हम जो कर सकते हैं करने के लिए किया। यह भारत ही है, जिसकी पहल पर पहले सार्क के नेताओं की वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरीय बातचीत हुई; कुछ ठोस निर्णय लिया गया। मोदी की ही पहल पर सऊदी अरब के युवराज ने जी-20 की वीडियो माध्यम से कॉन्फ्रेंस आयोजित की, जिसमें सभी देशों के नेता शामिल हुए। उसमें भी भारत ने कोरोना से संघर्ष करने, मानव कल्याण पर काम पर बात की। जरा दूसरे दृश्य देखिए। प्रधानमंत्री ने ‘पीएम केयर्स फंड’ की स्थापना कर दान की अपील की। ऐसा लग रहा है मानो भारत चारों ओर दानवीरों से भरा पड़ा है। हर कॉरपोरेट घराना जितनी मात्रा में दान दे रहा है, उसकी कल्पना शायद ही किसी ने की हो। इतनी बड़ी-बड़ी राशि के दान का इतिहास आजाद भारत में नहीं रहा है। दो चार घराने तो कर देते थे, लेकिन इस बार सब एक से आगे बढ़कर ज्यादा राशि लेकर सामने आ रहे हैं। केवल कॉरपोरेट ही नहीं, फिल्मी हस्तियों, दूसरे आइकॉन, अन्य पेशेवर लोग भी क्षमता के अनुसार दान दे रहे हैं। संपन्न और नामी गिरामी लोगों के अलावा आम आदमी भी उतनी ही संख्या में आगे आ रहे हैं। कोई अपने पूरे वर्ष का पेंशन दान कर रहा है, तो कोई तीर्थयात्रा के लिए बचाए धन तो किसी ने हजयात्रा के लिए जमा पूरा धन दान में दे दिया।
मीडिया के लोग भी दान देकर दूसरों से ऐसा करने की सोशल मीडिया पर अपील कर रहे हैं। प्रधानमंत्री की दान अपील देश के लिए अभियान  बन गया है। जैसा हम जानते हैं मुख्य चुनौतियां तीन हैं-संक्रमण के विस्तार को रोकना, जो संक्रमित हो गए उनको ठीक करना तथा वो दोबारा संक्रमित न हों इसकी व्यवस्था करना। इसके बाद स्थान है, भविष्य में संक्रमण न हो इसके लिए टीका विकसित करने का। टीका के क्षेत्र में प्रगति हुई है, लेकिन उसकी आम उपलब्धता में एक वर्ष तक का समय लग सकता है। शेष तीन चुनौतियों को देखें तो हम अभी तक विदेशी जांच किट का उपयोग कर रहे थे। अब हमारे सामने टेस्ट किट विकसित करने के कई समाचार हैं। भारत के डॉक्टरों और वैज्ञानिकों ने इस दिशा में स्वयं के संसाधन में ऐतिहासिक प्रगति की है। उदाहरण के लिए माई लैब विकसित एक किट 100 लोगों का टेस्ट कर सकती है। इस पर खर्च 1200 है जबकि विदेश से आने वाले पर 4500। वह छह से सात घंटों में रिपोर्ट देती है, जबकि इससे दो से ढाई घंटे में।
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के चार महिला वैज्ञानिकों की टीम ने ऐसी किट विकसित की है जो एक घंटे में ही रिपोर्ट दे देगी और इस पर खर्च काफी कम आएगा। कोशिकीय एवं आणविक जीव विज्ञान केंद्र के निदेशक डॉ. राकेश मिश्रा ने कहा कि शीघ्र ही हमारे पास कई किट होंगे जो 400-500 रुपये में जांच करके तुरत रिपोर्ट दे देंगे। तो यह है इस देश की अंत:शक्ति। महिंद्रा कंपनी ने दूसरे के साथ मिलकर वेंटिलेटर का निर्माण शुरू किया एवं आपूर्ति शुरू होने वाली है। अनेक डॉक्टर और नर्स जो दूसरे पेशे में चले गए थे; लॉक-डाउन के बाद आकर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।  प्रधानमंत्री के लॉक-डाउन को देखें तो सभी राज्य सरकारों ने उसे सफल करने में जी-जान लगा दिया है। अपवादों को छोड़ दें तो पक्ष एवं विपक्ष का भेद मिट रहा है। जैसा प्रधानमंत्री ने कहा था हमें संकल्प और संयम की आवश्यकता है।
बहुसंख्य भारतवासी इसे प्रदर्शित कर रहे हैं। 22 मार्च एवं पांच अप्रैल के कार्यक्रमों में सम्पूर्ण देश की उत्साहजनक भागीदारी ने अद्भुत आशा की तस्वीर पैदा की है।  यही वह शक्ति है, जिससे उम्मीद पैदा होती है कि हम दुनिया के विकसित देशों से बेहतर स्थिति में होंगे, अपने को बचा लेंगें एवं विजय भी पाएंगे। अगर हमारे देश के कुछ नासमझ लोगों का समूह विदेशी धार्मिंक यात्राओं से लौटकर क्वारंटाइन की जगह घरों में जाकर संक्रमण नहीं फैलाता तथा तब्लीग जमात जैसे संगठन मजहबी सम्मेलन आयोजित नहीं करते तो इतने संक्रमण और मौतें भी नहीं होतीं। लेकिन इस नकारात्मक पक्ष के अलावा दान करने वालों की कतारें, गरीबों, वंचितों को खाना-पानी उपलब्ध कराने के लिए निकले समूहों, लोगों का आम अनुशासन, डॉक्टरों-वैज्ञानिकों का जज्बा आदि इस बात का प्रमाण है कि कोरोना संकट में पूरा देश साथ खड़ा है। यही हमारी अंत:शक्ति है जो विश्वास पैदा करती है कि चाहे संकट कैसा भी हो, चुनौतियां जैसी भी हों, समस्या कितनी भी विकट हो, भारत उससे पार पा ही लेगा।

अवधेश कुमार


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