ननकाना साहिब : पाक में नापाक साम्प्रदायिकता

Last Updated 06 Jan 2020 12:19:07 AM IST

साम्प्रदायिक घृणा के सिद्धान्त पर बने पाकिस्तान में सिखों के पवित्रतम धार्मिंक स्थल ननकना साहिब के बाहर कट्टरपंथी पाक धार्मिंक मुस्लिम संगठन गुलामाने मुस्तफा के उन्मादी सदस्यों का उग्र प्रदर्शन प्रधानमंत्री इमरान खान के उस ड्रामे की पोल खोलता है, जिसमें उन्होंने सिखों से प्रेम का प्रदशर्न किया था।


ननकाना साहिब : पाक में नापाक साम्प्रदायिकता

ननकाना साहब के बाहर धार्मिंक उन्मादियों ने पत्थरबाजी भी की, सिख विरोधी  नारे भी लगाए और ननकाना साहब का नाम बदलने की धमकियां भी दीं। यही नहीं धर्मिंक उन्मादियों ने गुरु द्वारे को बाबरी मस्जिद की भांति गिराकर वहां मस्जिद बनाने का नारा  भी लगाया।  निश्चित रूप से यह निंदनीय है। वास्तव में पाकिस्तान में हमेशा अल्पसंख्यकों पर जुल्म होते रहते हैं।

यहां यह उल्लेख भी आवश्यक है कि पाक में केवल हिंदुओं, सिखों, ईसाईओं  और अन्य गैर मुस्लिम  सम्प्रदायों को ही नहीं बल्कि मुस्लिम सम्प्रदयों के सदस्यों यथा शियों तथा अहमदियों को भी प्रताड़ित किया जाता है और उनके घर, मस्जिदें, इमामबाड़े और दरगाह  जलाए जाते हैं तथा सरकारी नौकरियों में भी उनके साथ खूब भेदभाव किया जाता है। चूंकि पाकिस्तान सरकार और समाज पर सऊदी  वहाबियों का गहरा प्रभाव है; इसलिए पाकिस्तान में अधिकांश मुस्लिम शिया और अहमदियों को काफिर  मानते हैं और उन्हें प्रताड़ित करते रहते हैं। इसी धर्मान्धता के कारण पाकिस्तान आर्थिक, सामाजिक, सामरिक और सांस्कृतिक रूप से पिछड़ा हुआ है। ननकाना साहिब में उपद्रवियों के खिलाफ तो इमरान खान की सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है बल्कि उनको बचाने के लिए लीपापोती  कर रही है और मोदी सरकार की आलोचना कर रही है, परन्तु भारत सरकार और भाजपा को इस नापाक कार्रवाई से सिटीजन्नस अमेंडमेंट एक्ट (सीएए) को सही सिद्ध करने का अवसर मिल गया तथा विपक्षी दलों को भी पाकिस्तान की खुलकर निंदा करने के लिए आगे आना पड़ा। बसपा, आप, कांग्रेस, सपा और तृणमूल कांग्रेस पार्टियों को भी ननकाना कांड की घोर निंदा करना पड़ी । मगर पाकिस्तान में अन्य तरीकों से भी अल्पसंख्यक  समुदायों  को परेशान  किया जाता है। मसलन उनकी बेटियों का  अपहरण करके उनका धर्मपरिवर्तन कराया जाता है और उनकी शादी बलात मुस्लिम लड़कों से करा दी जाती है। उदाहरणार्थ पाकिस्तान में एक सिख कन्या जगजीत कौर  का अपहरण करके उसकी शादी एक मुस्लिम युवा से कर दी गई। कौर के माता-पिता तथा बिरादरी वालों ने विरोध प्रदर्शन किया और सरकार व पुलिस से लड़की को अपरधियों से मुक्त कराने की मांग की परन्तु पुलिस ने अपराधियों के विरु द्ध किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की। यद्यपि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने इस आरोप को झूठा करार दिया है कि गुरुद्वारे को अपवित्र किया गया और उसे नुकसान  पहुंचाया गया। परन्तु ननकाना साहिब के बाहर जमा भीड़ के वीडियो से पता चलता है कि उन्मादियों ने पत्थरबाजी की और ननकाना साहिब का नाम बदलकर ‘गुलाम-ए-मुस्तफा’ करने की मांग की और वहां गुरु द्वारे को गिराकर मस्जिद बनाने के लिए जबर्दस्त नारेबाजी की। उस समय वहां बहुत से श्राद्धलु डरे-सहमे  मौजूद थे, इसीलिए भारत सरकार से यह आग्रह किया गया है कि वह पाकिस्तानसरकार पर दबाव डालकर अपराधियों को गिरफ्तार कराए ताकि भविष्य में इस प्रकार  का हिंसक प्रदर्शन दोबारा न हो। हालांकि कट्टरपंथी नेता इमरान खान ने इस प्रदशर्न के लिए माफी मांगी है  किंतु सिर्फ इतना पर्याप्त नहीं है। जितने भी दंगाई और प्रदर्शनकारी भीड़ में शामिल थे, उन सभी को कड़ी-से-कड़ी सजा दिलाई जाए। क्योंकि उसने सिर्फ  सिखों को नहीं बल्कि सभी  धर्मो को आहत किया है। साथ ही ‘गुलाम मुस्तफा’ नामक इस संगठन पर शीघ्र पाबन्दी लगाई जाए।
ननकाना त्रासदी की निंदा भारत के शिया तथा अहमदियों ने भी की है। पाकिस्तान उच्चायोग पर प्रदर्शन सही हो रहे हैं परन्तु इस बारे में मोदी सरकार को संयुक्त राष्ट्र संघ, अमेरिका तथा यूरोपीय देशों से पकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव और अमानवीय बर्ताव की न केवल शिकायत करनी चाहिए बल्कि यह मांग भी करनी चाहिए कि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग पाकिस्तान पर तत्काल आर्थिक और राजनीतिक प्रतिबंध लगाए। दूसरी तरफ पाकिस्तान सरकार को भी इस पूरे घटनाक्रम पर सिख समुदाय से माफी मांगनी चाहिए। मानना  चाहिए कि-
न  समझोगे तो मिट  जाओगे ए पाकिस्तान वालो,
तुम्हारी   दास्तां  तक भी न   होगी   दास्तानों  में।

असद रजा


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