उत्तर प्रदेश : बदलाव का ब्रांड बने योगी
उत्तर प्रदेश में बदलाव दिख रहा है। यह बदलाव सबसे ज्यादा कानून-व्यवस्था और औद्योगिक निवेश के तौर पर दिख रहा है।
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बेहतर कानून व्यवस्था विकास की पहली और अनिवार्य शर्त है। कहीं भी निवेशक पूंजी लगाने तभी आएंगे जब उनको सुरक्षा की मुकम्मल गारंटी हो। तीस माह पहले जब योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने तो प्रदेश में हालात जंगलराज जैसे थे। देश के बाकी हिस्सों के लिए यह बदनाम जगह थी। इस माहौल में निवेश तो दूर की कौड़ी थी, जिन लोगों ने उत्तर प्रदेश में निवेश किया था वे भी अपना बोरिया-बिस्तर बांधने की तैयारी में थे। कुछ तो बांध भी चुके थे। अपराधियों को सत्ता का संरक्षण हासिल था और पुलिस सत्ता की चेरी बन चुकी थी। लिहाजा, लोगों का सरकार और पुलिस से भरोसा उठ चुका था।
इस चुनौती भरे हालात में योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की कमान संभाली। सत्ता संभालते ही उन्होंने कानून-व्यवस्था को लेकर अपना रु ख साफ कर दिया। नतीजा सामने है। आज पूरे देश के लिए सूबे की कानून-व्यवस्था नजीर बन चुकी है। हर कोई प्रदेश में निवेश करना चाहता है। फरवरी, 2018 में यहां आयोजित इन्वेस्टर्स समिट और उसके बाद ग्राउंड सेरेमनी एक और दो के जरिए दो करोड़ लाख से अधिक निवेश की आधारशिला कानून के राज का सबूत है। यह कहने में संकोच नहीं कि अब उत्तर प्रदेश ऐसा प्रदेश है, जिसमें किसी क्षेत्र और वर्ग विशेष का नहीं, बल्कि बिना भेदभाव सबका विकास हो रहा है। वर्षो से एक अदद छत को मोहताज रहे गरीब एवं वंचित वर्ग के तबकों के अधिकांश लोगों के पास आज अपना घर है। यह घर राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लोगों को उपलब्ध कराया है।
इस योजना के तहत गांव और शहर में 25 लाख से ज्यादा आवास उपलब्ध कराए गए हैं। इस योजना में उत्तर प्रदेश पूरे देश में नम्बर एक पर है। स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत 2 करोड़ 61 लाख शौचालय उपलब्ध कराए गए हैं। क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया ने पूरे प्रदेश को ओडीएफ घोषित किया है। इस योजना में भी उत्तर प्रदेश देश में पहले नम्बर पर है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में तो उत्तर प्रदेश मील का पत्थर बन चुका है। जेई और एईएस जैसी बीमारियों के कारण पूर्वी उत्तर प्रदेश में हर वर्ष बच्चों की होने वाली मौतों में भारी कमी आई है। 2018 की तुलना में 2019 में एईएस से होने वाली मृत्यु में 69 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। वहीं जेई के रोगियों की 2018 की तुलना में 2019 में 32 प्रतिशत की कमी आई है। आयुष्मान भारत योजना लोगों को आयुष्मान बना रही है। गोरखपुर और रायबरेली में एम्स का काम प्रगति पर है। आउटडोर में मरीज देखे जा रहे हैं। एमबीबीएस की पढ़ाई भी शुरू हो चुकी है। सात नये मेडिकल कॉलेज खोले जा चुके हैं। चौदह के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जा चुका है। लखनऊ में अटल बिहारी वाजपेयी के नाम से एक और चिकित्सा विश्वविद्यालय खोलने की घोषणा भी सरकार कर चुकी है। यूपी की अर्थव्यवस्था का मूल आधार कृषि है। यहां की लगभग 65 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य देश के सामने रखा है।
इस दिशा में भी उत्तर प्रदेश सरकार के कार्य अभिनंदनीय है। अपनी पहली ही कैबिनेट में योगी सरकार ने भाजपा के संकल्प पत्र के मुताबिक 86 लाख लघु एवं सीमांत किसानों का एक लाख रु पये तक का कर्ज माफ किया। दो हजार रुपये की तीन समान किश्तों में देय प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत एक करोड़ 57 लाख किसानों को लाभान्वित कर उत्तर प्रदेश इसमें भी नम्बर एक पर है। वर्षो से अधूरी पड़ी कई सिंचाई परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं। सरयू नहर जैसी राष्ट्रीय परियोजनाएं जो चार दशकों से लंबित थीं, वे भी साल के अंत तक पूरी हो जाएंगी।
सरकार का लक्ष्य इस साल 20 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि को सिंचिंत करना है। गेहूं, धान और गन्ने की रिकॉर्ड खरीद और भुगतान हुआ। अगस्त से लोग पूर्वाचल एक्सप्रेस-वे पर फर्राटा भरने लगेंगे। इसके बाद बुंदेलखंड और गंगा एक्सप्रेस-वे की बारी है। कानपुर, मेरठ, आगरा, इलाहाबाद और गोरखपुर आदि महानगरों के लोग भी आने वाले समय में मेट्रो की सुरक्षित और सुखद यात्रा कर सकेंगे। डिफेंस कॉरीडोर के जरिए बुंदेलखंड आने वाले समय में विकास की दौड़ में सबसे आगे होगा।
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