मुद्दा : आओ कश्मीर चलें

Last Updated 25 Sep 2019 06:05:26 AM IST

जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35ए को हटाने के बाद से हालात सामान्य हो रहे हैं।


मुद्दा : आओ कश्मीर चलें

लोग काम पर लौट रहे हैं..बाजार में दुकानें सज रही हैं..यातायात सामान्य हो रहे हैं..और डल झील जो कि 5 अगस्त के बाद से पर्यटकों के इंतजार में वीरान पड़ा था, वहां भी अब रौनक लौटती दिख रही है। आम जन में धारा 370 और 35 ए के हटने की खुशी देखी जा सकती है।
घाटी में खामोशी से हालात सामान्य हो रहे हैं। डल झील पर बने हाउस बोट और छोटे-बड़े शिकारा देश के पर्यटकों का इंतजार कर रहा है। सरकार के साथ-साथ यह हमारी और आपकी जिम्मेदारी भी बनती है कि हम अपने-अपने तरीके से धारा 370 और 35ए के हटने के फायदे सही में क्या हैं; यह डल झील और हजरतबल दरगाह पर जा कर बताएं। देश के महानायकों की भी यह जिम्मेदारी है कि वो लोगों को एक दिन जम्मू-कश्मीर में भी गुजारने की गुजारिश करें। तभी हम जम्मू-कश्मीर से और जम्मू-कश्मीर हमसे जुड़ सकेगा। घाटी में पिछले करीब 50 दिनों में सुरक्षा बलों की तरफ से एक भी गोली नहीं चली। जो घाटी की फिजा में बारूद की गंध हुआ करती थी, वहां एक बार फिर केसर की खुशबू महक रही है। शालीमार-निशात बाग की रंग बिरंगी फूलों की क्यारियां धरती के स्वर्ग को फिर से स्थापित करने में जुटी है।

धारा 370 और 35 ए को हटाने के फैसले का विरोध करने वाले घाटी के नेता कैदखाने में हैं। और यह इसलिए संभव हो सका क्योंकि भारत के संसद ने बहुमत से धारा 370 और 35 ए को खत्म कर दिया। अब जम्मू और कश्मीर में भी देश के वो 106 कानून लागू हैं, जिससे जम्मू और कश्मीर अब तक महरूम रहा था। केंद्र सरकार ने फैसले से पहले एतियातन सुरक्षा के जो अतिरिक्त इंतजाम किए थे वो आम लोगों की प्रतिक्रिया को थाहने के लिए नहीं बल्कि राजनीतिक परिवारों और अलगाववादियों की प्रतिक्रिया को रोकने के लिए थी। जम्मू-कश्मीर की आम जनता मोदी सरकार के इस फैसले का स्वागत कर रही है। घाटी की जनता धारा 370 और 35 ए को हटाने से होने वाले वाले फायदे का इंतजार कर रही है। गृहमंत्री अमित शाह ने राज्य सभा में चर्चा के दौरान जो फायदे गिनवाये थे, जनता उसके पूरा होने की राह में रोड़ा नहीं बनना चाहती। डल झील में हाउस बोट के मालिकों ने बातचीत में बताया कि यह ठीक है कि फैसले के बाद से कश्मीर में पर्यटकों की संख्या अचानक से खत्म सी हो गई, मगर साथ में वो इस स्थिति को नई शुरुआत के लिए अच्छा मान रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि हालात जल्द ही सामान्य होंगे। जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह का कहना है कि सेना और पुलिस में भर्ती के लिए यहां के युवकों में अच्छा खासा उत्साह है। आम नागरिक बेखौफ होकर स्थानीय प्रशासन और पुलिस की मदद कर रहा है। परिस्थितियां जैसे-जैसे सामान्य होती जाएगी सुरक्षा बलों की तैनाती वैसे-वैसे कम होती जाएगी। घाटी में सामान्य होते हालात से सबसे ज्यादा पेरशानी पाकिस्तान को हो रही है। पाकिस्तान लगातार सीमा पार से घुसपैठ की कोशिश कर रहा है। घाटी में स्थिति सामान्य होती जा रही है, लेकिन सुरक्षा बलों की चुनौती आगे और भी बढ़ेगी। ठंड के मौसम में पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ कोशिशें और तेज हो जाती है। धुंध का फायदा उठा कर घुसपैठिये सीमा पार करने की कोशिश करते हैं। अगर सरकार और सुरक्षा बल आतंकवादियों की इस साजिश को रोकने में कामयाब हो जाते हैं तभी सही मायने में इस नये फैसले पर जश्न मनाया जा सकता है।
कामयाबी धारा 370 और 35 एक को हटाने के कड़े फैसले को कड़ाई से पालन करवाने में नहीं बल्कि इस बात में है कि सरकार के इस फैसले के प्रति जनता के दिल में सम्मान का भाव पैदा हो और जनता इस बात को समझे कि यह फैसला उनके और जम्मू-कश्मीर के फायदे के लिए किया गया है। पूरे देश ने 5 अगस्त को राज्य सभा में दिए गृहमंत्री अमित शाह को वो ऐतिहासिक भाषण सुना है, जिसमें उन्होंने धारा 370 और 35 ए को हटाने का फायदा बता रहे थे। देश उनके भाषण के एक-एक शब्द में आस्था रखती है और उसे सच होते देखना चाहती है। सरकार के सामने अपने कहे को सच करने दिखाने की चुनौती है तो बीजेपी के सामने घाटी में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने की है। पार्टी के रणनीतिकारों के सामने अब जम्मू से आगे कश्मीर में अपना कार्यकर्ता बनाने और संगठन को खड़ा करने की है जो सही रूप में लोकतांत्रिक तरीके से घाटी मौजूद राजनीतिक पार्टयिों को चुनौती पेश कर सके और जनता का विश्वास जीत सके।

राकेश गुप्ता


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