मुद्दा : इसलिए भी बढ़ रही आबादी

Last Updated 15 Jan 2020 05:23:13 AM IST

कभी किसी अर्थशास्त्री ने यह कल्पना नहीं की होगी कि किसी देश की जनसंख्या बढ़ने की वजहों में घुसपैठियों को भी महत्त्वपूर्ण कारक माना जाएगा। दरअसल, अर्थशास्त्र में जनसंख्या बढ़ने के परम्परागत कारण-लोगों की अज्ञानता, अशिक्षा, धार्मिक अंधविश्वास और गरीबी माने जाते हैं।


मुद्दा : इसलिए भी बढ़ रही आबादी

अनुमान है कि इस समय हमारे देश में घुसपैठियों की संख्या दस करोड़ के करीब है। घुसपैठियों में ज्यादातर बांग्लादेशी व रोहिंग्या मुसलमान हैं। देश की मौजूदा 1.37 अरब की आबादी में घुसपैठियों की इतनी बड़ी तादाद निश्चित तौर पर खतरनाक संकेत है।

यह उस देश की अर्थव्यवस्था पर एक बड़ा बोझ है, जो इस समय अपने आप को आर्थिक मोच्रे पर उबारने के लिए जद्दोजहद कर रहा हो। घुसपैठिए देश की कानून व्यवस्था और सुरक्षा के लिए भी चुनौती हैं। इन सब बातों से इतर हमारे देश की आबादी बहुत तेजी से बढ़ रही है। अनुमान है कि वर्ष 2024 यानी मात्र चार साल में हमारा देश 1.44 अरब की जनसंख्या के साथ दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश होगा। इस मामले में हम चीन को भी पीछे छोड़ देंगे। चीन ने इस मामले में अपने आप को संभाल लिया है।

उसने बड़ी सख्ती के साथ जनसंख्या नियंत्रण के उपायों को लागू किया है। एक बच्चे वाले दंपति को वहां विशेष सुविधाएं दी गई हैं। जबकि एक से ज्यादा बच्चे होने पर दंपति की आय का 50 प्रतिशत तक हिस्सा कर के रूप में वसूल लिया जाता है। इतना ही नहीं उनकी सरकारी नौकरी और अन्य लाभ भी वापस ले लिये जाते हैं। क्योंकि उसका सूत्र वाक्य है- हम दो, हमारा एक। अगर हम उसका सूत्र वाक्य नहीं अपना सकते तो कम-से-कम अपना सूत्र वाक्य-‘ हम दो, हमारे दो’ को तो अपना ही सकते हैं।

अन्यथा आने वाले समय में इसके और भयंकर परिणाम होंगे। जनसंख्या विस्फोट से निपटने के लिए अब जहां छोटे परिवारों को ही सरकारी सुविधाएं देने की बात की जा रही है वहीं बड़े परिवारों की वोटिंग पावर सीमित करने का विचार भी जन्म ले रहा है। यानी एक परिवार में माता-पिता के अलावा केवल दो संतानों को ही वोटिंग का अधिकार हो। दुनिया में जनसंख्या बढ़ने की एक वजह बड़े जोरों से चर्चा में है। इसका भी अर्थशास्त्र में कहीं उल्लेख नहीं है। वो है सत्ता पर कब्जे की चाह को लेकर एक खास समुदाय द्वारा अपनी जनसंख्या तेजी से बढ़ाना। यह कड़वी सच्चाई है कि जिसके पास जितने ज्यादा वोट है, वह उतनी बड़ी राजनीतिक शक्ति है और सत्ता में उसकी उतनी ज्यादा भागीदारी है।

यह सोच बहुत खतरनाक है और एक दिन इस सोच के विस्फोटक परिणाम सामने आएंगे। देश में इस वजह तेजी से जनसंख्या बढ़ने के बारे में ये आंकड़े पेश किए जा रहे हैं। 2001 की जनगणना के अनुसार देश में मुस्लिम आबादी 13.4 फीसद और हिंदुओं की 80.5 फीसद थी। 2011 की जनगणना के मुताबिक देश में मुस्लिम आबादी बढ़कर 14.2 फीसद व हिंदुओं की आबादी घटकर 79.8 फीसद रह गई। वर्ष 2021 में होने वाली जनगणना को लेकर अनुमान लगाया जा रहा है कि मुस्लिम आबादी में बड़ा इजाफा होगा। विख्यात अर्थशास्त्री माल्थस का बढ़ती आबादी को नियंत्रित करने के बारे में कहना है कि जब जनसंख्या नियंत्रण के मानव निर्मित तरीके विफल हो जाते हैं, तब प्रकृति अपने तरीके से नियंत्रण करती है।

किसी देश की आबादी उत्पादन की तुलना में बहुत अधिक क्यों बढ़ती है, इस बारे में कल्याणकारी अर्थशास्त्री माल्थस का कहना है कि आबादी हमेशा जियोमेट्रिक अनुपात में बढ़ती है जैसे 2 से 4, 8, 16, 32 और 32 से 64, जबकि वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन गणितीय अनुपात में बढ़ता है जैसे 1, 2, 3, 4 ,5 ,6 ,7 ,8, 9..। ऐसे में स्वाभाविक तौर पर जनसंख्या उत्पादन की तुलना में बहुत तेजी से बढ़ती है। यानी उत्पादन जनसंख्या की तुलना में बहुत कम रह जाता है और दोनों के बीच दोनों में असंतुलन पैदा हो जाता है।

ऐसे देशों को ओवरपॉपुलेटेड देश की श्रेणी में रखा जाता है। अगर किसी देश के संसाधनों की तुलना में उसकी जनसंख्या कम हो तो वहां आबादी बढ़ना अच्छा माना जाता है क्योंकि उससे उस देश के संसाधनों का समुचित दोहन संभव हो पाता है और विकास की गाड़ी तेजी से आगे बढ़ती है। ऐसे देशों को अंडरपॉपुलेटेड देश माना जाता है। इसलिए आबादी का बढ़ना हमेशा नकारात्मक नहीं होता। क्वालिटेटिव (गुणात्मक) जनसंख्या का बढ़ना हमेशा किसी देश के लिए वरदान माना जाता है। इनमें डाक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, उच्च कोटि के विचारक, कानूनविद् शिक्षाविद् और अन्य श्रेष्ठ नागरिक शामिल हैं।

अशोक शर्मा


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