शिक्षा : ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष प्रयास जरूरी

Last Updated 22 Oct 2019 05:18:25 AM IST

एक सौ चौबीस आईएमआरबीआईसीयूबीई द्वारा हाल में जारी रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि कैसे दिसम्बर, 2018 तक भारत में इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या 18 प्रतिशत की वाषिर्क वृद्धि के साथ बढ़कर 56.6 करोड़ हो गई है।


शिक्षा : ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष प्रयास जरूरी

इनमें 29.3 करोड़ शहरी भारत में हैं जबकि 20 करोड़ ग्रामीण भारत में रहते हैं। नियमित तौर पर इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले इन लोगों में बड़ी आबादी ऐसी है, जो अपने मोबाइल फोन पर इंटरनेट का उपयोग करती है, जो दर्शाता है कि कैसे बढ़ी हुई बैंडविथ और किफायती डेटापैक से देश के शहरी ही नहीं, बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी डिजिटल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आया है।

शिक्षा के क्षेत्र में नये शिक्षण तरीकों को अपनाना आज भारत की आवश्यकता है। भारत को अगले दशक तक ज्ञान का केंद्र बनना है तो सुनिश्चित करना होगा कि युवा आबादी शिक्षा के क्षेत्र में चल रहे नवीनतम डिजिटल ट्रेंड्स से अपडेट रहे। इसके लिए दुनिया भर में इस्तेमाल किए जा रहे लोकप्रिय टूल्स और तरीकों को अपना कर उन्हें लागू करवाना आवश्यक हो जाता है, जिससे सुनिश्चित हो कि प्रत्येक छात्र को बेहतरीन शिक्षा उपलब्ध कराने की दिशा में हमारा देश सही राह पर चले। सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) को भी ग्रामीण भारत में शिक्षा की अत्यधिक मांग पूरा करने के लिए तैयार रहना होगा। यह सुनिश्चित करने के लिए हमें पारंपरिक  कक्षाओं में पढ़ाने के पुराने तरीके, शिक्षक व छात्रों के असंगत अनुपात और योग्य शिक्षकों व शिक्षण संबंधी सामग्री की कमी को दूर करना होगा जिससे वे शिक्षा के क्षेत्र में चल रहे नवीनतम ट्रेंड्स के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सकें।

साक्षरता की प्रभाविता को बेहतर बनाने के लिए आईसीटी को शिक्षा प्रदान करने के लिए इस्तेमाल की जा रही नवीनतम प्रौद्योगिकी प्रक्रियाओं व डिजिटल तरीकों व माहौल का ग्रामीण क्षेत्रों तक विस्तार करना होगा। भारत सरकार ने 2012 में इसके लिए एक राष्ट्रीय नीति बनाई और देश के सुदूर इलाकों में नेटवर्क तक पहुंच मजबूत बनाने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा मिशन ने एक अभियान भी शुरू किया था। इसका लक्ष्य डिजिटल कंटेंट को  मज़बूत बनाना और शिक्षार्थी-केंद्रित ऐसा माहौल विकसित करना था जिसमें छात्र विभिन्न चरणों में ऑनलाइन शिक्षा पद्धति पर अपने से काफी कुछ सीख सकें। बच्चों का विजुअल कंटेंट उपलब्ध कराकर आईसीटी छात्रों के सीखने के कौशल पर ज्यादा मजबूत व गहरा सकारात्मक प्रभाव डालते हैं, जहां छात्र जीवन भर के लिए कौशल विकसित कर सकते हैं, और सकारात्मक ढंग से एक-दूसरे से बातचीत कर सकेंगे।

यह आकषर्क प्लेटफॉर्म है जिसमें एक ज्यादा ज्ञानी भारत विकसित करने की क्षमता है। एलसीडी स्क्रीन्स, वीडियो व स्मार्ट बोर्डस जैसे मल्टीमीडिया टूल्स इत्यादि उपलब्ध कराना ऐसे कुछ तरीके हैं, जिनकी मदद से ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल शिक्षा स्थापित की जा सकती है। इस तरीके से शिक्षा के क्षेत्र में कई वर्षो से खाली पड़े शिक्षण पदों को भरने की आवश्यकता को दूर कर मांग-आपूर्ति के अंतर को पाटा जा सकता है। पढ़ने-लिखने में ग्रामीण छात्रों की कम दिलचस्पी होना ग्रामीण भारत की बड़ी समस्या है, और इंटरेक्टिव लर्निग के तरीके अपना कर पढ़ाई को मजेदार बनाया जा सकता है, जिसका बच्चे इंतजार करें। बेहतर तो होगा कि छात्रों को खुद ही डिजिटल क्लासरूम को समझने की छूट दी जानी चाहिए।

ऐसे क्षेत्रों में शिक्षा के डिजिटल कॉन्सेप्ट को लाने की राह में सबसे बड़ा रोड़ा यह पता नहीं होना है कि विभिन्न क्षेत्रों में छात्रों की कैसी प्रतिक्रिया मिलेगी। संभव है कि शिक्षक भी ऐसे कॉन्सेप्ट को अपनाने से झिझकें क्योंकि यह उनकी जगह ले सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षक प्रशिक्षण प्रोग्रामों का आयोजन सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी होती है, और उसे ऐसे कामों में एनजीओ की मदद लेनी चाहिए। ग्रामीण भारत का डजिटलीकरण सुनिश्चित करने का सफर काफी लंबा है क्योंकि इसके लिए वृहद स्तर पर काम करने की आवश्यकता है। सरकार की भारत/डिजिटल इंडिया पहल ई-क्रांति के तहत ‘विभिन्न माध्यमों से इंटीग्रेटेड व अंतरपरिचालन सिस्टम के जरिए सरकारी सेवाओं को नागरिकों तक इलेक्ट्रॉनिक तरीके से उपलब्ध कराकर पूरे सरकारी महकमे में परिवर्तन लाने के साथ ही इन सेवाओं को दक्षता, पारदर्शिता और विसनीयता के साथ किफायती तरीके से उपलब्ध कराना’ भी शामिल हैं। इस संदर्भ में सरकार ने इंटरनेट सेवाएं उपलब्ध कराकर ग्रामीण भारत को सशक्त बनाने के लिए कई दूरसंचार कंपनियों के साथ हाथ मिलाया है।

अभिनाश कुमार


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment