डेविस कप : संकट में भारतीय अभियान

Last Updated 16 Aug 2019 03:44:19 AM IST

भारत के डेविस कप अभियान पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। भारत को इस्लामाबाद में 14 और 15 सितम्बर को पाकिस्तान के साथ एशिया-ओसियाना ग्रुप एक मुकाबले में खेलना था।


डेविस कप : संकट में भारतीय अभियान

मौजूदा हालात में पाकिस्तान जाकर खेलने की संभावनाएं कमजोर पड़ती नजर आ रही हैं। भारत सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 खत्म करके जम्मू-कश्मीर का विशेष दरजा खत्म कर देने पर पाकिस्तान ने भारत से राजनयिक संबंध तोड़ लिये हैं। यह तनाव मुकाबला न होने का सबब बन गया है।
एआईटीए (ऑल इंडिया टेनिस एसोसिएशन) के सचिव हिरण्मय चटर्जी का कहना है कि दोनों देशों के बीच मौजूदा तनाव और खिलाड़ियों के खेलने के जोखिम को आईटीएफ (अंतरराष्ट्रीय टेनिस फेडरेशन) समझ नहीं पा रहा है। दोनों देशों के बीच हवाई उड़ान में दिक्कत है। रेलवे लाइन रोक दी गई है। बस सेवा तक बंद कर दी गई है। भारत का आजकल पाकिस्तान में उच्चायुक्त भी नहीं है। चटर्जी कहते हैं कि इन सब बातों को आईटीएफ समझ क्यों नहीं पा रहा। यही लगता है कि आईटीएफ मुकाबले को किसी तटस्थ स्थान पर कराने या स्थगित करने को तैयार नहीं होगा। इसकी एक वजह यह भी है कि पिछले कुछ समय में इस्लामाबाद में दक्षिण कोरिया, थाईलैंड, उज्बेकिस्तान और ईरान की टीमें खेल चुकी हैं। पिछले दिनों खेल मंत्री किरण रिजिजू के बयान से लगा था कि भारत मुकाबला स्थानांतरित नहीं होने पर भी खेल सकता है।

रिजिजू ने कहा था कि यह द्विपक्षीय मुकाबला न होकर विश्व संस्था आईटीएफ द्वारा आयोजित मुकाबला है, इसलिए इसमें भाग लेना है या नहीं, यह फैसला अखिल भारतीय टेनिस एसोसिएशन को करना है। यह बात भारत के ओलंपिक चार्टर से बंधे होने की वजह से कह रहे हैं। पर इस मामले में एआईटीए कैसे कोई फैसला कर सकता है, क्योंकि यह तो सरकार ही जानती है कि वहां स्थिति कैसी है। फैसला सरकार को ही करना होगा कि वहां खिलाड़ियों का जाना सुरक्षित है या नहीं। भारतीय डेविस कप दल के गैर-खिलाड़ी कप्तान महेश भूपति के मुताबिक, भारतीय खिलाड़ी सीमा पार जाने को लेकर सहज नहीं हैं। अखिल भारतीय टेनिस एसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष कार्ति चिदम्बरम ने कहा है कि हमारे खिलाड़ी पाकिस्तान जाने के इच्छुक नहीं हैं। लगता है कि भारतीय खिलाड़ियों ने आयोजन स्थल नहीं बदलने पर नहीं खेलने का मन बना लिया है। पर भाग न खेलने के नुकसान को खिलाड़ी अच्छे से जानते हैं। भारत के लिए साल के शुरू में इटली से हार जाने के कारण अब विश्व ग्रुप में स्थान बनाने की राह इस मुकाबले में जीत से ही बननी है। भारत इस मुकाबले को नहीं खेलता है, तो अगले साल उसे ग्रुप दो में खेलना पड़ेगा। असल में आईटीएफ मुकाबला छोड़ने के मामले में सख्त रुख अख्तियार करने वाली है। कुछ समय पहले हांगकांग ने सुरक्षा के हवाले से पाकिस्तान में खेलने जाने से इनकार कर दिया था, तो आईटीएफ ने उसे एक ग्रुप नीचे लुढ़का दिया था। भारतीय की स्थिति थोड़ी भिन्न है। एआईटीए जानता है कि भाग लेने पर खिलाड़ियों की सुरक्षा दांव पर लगी रहेगी। खिलाड़ियों के से साफ लगता है कि भारत के इसमें भाग लेने की संभावनाएं न के बराबर रहेंगी। भारत को पाकिस्तान के साथ खेल संबंधों को लेकर कोई स्पष्ट नीति बनाने की जरूरत है। मुंबई में आतंकवादी हमले (2008) से भारत के पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय संबंध बंद से हैं।
दोनों देशों के बीच सबसे ज्यादा अहमियत क्रिकेट संबंधों को लेकर है। दोनों देश आईसीसी के अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में ही खेलते हैं पर कोई बड़ी आतंकी वारदात हो जाती है तो पाकिस्तान का अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भी बायकाट करने की मांग हो जाती है। पिछले दिनों क्रिकेट विश्व कप के दौरान भी ऐसा ही माहौल था, इसलिए पाकिस्तान के खिलाफ मैच में नहीं खेलने की जोरदार मांग की गई थी। लेकिन सरकार का इस बारे में कोई दवाब नहीं बनने पर भारत ने पाकिस्तान को हराकर खूब वाहवाही बटोरी। कई बार हॉकी के आयोजनों में पाकिस्तान को बुलाने पर विरोध होता रहा है। लेकिन पाकिस्तान के कई अन्य खेलों के खिलाड़ियों का एक-दूसरे के यहां आने-जाने का सिलसिला चलता रहता है। यही वजह है कि जब भारतीय टीम के डेविस कप मुकाबला खेलने के लिए पाकिस्तान जाने का फैसला हुआ तो देश में किसी ने इसका विरोध नहीं किया। अभी भी मामला खिलाड़ियों की सुरक्षा को लेकर अटका हुआ है। पर एआईटीए यदि पाकिस्तान जाने का फैसला करता भी है तो शायद ही इसे लेकर विरोध हो। पर मौजूदा हालात में जाने का फैसला करना इतना आसान भी नहीं है।

मनोज चतुर्वेदी


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment