श्रद्धांजलि : बिहार नहीं भूलेगा डॉ. मिश्र को

Last Updated 20 Aug 2019 05:18:09 AM IST

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व केंद्रीय मंत्री और चर्चित राजनेता डॉ. जगन्नाथ मिश्र अब दिवंगत हैं। वह तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री हुए, कुछ समय के लिए केंद्र में मंत्री हुए और विभिन्न तरीकों से बिहार की राजनीति को लम्बे समय तक प्रभावित किया।


श्रद्धांजलि : बिहार नहीं भूलेगा डॉ. मिश्र को

उन्होंने बिहार में एक नई राजनीतिक संस्कृति को जन्म दिया, जिसे कुछ लोगों ने पसंद किया, कुछ ने नापसंद। लेकिन इन सब के बावजूद यह खरा सच है कि लगभग डेढ़ दशक तक बिहार की राजनीति के वह केंद्रीय व्यक्ति बने रहे।
मिश्र जी की राजनैतिक पृष्ठभूमि को समझने के लिए 1970 के कांग्रेस को समझना होगा। बिहार में कांग्रेस ने 1971 में एक नया मोड़ लिया था। इंदिरा गांधी का जमाना था। वह अपनी ही पार्टी के दक्षिणपंथी धड़े से जूझ रही थीं। पीएन हक्सर उनके सलाहकार थे। बिहार मामलों को जगन्नाथ मिश्र के बड़े भाई ललित नारायण मिश्र देख रहे थे। एल.एन. मिश्र ने बिहार कांग्रेस को एक नई जमीन दी। बिहार के जातिवादी समाज को उन्होंने उलट-पुलट कर इंदिरा कांग्रेस के लिए एक रास्ता बनाया। बिहार कांग्रेस ऊंची कही जाने वाली जातियों का जमावड़ा हो गया था। 1960 के दशक तक बिहार कांग्रेस भूमिहारों, राजपूतों और कायस्थों के सामाजिक स्वाथरे को साधने वाला एक मंच भर था। ब्राह्मण इस संवर्ग में नहीं थे। वे तीनों से पीछे थे। पिछड़े तबकों का तो कोई अता-पता ही नहीं था। अधिक से अधिक डिप्टी मिनिस्टर होने की उनकी कुव्वत होती थी।

कांग्रेस की इसी कमजोरी का लाभ लेने के लिए लोहिया ने अपनी समाजवादी पार्टी के एजेंडे में ‘पिछड़ा पावें, सौ में साठ’ का नारा रखा। उन्हें 1967 में सफलता भी मिली। इंदिरा कांग्रेस ने 1971 के लोक सभा चुनाव तक गैरब्राह्मण ऊंची जातियों के नेताओं को बाहर कर दिया। महेश प्रसाद सिंह, सत्येंद्र नारायण सिंह और केबी सहाय अब इंदिरा कांग्रेस से बाहर थे। कांग्रेस ने कम्युनिस्टों, पिछड़े तबकों के एक हिस्से, ब्राह्मणों, दलितों और मुसलमानों का एक मोर्चा बनाया। इस मोर्चे को ‘भीषण’ चुनावी सफलता मिली। बिहार में विपक्ष के दिग्गज मधु लिमये आदि बुरी तरह पराजित हुए। 1972 के विधानसभा चुनाव में भी यही स्थिति रही। कांग्रेस के केदार पांडेय मुख्यमंत्री हुए। साल भर बाद अब्दुल गफूर का आना हुआ।
सामाजिक रूप से जेपी आंदोलन का चरित्र वही था, जिसे जगन्नाथ मिश्र ने अपनाया था। आपातकाल के कुछ पहले अब्दुल गफूर की जगह डॉ. जगन्नाथ मिश्र को मुख्यमंत्री बनाया गया था। 1975 के फरवरी में एलएन मिश्र की हत्या हो गई थी। इसी के बाद जगन्नाथ मिश्र मुख्यमंत्री हुए। आपातकाल के विषम काल में जब पूरा विपक्ष जेल में था, वह निष्कंटक राज कर रहे थे। उनकी राजनैतिक क्षमता का कोई इम्तिहान नहीं हुआ। 1977 में कांग्रेस बुरी तरह हार गई। कर्पूरी ठाकुर मुख्यमंत्री हुए। वह समाजवादी थे। पहले ही वर्ष में पिछड़ों के  लिए मुंगेरी लाल आयोग की सिफारिशों को लागू कर ठाकुर ने एकबारगी द्विज-मिजाज की ताकतों को चुनौती दे डाली। जनता पार्टी एक पंचगामी राजनीतिक मोर्चा था, जिसमें जनसंघ, दक्षिणपंथी कांग्रेस, समाजवादी सब थे। जगन्नाथ मिश्र इंदिरा कांग्रेस के नेता और सर्वेसर्वा थे। यही समय था जब उन्होंने अपनी राजनैतिक क्षमता का परिचय दिया। जनसंघ और दक्षिणपंथी कांग्रेसी धड़े से समझौता कर उनने उस कर्पूरी ठाकुर की सरकार को गिरा दिया, जिससे द्विज ताकतें चिढ़ी हुई थीं। इसी द्विज तबके ने राजनैतिक कायापलट में मुख्य हिस्सेदारी की थी। यह तबका अब कांग्रेस की तरफ था। मगर एक विचित्र वैचारिक विरोधाभास था। कांग्रेसी जगन्नाथ मिश्र और जनसंघी कैलाशपति मिश्र एक हो गए।
अगले दस वर्ष तक कांग्रेस सत्ता में रही। जगन्नाथ मिश्र की वैचारिकता उस पर हावी रही। इन दस वर्षो में किसी दलित, पिछड़े, मुसलमान को कांग्रेस ने कोई तरजीह नहीं दी। प्रतिक्रिया ऐसी हुई कि तब से अब तीस साल होने जा रहे हैं, पिछड़ी राजनीति का ही बोलबाला है। इसके वास्तविक जनक डॉ. जगन्नाथ मिश्र हैं। यह एक विचित्र स्थिति है कि इस दिग्गज राजनेता को राजनैतिक रूप से नीतीश कुमार के साथ और चारा-स्कैम मामले में लालू प्रसाद के साथ जुड़ने की नौबत आई। डॉ. जगन्नाथ मिश्र  ही वह नेता हैं, जिन्होंने अति पिछड़ी जातियों के राजनैतिक महत्त्व को पहली दफा समझा। आपातकाल में डॉ. मिश्र ने 20 सूत्री कमेटियों मे सभी जिलों में तीन प्रतिनिधि ओबीसी के मनोनीत किए। इससे इस तबके में, एक जागृति आई। आज यह मुद्दा भारतीय राजनीति का केंद्रीय बिंदु बन गया है। कांग्रेस को यह भी पता नहीं कि यह उसका काम है। डॉ. साहब आज नहीं हैं। बिहार की राजनीति में उनके प्रभाव को कई स्तरों और रूपों में देखा जा सकता है और देखा जाएगा। बिहार को उन्हें नहीं भूलना चाहिए। मेरी विनम्र श्रद्धांजलि।

प्रेमकुमार मणि


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment