कश्मीर : बड़े ऑपरेशन का विस्तार

Last Updated 05 Aug 2019 07:12:02 AM IST

जम्मू कश्मीर में हो रही हलचलों पर अंतिम रूप से और निश्चयात्मक भाव से कुछ भी कहना कठिन है।


कश्मीर : बड़े ऑपरेशन का विस्तार

महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला, शाह फैसल आदि की छटपटाहट और बयानों से ऐसा लग रहा है मानो नरेन्द्र मोदी सरकार कश्मीर में दमनकारी कदम उठाने जा रही है। अगर आतंकवादी हमलों का बड़ा इनपुट है, सीमा पार से कश्मीर में हिंसा की बड़ी तैयारी की सूचना है, लांच पैड पर आतंकवादी घुसपैठ को तैयार दिख रहे हैं तो सरकार का दायित्व है कि सुरक्षा की दृष्टि से वो हरसंभव कदम उठाए। हालांकि अमरनाथ यात्रा में गए लोगों को त्वरित गति से बाहर निकालने का अर्थ गंभीर है।
जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में माछिल माता यात्रा भी स्थगित कर दी गई। कश्मीर में पर्यटकों को भी तुरंत लौटने को आदेश दिया गया। वैसे यह पहला अवसर नहीं है, जब सुरक्षा बलों की भारी संख्या तैनात की जा रहीं हैं। सुरक्षा बल सुरक्षा के लिए जाते हैं जिनसे डरने का कोई कारण होना ही नहीं चाहिए। किंतु इनको अपनी राजनीति करनी है। पिछले फरवरी में जब सरकार ने सुरक्षा बलों की 120 कंपनियां तैनात किया था तब भी ये ऐसे ही छटपटाए थे। सुरक्षा बलों ने अपनी भूमिका निभाई है तभी तो कश्मीर में थोड़ी शांति लौटी है। पूरे चुनाव में एक गोली चलती नहीं दिखी। हालांकि अमरनाथ यात्रा के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को निश्चय ही परेशानियां हुई हैं। पर 2 अगस्त को सेना ने अमरनाथ यात्रा के मार्ग के पास आतंकवादियों के ठिकाने से पाकिस्तान में बनी बारूदी सुरंग (लैंडमाइन) और अमेरिकी स्नाइपर गन मिलने का खुलासा किया था। यह यात्रियों पर आतंकवादी हमले की साजिश का सबूत के साथ खुलासा था।

अगर लैंडमाइन से 40-50 यात्रियों की भी जान ले लेते तो माहौल कैसा होता? कुछ नेता कह रहे हैं कि यह तो आतंकवादियों से डर जाना है। अमरनाथ यात्रा पर 1990 से 2017 तक 36 आतंकवादी हमले हुए हैं। इसे आतकंवादियों से डरना नहीं, सुरक्षा के पूर्वोपाय और आसान लक्ष्य को हटाकर आतंकवादियों का सफाया करने की रणनीति कह सकते हैं। इनपुट्स के मुताबिक आतंकवादी घाटी में आत्मघाती हमलों के लिए घात लगाए हुए हैं। इस समय घाटी में 270-275 आतंकवादी सक्रिय हैं। इनमें से 115 विदेशी और करीब 162 स्थानीय हैं। एडवायजरी जारी होने के 48 घंटों में सुरक्षा बलों ने जैश-ए-मोहम्मद के 4 बड़े आतंकवादियों को मार गिराया। सीमा पार आतंकवादियों की बड़ी हलचल देखी गई है। मसूद अजहर का बड़ा भाई इब्राहिम अजहर मुजफ्फराबाद में देखा गया। खुफिया सूचना के अनुसार पाकिस्तान की तरफ से आतंकवादियों के 14 से 16 लांच पैड हैं, जिनसे आतंकवादियों को घुसपैठ कराने की कोशिश हो रही है। 1 अगस्त फिर 3 अगस्त को सेना ने घुसपैठ की कोशिशें नाकाम कीं थीं। 1 अगस्त से ही अचानक पाकिस्तान की तरफ से युद्धविराम उल्लंघ में तेजी आई। पाकिस्तान ने अपनी सीमा में कुछ नये बंकर भी बनाए हैं। पाकिस्तानी सेना ने फॉर्वड एरिया में तैनाती भी बढ़ाई है। आतंकवादियों को पीओके में पाकिस्तान की एसएसजी कमांडो फोर्स पूरा समर्थन कर रही है। भारत के सैन्य पोस्ट पर बॉर्डर एक्शन टीम (बीएटी) द्वारा ऑपरेशन चलाने की साजिश का भी पता चला है। तो ये सारी सूचनाएं गंभीर हैं। हम न भूलें कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की दो दिवसीय कश्मीर यात्रा के तुरत बाद 100 कंपनी सुरक्षा बलों को भेजने का आदेश जारी हुआ था। यह तो समझ में आती है कि अमेरिका से वापस आने के बाद इमरान खान के सलाहकारों ने कश्मीर में हिंसा बढ़ाने की साजिश पर काम किया होगा। डोनाल्ड ट्रंप के मध्यस्थता के बयान से वे उत्साहित हैं। इसलिए उनको लगता होगा कि जम्मू-कश्मीर से हिंसा की जितनी खबर आएगी उतना ही वे ट्रंप का ध्यान आकर्षित कर सकेंगे। इनकी दुर्नीति विफल करने लिए हर संभव कदम उठाए जाने चाहिए। यह एक तात्कालिक अतिरिक्त कारण ही है।
मोदी सरकार की कश्मीर नीति अन्य सरकारों से अलग है। भाजपा का कश्मीर को लेकर विचार जाना-पहचाना है। पीडीपी के साथ सरकार में रहते उसे अंजाम देना संभव नहीं था। सरकार से हटते ही मोदी सरकार ने 180 डिग्री का मोड़ लिया। जम्मू कश्मीर को लेकर सरकार ने समग्र नीति निर्धारित की। उनकी नीतियों में एक ओर राजनीति के प्रमुख चेहरों की अनदेखी, कुछ अलगाववादियों के खिलाफ कार्रवाई तो कुछ को महत्त्वहीन करना, आतंकवाद के समर्थकों के खिलाफ कठोर कार्रवाई, कट्टरंथी संगठनों की कमर तोड़ना, सीमा पर पूर्ण सख्ती, आतंकवादियों को खदेड़कर मारना व भ्रष्ट राजनेताओं पर कार्रवाई और कश्मीरी पंडितों की वापसी का ढांचा खड़ा करना शामिल है तो इसके समानांतर ‘बैक टू विलेज कार्यक्रम’ के माध्यम से जनता तक सीधे पहुंचना, ग्राम पंचायतों को विकास की राशि सीधे स्थानांतरित करना, रोजगार के अवसर बढ़ाना, विकास परियोजनाओं पर तेजी से काम, युवाओं के लिए मल्टीप्लेक्स से लेकर खेलकूद के लिए मैदान एवं कम्युनिटी सेंटर आदि का निर्माण भी। अभी हाल ही में राजपत्रित अधिकारी जम्मू-कश्मीर के सभी पंचायतों में गए और एक रात और दो दिन वहां बिताया। क्रम आगे भी चलेगा। सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़ों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण वहां भी लागू करने का फैसला कर लिया है।
थोड़े शब्दों में कहें तो जनता का विश्वास जीतना और भारत विरोधियों को खत्म करना या निष्प्रभावी कर देने की यह नीति बहुत कुछ करने की मांग करती है। इस समय घाटी की मस्जिदों की सफाई का अभियान चल रहा है। यह बहुत बड़ी कार्रवाई है। धारा 370 को लेकर संवैधानिक जटिलताएं हैं। 35 ए में वैसी जटिलता नहीं। विभाजन के बाद इस पार आए लोगों के साथ वर्षो से भंगी का काम करने वाले दलितों को भी मताधिकार प्राप्त होगा। इस कदम का घाटी के दल विरोध करेंगे। सरकार को उसकी पूर्व तैयारी भी करनी है। इस तरह सीमा पार एवं सीमा के अंदर की हिंसक साजिशों का सामना करने और भावी कदमों के लिए कश्मीर में बड़े ऑपरेशन के विस्तार की आवश्यकता है। तो प्रतीक्षा करिए क्या होता है। पर निश्चय ही कश्मीर की शांति के लिए कुछ बड़ा हो रहा है।

अवधेश कुमार


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