बढ़ता सोना : बढ़ती कीमतों का सवाल

Last Updated 18 Jul 2019 06:00:22 AM IST

इन दिनों पूरी दुनिया में सोने में तूफानी तेजी का परिदृश्य दिखाई दे रहा है, और सोने की कीमतें छह साल की ऊंचाई पर पहुंच गई हैं।


बढ़ता सोना : बढ़ती कीमतों का सवाल

सोने की कीमतें बढ़ने के चार प्रमुख कारण दिखाई दे रहे हैं। पहला, 5 जुलाई को घोषित वर्ष 2019-20 के बजट में सोने पर सीमा शुल्क 10 फीसद से बढ़ाकर 12.5 फीसद कर दिया है। दूसरा, दुनिया के केंद्रीय बैंकों द्वारा डॉलर की तुलना में सोने को महत्त्व दिया जा रहा है, और वे सोने की खरीदी बढ़ा रहे हैं। तीसरा, अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते ट्रेडवॉर के कारण वैश्विक मंदी का डर सता रहा है। ऐसे में  निवेशक  सोने की खरीदी को उपयुक्त मान रहे हैं, और चौथा, अमेरिका में ब्याज दरें घटने की संभावना से डॉलर कमजोर हुआ है, और इससे सोने की चमक में तेजी आई है।
गौरतलब है कि पूरी दुनिया के अधिकांश केंद्रीय बैंकों द्वारा की जा रही सोने की अधिक खरीदी के कारण सोने की कीमतें सर्वोच्च ऊंचाई पर पहुंच गई हैं। जून, 2015 में सोने की जो कीमतें करीब 1070 डॉलर प्रति औंस थीं, वे जुलाई, 2019 में करीब 1400 डॉलर प्रति औंस के पार हो गई हैं। भारत के बाजार में जुलाई, 2019 में सोने की कीमतें करीब 35 हजार रु पये हैं। यद्यपि भारत में सोने के दाम अब तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गए हैं, लेकिन सोने की ऊंचाई पर पहुंच गई कीमत के कारण नये सोने की मांग अधिक नहीं बढ़ी है, और सोने की अधिक कीमत हो जाने के कारण लोगों द्वारा पुराने सोने और गहनों की बिक्री सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई है। वस्तुत: पिछले कई वर्षो में सोने से दूरी बनाए रखने वाले केंद्रीय बैंकों के लिए सोना एक बार फिर से महत्त्वपूर्ण हो गया है।

रूस, चीन और भारत सहित दुनिया के कई देशों के केंद्रीय बैंकों ने पिछले कुछ महीनों में काफी मात्रा में सोना खरीदा है। 613 टन के सोने के भंडार के साथ भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) इस मामले में 10वां सबसे बड़ा सोने के भंडार वाला केंद्रीय बैंक है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि सोने की कीमतों में नई तेजी की जड़ें दुनिया के कई विकसित देशों द्वारा डॉलर के नये विकल्प की तलाश में आगे बढ़ने में भी हैं। चीन अमेरिकी डॉलर की तुलना में सोने की खरीदी पर अधिक जोर दे रहा है। कच्चे तेल के भंडार रखने वाले कई खाड़ी देश भी सोना खरीद रहे हैं। ऐसे परिदृश्य में निकट भविष्य में सोना मजबूत बना रह सकता है। चीन तथा रूस के साथ-साथ अमेरिका का विरोध करने वाले देशों द्वारा डॉलर की धार को मंद करना भी सोने की कीमतों की तेजी की एक वजह है। ये देश डॉलर की तुलना में सोने को महत्त्व दे रहे हैं। नि:संदेह  भारत में भी सोने की बढ़ती हुई मांग का बढ़ता हुआ परिदृश्य बता रहा है कि एक बार फिर भारत के निवेशक बड़ी संख्या में सोने की खरीदी की तरफ और अधिक आकर्षित हो रहे हैं। सोने की कुल वैश्विक मांग का एक तिहाई भारत में है। भारत में सोने की 90 फीसद मांग आभूषणों या भगवान को चढ़ाने के लिए होती है। बड़ी संख्या में लोग मंदिरों में सोना धार्मिंक आस्था की वजह से चढ़ाते हैं। इसके अलावा, सोने के आभूषण पहनना हमारी संस्कृति का अंग भी है।
भारतीय महिलाओं में सोने के प्रति जुनून को साफ तौर पर देखा और समझा जा सकता है। कई समुदायों में तो सोना होने की क्षमता से ही उनकी हैसियत का निर्धारण होता है। यहां तक कि शादी-ब्याह भी इस आधार पर तय होता है कि वर पक्ष या वधू पक्ष के पास कितना सोना है? सोने में अमीरों द्वारा किए जाने वाले निवेश के साथ-साथ गरीबों की ओर से भी लगातार छोटी-छोटी राशि का निवेश किया जा रहा है। वे भी अपनी छोटी-छोटी बचतों से छोटी-छोटी सोने की वस्तुएं खरीदते हैं। हमारे देश में इस समय सोने की खरीदी बढ़ने का एक बड़ा कारण यह भी है कि विभिन्न बचत योजनाओं में बचत करने वालों को समुचित प्रतिफल हासिल नहीं हो रहा है। विगत एक जुलाई से वित्त मंत्रालय ने विभिन्न छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में कमी की है। अभी भी देश के अधिकांश लोग शेयर बाजार में निवेश से दूर हैं। ऐसे में इस समय कोई भी व्यक्ति जो अपना पैसा बैंक की सावधि जमा योजना, किसी म्युचुअल फंड अथवा भविष्य निधि योजना में लगाने की इच्छा रख रहा है, उसे वर्तमान परिदृश्य में यह साफ नजर आ रहा है कि सोने में निवेश किसी अन्य बचत योजना की तुलना में अधिक लाभप्रद और विसनीय बन गया है।
निश्चित रूप से भारत जैसे विकासशील देश के लिए सोने में निवेश उत्पादक नहीं है। प्रति वर्ष देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का करीब तीन फीसद सोने की खरीदी के रूप में अनुत्पादक पूंजी में बदल रहा है। ऐसे में सोने की मांग घटाने के सार्थक प्रयास किए जाने जरूरी हैं। सोने की मांग घटाने के लिए लोगों के सामाजिक और सांस्कृतिक रुख में बदलाव लाया जाना जरूरी है। यहां यह ध्यान देने योग्य तथ्य है कि हमारे देश में जो बचत अब भी सामाजिक सुरक्षा का प्रमुख आधार बनी हुई है, वह बचत कम ब्याज दर से घटती जा रही है। यद्यपि छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर में कमी आई है, लेकिन देश के छोटे निवेशकों और बचतकर्ताओं को यह समझाया जाना होगा कि अभी भी छोटी बचत योजनाओं में दम है। वरिष्ठ नागरिक बचत योजना, सुकन्या समृद्धि योजना जैसी बचत योजनाएं आकषर्क और लाभप्रद बनी हुई हैं। हम आशा करें कि सरकार सोने की बढ़ती हुई खरीदारी के बीच देश के उपभोक्ताओं को उनकी बचत को सोने की खरीदी की तुलना में स्वर्ण बॉन्ड के विकल्प की ओर प्रवृत्त करने के लिए प्रयास करेगी। स्वर्ण बॉन्ड में निवेश पर सरकार ने कई तरह की रियायतों की घोषणा की है, जिससे इसमें निवेश ज्यादा फायदेमंद हो सकता है। ़
सरकार ने स्वर्ण बॉन्ड को बढ़ावा देने के लिए ऑनलाइन खरीदारी पर 50 रुपये प्रति ग्राम की छूट देने की घोषणा की है। इसका अंकित मूल्य 3443 रुपये प्रति ग्राम है, लेकिन यह निवेशकों को 1.45 फीसदी छूट के साथ मिल रहा है। इसके तहत एक ग्राम सोने के मूल्य के बराबर न्यूनतम बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं। स्वर्ण बॉन्ड की बिक्री पर होने वाले लाभ पर किसी तरह का कर नहीं लगता है। वर्तमान समय में इस पर 2.50 फीसद ब्याज मिल रहा है। हम आशा करें कि सरकार सोने में निवेश करने वालों के कदम शेयर बाजार की ओर मोड़ने के लिए भी लोगों का शेयर बाजार में विश्वास बढ़ाने के लिए सेबी की भूमिका को और भी प्रभावी बनाएगी।

जयंतीलाल भंडारी


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