सामयिक : सड़क बनाने का सच

Last Updated 09 Sep 2019 06:36:22 AM IST

अरुणाचल प्रदेश के भाजपा सांसद तापिर गाओ ने 4 अगस्त को यह कहकर सनसनी फैला दिया कि चीनी सेना ने पिछले महीने राज्य के एंजाव जिले के एक सुदूर गांव में अतिक्रमण किया और चगलगम सर्किल के कियोमरू नल्लाह पर एक पुल बना लिया।


सामयिक : सड़क बनाने का सच

कुछ युवाओं ने उस पुल को देखा है। चगलगम का यह क्षेत्र लगभग 25 किमी का उत्तरी-पूर्वी हिस्सा है और इसका अधिकतर हिस्सा भारतीय क्षेत्र के अंदर आता है। इसके बाद गाओ ने कहा कि भारत चीन सीमा से लगे चगलगम और अंजाव के जिला मुख्यालय हायुलियांग के बीच सड़क का निर्माण किया जाना चाहिए।

इन दो क्षेत्रों के बीच सड़क की हालत बदतर है। हालांकि सांसद के इस आरोप को सेना के प्रवक्ता ने खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्र पर दोनों देशों की तरफ से दावा किया जाता है और दोनों ओर से सैनिक नियमित गश्त पर आते हैं। इसके अलावा गर्मी के मौसम में यहां आम लोग शिकार करते हैं और जड़ी-बूटी इकट्ठा करते हैं। इस क्षेत्र में चीनी सैनिक और नागरिकों की कोई स्थाई उपस्थिति नहीं है।

ऐसे मामलों में सेना का बयान ही अंतिम माना जाता है, क्योंकि सीमा की हर गतिविधि पर मानवीय और मशीनी नजर उसकी ही है। लेकिन इसी बीच एक वेबसाइट ने एक विशेषज्ञ का लेख प्रकाशित किया है, जिसने उपग्रह के कुछ चित्रों और एनिमेशन प्रस्तुत कर कहा है कि चीन ने 2017 में ही पूरब से पश्चिम की ओर उत्तर से दक्षिण सीमा के अंदर सड़क बनाई है, जिसकी लंबाई 960 मीटर या एक किलोमीटर के आसपास है। हालांकि उनका भी कहना है कि वहां किसी प्रकार की मानवीय गतिविधि नहीं दिखी है। इनका यह भी कहना है कि तापिर गाओ ने जिस क्षेत्र में निर्माण का दावा किया है, वहां तो उन्हें कोई प्रमाण नहीं मिला लेकिन बिशिंग (जो चागलागाम से 175 किलोमीटर दूर है) क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा के आसपास के 1 किलोमीटर तक सड़क भी बना ली है।

इसमें गूगल टूल का इस्तेमाल करके बनाई गई इमेज में दिखाया गया है कि सड़क पूर्व से पश्चिम की ओर बन रही है, जो भारतीय क्षेत्र के भीतर है। यह सड़क सीमा के समानांतर बनाई जा रही है, जो भारतीय क्षेत्र के अंदर 300-400 मीटर तक बनी हुई है। इसका निष्कर्ष यह है कि सब कुछ 2017 के बाद से बड़े ही तरीके से हो रहा है मगर भारत की तरफ से इस पर कोई आपत्ति भी नहीं जताई गई है। इनका यह भी कहना है भाजपा सांसद का चागलगाम क्षेत्र की चीनी घुसपैठ का दावा भी शायद ठीक हो सकता है किंतु उपग्रह इमेज से अभी तक घुसपैठ का कोई दृश्य पकड़ में नहीं आया है। दोनों देश करीब 4057 किमी की सीमा साझा करते हैं।

चीन से भारत की सीमा पांच राज्यों जम्मू-कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और सिक्किम से जुड़ती है। इसमें चीनी सेना सिक्किम, लद्दाख और कभी-कभार उत्तराखंड में घुसपैठ करती रहती है। कई बार चीनी सेना ने कुछ निर्माण भी किए, जिसे भारतीय सेना ने उखाड़कर फेंक दिया और उनको पीछे हटने को मजबूर किया। जिस समय की यह घटना बताई जा रही है वह डोकलाम विवाद के आसपास है।

डोकलाम में भारत ने चीनी सेना को निर्माण करने से रोका उनके छोटे-मोटे सामान फेंक दिए और अंतत: 73 दिनों बाद चीन को अपनी सेना वापस करने का निर्णय करना पड़ा। हालांकि उसके बाद चीन ने डोकलाम से लगे अपने क्षेत्र में पूरी आधारभूत संरचना का निर्माण किया है। वह भूटान को हर दृष्टि से समझाने की कोशिश कर रहा है कि आप डोकलाम हमें दे दो और इससे ज्यादा जमीन दूसरी ओर ले लो। इसका जिक्र इसलिए जरूरी है, जिससे साफ जो जाए कि चीन सामरिक दृष्टि से भारत को दबाव में रखने की रणनीति पर काम कर रहा है। इसीलिए वह जान-बूझकर सीमा विवाद को हल नहीं करता।

भारत-चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब 3,488 किलोमीटर लंबे हिस्से पर विवाद है। परंतु 2017 से बन रही  सड़क में 300-400 मीटर पूरा हो और करीब 600 मीटर अपूर्ण रहे; इसका कोई मायने तो होगा। भले यह खबर इस समय सनसनी नहीं बनी है, मगर जनवरी 2018 में यह सामने आ चुका है। इसके अनुसार शियांग के टुटिंग क्षेत्र में बिशिंग गांव के निकट चीनी सैनिक सड़क बना रहे थे। 4 जनवरी 2018 को भारतीय सुरक्षाकर्मिंयों ने जब चीनी लोगों को निर्माण रोकने के लिए कहा, तब चीनियों ने कहा कि हम अपने इलाके में यह काम कर रहे हैं।

भारतीय सुरक्षाकर्मिंयों ने जब सबूत पेश किए तो वे वापस चले गए। सीमावर्ती इलाके में सड़क बनाने के लिए चार चरणों पर काम होता है। सर्वे, अलाइनमेंट, फॉर्मेशन और कारपेटिंग। जब भारतीय सैनिक वहां पहुंचे तो करीब एक किलोमीटर तक अलाइनमेंट का काम हो चुका था। अलाइनमेंट के तहत सड़क की दिशा तय कर ली जाती है। फॉर्मेशन के तहत मशीनों से खुदाई की जाती है। करीब 400 मीटर तक फॉर्मेशन का काम भी पूरा हो चुका था। भारत की ओर से भी इस इलाके में सड़क बनाने पर काम किया जा रहा है।

चीनी सैनिकों की चौकी मौके से करीब डेढ़ किलोमीटर पीछे है। ध्यान रखिए, वेबसाइट ने भी उपग्रह इमेज में यही बताया है कि सैनिक चौकी चीनी सीमा में करीब इतनी ही दूरी पर दिख रही है। 10 जनवरी 2018 को थल सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा कि अरु णाचल प्रदेश के भारतीय सीमा क्षेत्र में चीनी टीमों द्वारा हाल में सड़क के निर्माण की कोशिश से जुड़े मुद्दे को सुलझा लिया गया है। तो यह सच है कि अरुणाचल प्रदेश के सियांग जिले के तूतिंग में बिशिंग गांव के नजदीक चीन सड़क बनाने में लगा हुआ था।

जिस जगह चीनी मशीनें पहुंची थीं, वह इलाका यहां की सबसे ऊंचाई वाला इलाका है और काफी दुर्गम है। बिशिंग से पहले 4 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। फिर सियांग नदी को पारकर जेलिंग पहुंचा जाता है। फिर कई किलोमीटर पैदल चलकर वहां पहुंचा जाएगा, जहां चीन सड़क बना रहा था। इस समय तो दावा 960 मीटर का है, जबकि चीन यहां 1250 मीटर तक सड़क बना चुका था। साफ है कि यह इस समय की बात नहीं है। हां तापिर गाओ कि चिंता पर ध्यान अवश्य दिया जाना चाहिए। वास्तव में जब भी ऐसी खबर आए तो सबसे पहली कोशिश यह होनी चाहिए कि हम अतीत की ऐसी कुछ घटनाओं पर नजर दौड़ाएं, जिससे यह पता चले कि कहीं यह पहले की तो नहीं। दूसरा, हमें  खुद से पूछना चाहिए कि क्या भारत इतना कमजोर है कि अपनी सीमा में चीन सड़क बना दे बावजूद कोई प्रतिरोध न हो? चीन की हरकत हमारे लिए चिंता का कारण है और उसके अनुरूप भारत भी तैयारी कर रहा है।

अवधेश कुमार


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