भाजपा में अंतिम उदार नेता थे अरुण जेटली

Last Updated 25 Aug 2019 04:02:20 PM IST

सुषमा स्वराज का सात अगस्त को निधन हो जाने के बाद अरुण जेटली ही नरेंद्र मोदी और अमित शाह की अगुवाई वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में आखिरी उदार नेता बच गए थे। मगर, वह भी आज सुबह चल बसे।


सुषमा स्वराज और अरुण जेटली

एम. वेंकैया नायडू के देश का उपराष्ट्रपति बनने और सुषमा स्वराज का निधन होने के बाद अरुण जेटली एकमात्र भाजपा नेता थे जो विपक्ष के किसी भी नेता के पास जा सकते थे जबकि संसद में वह उन पर तीखा हमला करते थे।

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान राज्यसभा में कई विधेयकों के पारित होने में बाधा डालने के लिए जेटली ने जब मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) महासचिव सीताराम येचुरी की आलोचना की थी, उस समय भी बाद में कोई देख सकता था कि वे दोनों केंद्रीय कक्ष में सहृदयतापूर्वक हंसी मजाक करते थे।

जेटली ने अनिर्वाचित का अत्याचार कह कर तीखा हमला किया था, लेकिन इससे दोनों के व्यक्तिगत जीवन के संबंध में कोई बाधा नहीं पड़ी।

जेटली का उनके कुछ मंत्रिमंडलीय सहकर्मी अक्सर मजाक उड़ाते थे क्योंकि वह सत्ता पक्ष से कहीं ज्यादा मित्रवत विपक्ष के साथ होते थे।

बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि पिछले एक साल से जब वह बीमार थे तो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जब भी दिल्ली आती थीं तो वह जेटली से मिल कर उनके स्वास्थ्य का हाल जानती थीं।

भाजपा को रथयात्रा की अनुमति नहीं देने को लेकर भाजपा और तृणमूल के बीच कटुता दोनों नेताओं के बीच संबंध के बीच कभी कोई मसला नहीं बना।

जेटली ने 1973 में दिल्ली के प्रतिष्ठित श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से ग्रेजुएट की डिग्री हासिल की थी। इसके बाद उन्होंने 1977 में दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की। उसी समय उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की। आपातकाल के दौरान जेटली 19 महीने तक जेल में रहे जिसका जिक्र उन्होंने कई बार अपने भाषणों में किया।

पत्रकार शाहिद सिद्दिकी बताते हैं, "वह एबीवीपी में थे और मैं एसएफआई में। हमारे विचार काफी अलग-अलग थे, लेकिन हम एक साथ बैठकर बात करते थे और हंसी-मजाक करते थे।"

सिद्दिकी ने कहा, "उनका निधन न सिर्फ उनकी पार्टी की एक बड़ी क्षति है बल्कि विपक्ष के लिए भी। अब भाजपा में उनके जैसा कोई और नेता नहीं मिलेगा जिनसे वे संपर्क कर सकें।"



विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार के दौरान जेटली को भारत का अतिरिक्त महाधिवक्ता नियुक्त किया गया। राजग सरकार के सत्ता में आने पर उनका राजनीतिक उदय हुआ। वह राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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