श्यामा पी. मुखर्जी : मृत्यु रहस्य की जांच जरूरी

Last Updated 12 Jul 2019 06:41:54 AM IST

जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की ‘रहस्यमय मुत्यु’ की जांच की मांग लोक सभा में उठानेवाले सदस्य भाजपा के नहीं थे।


श्यामा पी. मुखर्जी : मृत्यु रहस्य की जांच जरूरी

यह मांग बीजू जनता दल (बीजद) के वरिष्ठ सांसद भर्तृहरि महताब ने तीन जुलाई को उठाई। भाजपा के एक भी सदस्य उनके समर्थन में भी कुछ नहीं बोले। मुखर्जी द्वारा स्थापित पार्टी की सरकार ने बीजद के सांसद की इस मांग पर ध्यान नहीं दिया। भाजपा के किसी सांसद ने मुखर्जी की ‘मृत्यु रहस्य’ की मांग उठाना तो दूर, दूसरे दल के सदस्य का साथ देना भी जरूरी नहीं समझा।

पश्चिम बंगाल से जीती भाजपा की लॉकेट चटर्जी मुखर्जी की मृत्यु रहस्य की जांच की मांग पर तो कुछ नहीं बोली, मगर उसका राजनीतिक लाभ अपने प्रबल प्रतिद्वंद्वी बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार के खिलाफ यह कहकर किया-‘श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बंगाल जल रहा है।’ 3 जुलाई का यह प्रकरण है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके मंत्रीगण इससे बेखबर 6 जुलाई को पड़ने वाली मुखर्जी जयंती भाजपा सदस्यता अभियान समारोह के रूप में मनाने की तैयारी में लगे थे। मोदी ने इसकी शुरुआत की अपने चुनाव क्षेत्र वाराणसी से। मुखर्जी की 118वीं जयंती पर नरेन्द्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की 18 फीट ऊंची तांबे की प्रतिमा की आधरशिला रखी और मुखर्जी से ज्यादा लाल बहादुर शास्त्री का देश के लिए योगदान का जिक्र किया।

मुखर्जी की 66वीं पुण्यतिथि के दिन 23 जून को भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने कहा कि 1953 में पूरे देश ने मुखर्जी की मृत्यु की जांच की मांग की थी, लेकिन जवाहर लाल नेहरू ने तवज्जो नहीं दी। नड्डा ने मुखर्जी की ‘रहस्यमय मृत्यु’ के लिए नेहरू और शेख अब्दुल्ला को जिम्मेदार ठहराया। आरएसएस के मुखपत्र ‘ऑर्गनाइजर’ और ‘पांचजन्य’ दोनों ने ही इस बयान को प्रमुखता से छापा है। लेकिन नड्डा ने अपनी सरकार से जांच कराने की मांग नहीं की। नड्डा ने यह भी नहीं कहा कि इस रहस्य से पर्दा उठना चाहिए कि नेहरू के पहले मंत्रिमंडल में मंत्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी की कश्मीर में मृत्यु कैसे हुई?

नेहरू के लिए भले यह मुद्दा नहीं रहा हो, मगर भाजपा के लिए भी मुखर्जी मृत्यु रहस्य की जांच कोई मुद्दा नहीं है। भर्तृहरि महताब ने लोक सभा में कहा कि आज तक मुखर्जी मृत्यु रहस्य की जांच नहीं हुई। संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मुखर्जी की मौत की जांच के लिए किसी सरकार ने कोई जांच कमिटी नहीं बनाई। सांसद ने कहा कि पश्चिम बंगाल विधान सभा द्वारा इस संबंध में पारित प्रस्ताव आज भी मौजूद है। यह प्रस्ताव उस समय की संघीय सरकार खास तौर पर गृह मंत्रालय को भेजा गया था कि मुखर्जी की मृत्यु के कारणों का पता लगाने के लिए जांच कमिटी गठित की जाए। महताब की भावनाएं मुखर्जी से जुड़ी हैं, जैसा उन्होंने कहा। महताब का चुनाव क्षेत्र कटक (ओडिशा) है, जहां मुखर्जी गए थे।

बीजद सांसद ने भाजपा नेताओं को यह भी याद दिलाया कि कश्मीर मुद्दे पर धारा-370 और 35-ए को लेकर जिन गलतियों का घोलमट्ठा किया गया है, उसके खिलाफ मुखर्जी लड़े थे। महताब द्वारा सदन में उठाई गई मुखर्जी की ‘रहस्यमय मृत्यु’ की जांच की मांग के संबंध में ध्यान देने वाला बिंदु ये है कि आज तक इसकी जांच हुई ही नहीं। उन्होंने यह नहीं कहा कि आज तक मुखर्जी की मृत्यु की जांच सदन के अंदर या बाहर उठाई गई या नहीं? ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं मिलता कि भाजपा नेताओं ने भी 50 वर्षो में कांग्रेस सरकारों से ऐसी मांग की हो।

यह तो हुई कांग्रेस की बात, लेकिन जब जनसंघ को 1977 में स्वयं सत्ता में आने का अवसर मिला और फिर भाजपा के रूप में जनसंघ की अपनी सरकार बनी तो मुखर्जी की रहस्यमय मौत की जांच के लिए कमिटी क्यों नहीं बनी? अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में जब पहली बार भाजपा की सरकार बनी तो नेताजी सुभाष चंद्र बोस की रहस्यमय मृत्यु/गुमशुदगी की जांच के लिए कमिटी बनी, जबकि बोस की मृत्यु की जांच के लिए उसके पहले दो-दो बार जांच कमिटी बन चुकी थी। मोदी जब 2014 में प्रधानमंत्री बने तो नेताजी मृत्यु रहस्य की जांच फाइलें किस्तों में ‘डिक्लासिफाई’ किया। यह बहुप्रचारित मामला है।

देश जानना चाहता है कि मुखर्जी की रहस्यमय मृत्यु की जांच कराने की जरूरत मोदी सरकार ने क्यों नहीं समझी? यही मामला जनसंघ के एक और संस्थापक व विचारक पं. दीनदयाल उपायाय के साथ भी लागू होता है, जिनकी लाश मुगलसराय स्टेशन पर यार्ड में पड़ी मिली थी। देश यह जानना चाहता है। पूर्व प्रधनमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की संदिग्ध मौत की जांच की मांग मोदी सरकार के विचाराधीन है। आखिर भाजपा की चुप्पी क्या कहती है?

शशिधर खान


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