उप्र हिंसा : योगी के फैसले का दूरगामी असर

Last Updated 09 Jan 2020 05:17:22 AM IST

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में जब देश के कई क्षेत्रों में आगजनी, तोड़फोड़, बलवा किया जा रहा था, उसी समय उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने जनहित में जो निर्णय लिया वह पूरे देश के लिए मिसाल बन गया।


उप्र हिंसा : योगी के फैसले का दूरगामी असर

इस निर्णय से प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश के अन्य हिस्सों में शांति का माहौल बना और उपद्रवियों की धरपकड़ तेज हुई।
यह पहली बार है जब देश में किसी प्रदेश सरकार ने उपद्रवियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के अनुसार उपद्रवियों की संपत्ति जब्त करने का कठोर कदम उठाया। उपद्रवियों की संपत्ति जब्त कर सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान का हर्जाना वसूलने में उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बना है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा ने न केवल इसे सराहा, बल्कि कर्नाटक में भी इस फैसले को उपद्रवियों के खिलाफ लागू किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस फैसले पर अमल करते हुए रेलवे भी अपनी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से वसूली कर रहा है। सीएए के विरोध में देश के कई हिस्सों में उपद्रवी हिंसा फैलाने की कोशिश कर रहे थे। इसी बीच, उत्तर प्रदेश में 19 और 20 दिसम्बर को लखनऊ समेत कुछ जिलों में पीपल्स फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के लोगों ने सुनियोजित तरीके से हिंसा फैलाई।

तोड़फोड़, आगजनी, मीडिया के लोगों के वाहनों को फूंकने समेत सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया। इस पर योगी सरकार ने सख्ती करते हुए उपद्रवियों पर शिंकजा कसा। जिलों में इनके खिलाफ मुकदमे दर्ज करने के साथ ही कुर्की वारंट जारी किया गया। सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों के मंसूबों पर योगी सरकार की सख्ती से तुषारापात हो गया है। प्रदेश में हिंसा के दौरान सरकारी संपत्ति को बड़ा नुकसान पहुंचाने वाले उपद्रवी इस सख्त कदम से भागे-भागे फिर रहे हैं। सीसीटीवी फुटेज के साथ ही अन्य इनपुट के आधार पर इन सभी की तस्वीरें होर्डिग्स पर चस्पा करने के साथ घर पर वसूली का नोटिस पहुंच रहा है। दंगाइयों के खिलाफ सख्ती को देख हर उन्मादी यही सोच रहा है कि उसने आगजनी और हिंसात्मक विरोध करके बड़ी गलती कर दी है। दंगाइयों के खिलाफ सरकार जिस तरह की कार्रवाई कर रही है, वो पूरे देश में मिसाल बन चुकी है। इसी सख्ती का असर है कि बुलंदशहर में लोगों ने बतौर क्षतिपूर्ति छह लाख रुपये जिलाधिकारी के पास जमा भी करा दिए हैं।
सीएए के विरोध में प्रदेश में हुई हिंसा में दस हजार करोड़ रु पये से ज्यादा की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। पीएफआई से जुड़े लोगों द्वारा यूपी को जलाने की कोशिश का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पुलिस ने हिंसा वाली जगहों से 35 अवैध शस्त्र बरामद किए हैं। उनहत्तर अवैध जिंदा कारतूस और 647 अवैध खोखे बरामद किए गए हैं। सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि उपद्रवी पूरी प्लानिंग के तहत प्रदेश को जलाने निकले थे। आंकड़ों के मुताबिक उपद्रवियों को रोकने में लगे 351 पुलिसकर्मी घायल हो गए। हिंसा फैलाने के मामलों में 327 एफआईआर दर्ज की गई। 1113 गिरफ्तारियां हुई। उपद्रवियों की संपत्ति जब्त कर सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान का हर्जाना वसूलने के लिए योगी सरकार ने लखनऊ में 110, मुरादाबाद में 200, रामपुर में 28, सम्भल में 26, बिजनौर में 43, गोरखपुर में 33 और फिरोजाबाद में 29 लोगों को संपत्ति जब्ती का नोटिस भेजा है। यहां बताना उचित होगा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपनी गाइडलाइंस में सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान होने की स्थिति में सारी जिम्मेदारी नुकसान के आरोपी पर डाली है।
गाइडलाइंस के मुताबिक अगर सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान होता है, तो अदालत मानकर चलती है कि नुकसान का आरोपित इसका जिम्मेदार है। आरोपित को खुद को निर्दोष साबित करना होता है। निर्दोष साबित होने तक कोर्ट उसे जिम्मेदार मानकर चलती है। नरीमन कमेटी ने कहा था कि ऐसे मामलों में दंगाइयों से सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की वसूली की जाए। यही नहीं, एनआरसी को लेकर असम में जब हिंसा हुई और एनआरसी के खिलाफ याचिकाएं दाखिल हुई, तब भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पहले हिंसा रोकें, उसके बाद हम सुनवाई करेंगे। नैसर्गिक न्याय का तकाजा यही है कि जो दोषी हो उसे दंड मिले। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दंगाइयों द्वारा सार्वजनिक संपत्ति को पहुंचाई गई क्षति के खिलाफ जो रुख अपनाया है, सुप्रीम कोर्ट की मंशा और न्याय के नैसर्गिक सिद्धांत के अनुरूप है। यकीनन दवा कड़वी है, पर जरूरी। बाद में मुख्यमंत्री की यह पहल नजीर बनेगी। प्रदशर्न के नाम पर सड़कों पर सार्वजनिक हिंसा करने वालों के लिए सबक भी। आगे से ऐसा करने से पहले वे हजार बार सोचेंगे।

कमल तिवारी


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