उत्तर प्रदेश : बदलावों की ईमानदार मुहिम
मुरादाबाद में कारोबारियों के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बैठक में अचानक एक व्यक्ति खड़ा हुआ।
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अधिकारियों ने उसे बिठाने की कोशिश की तो सीएम ने कहा, बोलने दीजिए। उस व्यक्ति ने कहा, ‘हम समस्याएं तो आपके सामने रखेंगे ही, लेकिन उससे पहले दो बातों के लिए धन्यवाद करना चाहेंगे। पहली, कानून व्यवस्था की स्थिति के लिए। दूसरी, बिजली की स्थिति में अभूतपूर्व सुधार के लिए। निवेश के लिए सुरक्षित माहौल और पारदर्शी व्यवस्था की जरूरत होती है। उत्तर प्रदेश में ये दोनों हैं। फरवरी, 2018 में संपन्न इन्वेस्टर समिट में 4.68 लाख करोड़ के एमओयू पर सहमति बनी। पिछली जुलाई में पहली ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी में 60,000 करोड़ से ऊपर का निवेश राज्य में आया था। दोनों ही कार्यक्रमों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और देश के बड़े उद्योगपति मौजूद थे। दूसरी ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी जुलाई के अंतिम सप्ताह में होनी है। इसमें भी करीब करीब इतना ही निवेश आना तय है। कुल मिलाकर लगभग 1.3 लाख करोड़ के प्रोजेक्ट्स पर काम शुरू हो चुका है।
सचिवालय प्रशासन विभाग के कामकाज की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री योगी ने अधिकारियों से कहा, ‘भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों की सरकार में कोई जगह नहीं है।’ लोक सभा चुनाव में भाजपा को 80 में 62 सीटें दिलाने के बाद विभागों की समीक्षा बैठकों में उनके तेवर से साफ है कि वह पूरी सरकारी मशीनरी की ओवरहॉलिंग के मूड में हैं। 2017 के पहले जब भी उत्तर प्रदेश की चर्चा होती थी, तो अपराध और भ्रष्टाचार की ही बात हमारे मस्तिष्क में आती थी। सिर शर्म से झुक जाता था। इस बात को योगी बहुत अच्छे से महसूस करते हैं। इसलिए ही मुख्यमंत्री ने एक मौके पर पुलिसकर्मिंयों की कार्यशैली पर प्रश्न उठाते हुए साफ कहा कि भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करेंगे। अफसरों को निर्देश दिया, ‘जिन पुलिसकर्मिंयों की अपराधियों से सांठगांठ है, अभियान चलाकर उनकी पहचान करें। वर्दी के नाम पर कलंक बन चुके लोगों की विभाग में कोई जगह नहीं है।’
देश के सबसे अहम आयोग उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में जिस तरह से परीक्षा नियंत्रक पर कार्रवाई हुई है, वैसी नजीर देश में अन्यत्र देखने को नहीं मिली है। हां, असम लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष को भ्रष्टाचार के आरोप में जरूरी जेल भेजा गया था। अन्य आयोगों में सिर्फ सीबीआई ने ही कार्रवाई की है। एलटी ग्रेड परीक्षा की धांधली के आरोप में यूपीपीएससी की परीक्षा नियंत्रक के निलंबन की कार्रवाई ऐतिहासिक है। डेढ़ साल से आयोग को खंगाल रही सीबीआई भर्तियों में धांधली के सुबूत ही इकट्ठा करती रह गई और योगी की पुलिस ने आरोपित को सलाखों के पीछे भेज दिया।
वास्तव में योगी अपने तीखे तेवर और कड़े फैसलों की वजह से ही जाने जाते हैं। यह प्रदेश की जनता के मुफीद है। सपा-बसपा के 15 सालों के कार्यकाल के दौरान जमकर लूटपाट करने वाले सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को अपनी सरकार के ढाई साल के कार्यकाल में योगी काफी हद तक सुधारने में सफल रहे हैं, लेकिन अभी भी कई ऐसे हैं, जो दीमक की तरह सरकारी विभागों को खोखला करने में जुटे हैं। योगी सरकार ने बेईमान और नकारा अधिकारियों की नकेल कसने के लिए 50 वर्ष की आयु से अधिक के अधिकारियों के लिए अनिवार्य सेवानिवृत्ति के निर्देश दिए हैं। उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने की औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं। अप्रैल, 2017 से मार्च, 2018 तक 201 लोगों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई। करीब 400 लोगों को कड़ा दंड दिया गया है।
पेयजल की किल्लत से जूझ रहे प्रदेश खास कर काशीवासियों की परेशानियों को लेकर योगी खासे चिंतित हैं। वाराणसी पेयजल पाइप लाइन योजना को लेकर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए साफ निर्देश दिया है कि जिन लोगों की वजह से 9 वर्षो में यह योजना मूर्तरूप नहीं ले पाई है, 30 जून के बाद उन्हें जेल भेजा जाए। वह योजना से जुड़े उन कर्मचारियों और अधिकारियों को भी छोड़ने के मूड में नहीं हैं, जो रिटार्यड हो चुके हैं।
योगी आदित्यनाथ को साफ तौर पर पता है कि जनता को सरकार से नहीं, अधिकारियों और कर्मचारियों से रोज काम करवाना पड़ता है। जनता का सामना भ्रष्ट कर्मिंयों से होगा तो जनता के मन में सरकार के प्रति नकारात्मक छवि बनने लगेगी। इसलिए वह भ्रष्ट कर्मचारियों को चेताने के साथ ही उनके खिलाफ कड़े कदम उठाने में संकोच नहीं कर रहे। आने वाला वक्त ही बताएगा कि अपने इस अभिनव प्रयास में योगी कितना सफल रहे।
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