सरोकार : जैव विविधता सिमटने का संकट सामने
दक्षिण अमेरिकी महाद्वीप के देश कोलंबिया में टीआर 4 फंगस केलों के बागानों में पाए जाने से राष्ट्रीय आपदा की घोषणा कर दी गई है।
सरोकार : जैव विविधता सिमटने का संकट सामने |
इस महाद्वीप से विश्व बाजार में सबसे अधिक केले भेजे जाते हैं। यहां इस फंगस के पहुंचने से बहुत चिंता है। यह चिंता इस कारण और बढ़ जाती है कि जिन कैवंडिश केलों में यह फंगस फैला है, उनका जेनेटिक (आनुवांशिक) आधार बहुत सीमित है। जेनेटिक आधार में एकरूपता के कारण फंगस व बीमारी बहुत तेजी से फैलते हैं। जिस तरह की बागवानी बहुराष्ट्रीय कंपनियां तेजी से फैला रही हैं, उसमें उन कंपनियों के बाजार की दृष्टि से उपयोगी चंद किस्मों को बहुत बड़े क्षेत्र में उगाया जाता है जिससे फल की जैविक विविधता बहुत कम हो जाती है, और उसका जेनेटिक आधार सिमट जाता है। विशेषकर केले के संदर्भ में यह बहुत हुआ है। द. अमेरिका महाद्वीप केलों का सबसे बड़ा निर्यातक है। इसमें केलों की कैवंडिश प्रजाति पूरी तरह छाई हुई है।
वैसे तो पूरे विश्व में केले की लगभग 1000 किस्में पाई जाती हैं, पर निर्यात बाजार में कैवंडिश छाई हुई है जो अपनी एकरूपता व ब्रीडिंग के तरीकों के कारण फंगस के तेज फैलाव की दृष्टि से बहुत संवेदनशील है। इससे पहले जो किस्म अधिक छाई हुई थी, उसकी बहुत क्षति भी फंगस से ही हुई थी व इसके बाद कैवंडिश केलों का प्रसार हुआ। कृषि में जैव-विविधता कुछ वर्षो में कितनी तेजी से लुप्त हुई है, इसके बारे में अब अनेक देशों से आश्चर्यजनक जानकारी मिल रही है। वर्ष 1949 में चीन में गेहूं की लगभग दस हजार किस्में उपलब्ध थीं। 1970 के दशक में इनमें से मात्र एक हजार किस्में ही खोजी जा सकीं। दक्षिण कोरिया में 14 फसलों के बारे में अधिक व्यापक अध्ययन से बहुत चौंका देने वाले परिणाम मिले हैं। जिन खेतों में अध्ययन किया गया वहां 1985 और 1993 के बीच एक दशक से भी कम समय में इन फसलों की 74 प्रतिशत किस्में लुप्त हो गई।
अमेरिका में 1804 और 1904 के बीच सेब की 7098 किस्में उगाए जाने की जानकारी उपलब्ध है। इनमें से 86 प्रतिशत किस्में अब सेब के बगीचों में तो क्या, लुप्त हो रही प्रजातियों के लिए विशेष रूप से बनाए गए जीन बैंकों में भी उपलब्ध नहीं हैं। बहुत से अनाजों, सब्जियों व फलों की यही स्थिति है कि उनकी अधिकांश किस्में लुप्त हो चुकी हैं। ये आंकड़े संयुक्त राष्ट्र के कृषि एवं खाद्य संगठन के सचिवालय द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट से लिए गए हैं। आनुवंशिक विविधता के स्थान पर एकरूपता आने का उदाहरण बताते हुए रिपोर्ट कहती है कि एफ-1 संकरित धान की फसल 1979 में चीन में पचास लाख हेक्टेयर पर फैली थी और 1990 में बढ़कर एक सौ पचास लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई और इसका आनुवंशिक स्रोत एक सा है। इससे होने वाले नुकसान का उदाहरण देते हुए रिपोर्ट बताती है-कैलिफोर्निया (अमेरिका) में अंगूरों की बेलों की आनुवंशिक एकरूपता के कारण उनमें एक गंभीर बीमारी इतनी तेजी से फैलने लगी कि इन्हे उखाड़कर दूसरी बेलें लगाने में करोड़ों डॉलर खर्च करने पड़ रहे हैं। केले जैसे प्रचलित फल की जैव-विविधता और देशीय किस्में बचाना भारत सहित विभिन्न देशों के लिए बहुत जरूरी है। इसके अनेक दीर्घकालीन लाभ हैं जबकि अल्पकाल में कीड़ों व बीमारियों से रक्षा के लिए भी यह जरूरी है। अत: न केवल शोध संस्थानों और जीन बैंकों में जैव विविधता की रक्षा होनी चाहिए अपितु यह किसानों के खेतों में भी नजर आनी चाहिए।
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