अर्थव्यवस्था : संभावनाओं से लबरेज भारत

Last Updated 25 Feb 2020 04:43:35 AM IST

यद्यपि एक ओर भारतीय अर्थव्यवस्था पर वैश्विक आर्थिक सुस्ती और कोरोना प्रकोप का संकट दिखाई दे रहा है, लेकिन दूसरी ओर दुनिया के कई प्रमुख आर्थिक संगठनों की रिपोटरे में भारतीय अर्थव्यवस्था के आगे बढ़ने की संभावनाएं पेश की जा रही हैं।


अर्थव्यवस्था : संभावनाओं से लबरेज भारत

कहा जा रहा है कि आर्थिक सुस्ती के बाद भी बीते वर्ष 2019 में चुनौतियों के बीच भी भारतीय अर्थव्यवस्था दूसरी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में आगे बढ़ी है। ऐसे में इस वर्ष 2020 में भी उपयुक्त रणनीतिक कदमों के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था आगे बढ़ने की संभावनाएं रखती है। 
गौरतलब है कि हाल में 18 फरवरी को प्रसिद्ध अमेरिकी थिंक टैंक र्वल्ड पॉपुलेशन रिव्यू द्वारा प्रकाशित दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं की रैंकिंग रिपोर्ट-2019 के अनुसार भारत 209 लाख करोड़ रुपये सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की ऊंचाई को छूते हुए ब्रिटेन और फ्रांस को पीछे छोड़कर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में सर्विस सेक्टर का 60 फीसदी योगदान हो गया है। अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी क्रमश: पहले से चौथे क्रम की अर्थव्यवस्थाओं के रूप में चिह्नित किए गए हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के आगे बढ़ने में तेजी से बढ़ते भारतीय बाजार की भी अहम भूमिका है। हाल में प्रकाशित विश्व विख्यात संगठन ग्लोबल कंसल्टेंसी फर्म के प्राइस वॉटरहाउस कूपर्स (पीडब्ल्यूसी) सर्वे के अनुसार भारत दुनिया का चौथा सबसे चमकीला बाजार बन गया है, और 2020 में भारत के दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की संभावनाएं दिखाई दे रही हैं। ऐसे में बढ़ते हुए भारतीय बाजार पर दुनिया की निगाहें लगी हैं।

चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 के अप्रैल से नवम्बर माह के दौरान भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 24.4 अरब डॉलर प्राप्त हुआ जो पिछले वित्तीय वर्ष की इसी समान अवधि में 21.1 अरब डॉलर था। इसी तरह से चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 की अप्रैल से नवम्बर की अवधि में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश की मद में 12.6 अरब डॉलर की रकम आई जो पिछले वित्तीय वर्ष की इसी समान अवधि में 8.7 अरब डॉलर थी। इसमें कोई दोमत नहीं है कि इस समय भारतीय बाजार में नवाचार, कारोबार सुधार, उत्पादन और सर्विस क्षेत्र में सुधार की उभरती हुई प्रवृत्ति रेखांकित हो रही है। पिछले दिनों 4 एवं 5 फरवरी को प्रकाशित भारत के मैन्युफैक्चरिंग का हाल बताने वाले परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स और सेवा क्षेत्र की गतिविधियों का हाल बताने वाले सर्विसेस बिजनेस एक्टिविटी इंडेक्स ने बढ़त दिखाई है। दिसम्बर, 2019 में यह इंडेक्स 52.7 पर था, जो जनवरी, 2020 में बढ़कर 55.3 पर पहुंच गया है, जबकि सर्विसेस इंडेक्स, जो दिसम्बर, 2019 में 53.3 था, जनवरी, 2020 में बढ़कर 55.5 अंक पर रहा। माना जाता है कि यदि यह इंडेक्स 50 से ऊपर है, तो यह न केवल अर्थव्यवस्था विस्तार, उत्पादन और सेवा क्षेत्र वृद्धि का संकेत है, बल्कि अनुकूल बाजार, नई मांग, बिक्री, कच्चे माल की खपत और रोजगार बढ़ने का भी संकेत है।
इसी तरह हाल में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रमुख क्रिस्टालिना जार्जीवा ने दावोस में आयोजित विश्व आर्थिक मंच, 2020 को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट अस्थायी है और शीघ्र ही यह सुस्ती के दौर से बाहर आ सकती है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था के सुस्ती के दौर से बाहर आने की संभावनाएं बताने वाले प्रसिद्ध वैिक मीडिया समूह ब्लूमबर्ग ने ताजा रिपोर्ट में कहा कि अगस्त, 2019 के बाद के पांच महीनों में अर्थव्यवस्था के 8 में से 5 सूचकांकों पर भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदशर्न सुधरते दिखाई दे रहा है। विगत पांच महीनों में सर्विस सेक्टर की गतिविधियां बढ़ी हैं। औद्योगिक उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है। बिजनेस एक्टिविटी बढ़ी हैं। कर्ज की मांग बेहतर हुई है। विदेशी मुद्रा भंडार 475 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर  है। शेयर बाजार भी संतोषजनक है।
ऐसे में निश्चित रूप से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 1 फरवरी को प्रस्तुत किया गया वर्ष 2020-21 का आम बजट देश के लोगों की क्रय शक्ति बढ़ाकर अर्थव्यवस्था को गतिशीलता दे सकता है। बजट की बुनियाद में जो सबसे चमकीली बात उभरकर दिखाई दे रही है, वह है उपभोक्ता खर्च बढ़ाकर आर्थिक सुस्ती दूर करना। निस्संदेह बजट मुश्किलों के दौर से गुजरते हुए विभिन्न वगरे की उम्मीदों को पूरा करता दिखाई दे रहा है।
बजट से अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर होगा। निस्संदेह भारतीय बाजार में कारोबार में बढ़ती अनुकूलताओं के कारण ख्याति प्राप्त वैिक फायनेंस और कॉमर्स कंपनियां भारत में अपने कदम तेजी से बढ़ा रही हैं। इतना ही नहीं भारत से कई विकसित और विकासशील देशों के लिए कई काम बड़े पैमाने पर आउटसोर्संिग पर हो रहे हैं। भारत  में स्थित वैिक फाइनेंशियल फर्मो के दफ्तर ग्लोबल सुविधाओं से सुसज्जित हैं। देश में बढ़ते नवाचार, डिजिटल अर्थव्यवस्था,  स्टार्टअप, विदेशी निवेश, रिसर्च एंड डवलपमेंट के कारण भारतीय बाजार का विस्तार होता गया है। नई प्रोद्यौगिकी पर इनोवेशन और जबरजस्त स्टार्टअप माहौल के चलते दुनिया की कंपनियां भारत का रुख कर रही हैं। निस्संदेह हम अमेरिकी थिंक टैंक र्वल्ड पॉपुलेशन रिव्यू की आगामी रिपोर्ट, 2020 में और ऊंचाई प्राप्त करने तथा वैिक पीडब्ल्यूसी सर्वे के मद्देनजर बाजार चुनौतियों का समाधान करके दो-तीन वर्षो में जर्मनी को पीछे छोड़कर दुनिया का तीसरा सबसे अच्छा बाजार और चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की पूरी संभावनाएं रखते हैं।
इसके लिए हमें अपनी बुनियादी संरचना में व्याप्त अकुशलता एवं भ्रष्टाचार पर नियंत्रण कर अपने प्रॉडक्ट की उत्पादन लागत कम करनी होगी। उद्योग-व्यवसाय में कौशल प्रशिक्षित युवाओं की मांग-आपूर्ति में लगातार बढ़ता अंतर दूर करना होगा। भ्रष्टाचार और रितखोरी नियंत्रण की डगर पर तेजी से बढ़ना होगा। कोरोना प्रकोप के बीच देश के उद्योग-कारोबार को राहत देते हुए निर्यात के नये मौकों को मुट्ठियों में करने की रणनीति के साथ आगे बढ़ना होगा। आशा करें कि सरकार भारतीय बाजार की चमकीली सुकुनभरी संभावनाओं को साकार करने की डगर पर आगे बढ़ेगी। इससे न केवल देश की अर्थव्यवस्था लाभांवित होगी वरन उद्योग, कारोबार और आम आदमी भी लाभांवित होगा।

जयंतीलाल भंडारी


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