बतंगड़ बेतुक : अभिभाषण पर अभिभूत है प्रजातंत्र

Last Updated 23 Jun 2019 07:21:51 AM IST

अनुभवी राष्ट्रपति ने अभिभूत होकर अभिनव अभिभाषण दिया। प्रधानमंत्री अभिभूत हो गये, प्रधानमंत्री के अधीनस्थ मंत्री अभिभूत हो गये, मंत्रियों के सखा-संघाती सांसद समूह अभिभूत हो गये।


बतंगड़ बेतुक : अभिभाषण पर अभिभूत है प्रजातंत्र

अभिभूत होने जैसा कुछ न पाकर विपक्षीगण अभिभूत हो गये। अभिभूत होने के प्रयास में विफल होकर राहुल बाबा अपनी अभिभूति अपने फोन में ले गये। मीडिया ने चुटकी ली कि अद्भुत अभिभाषण से कान हटा बाबा अपनी दृष्टि मोबाइल स्क्रीन पर टिका रहे थे। राहुल बाबा के समर्थक बोले कि अभिभाषण बहुत क्लिष्ट था। सो, उसे समझने के लिए राहुल बाबा अपना गूगल चला रहे थे।
बहरहाल, सब अभिभूत हैं। सरकार ने क्या-क्या अनूठे काम किये हैं, सब अभिभाषण से पहचान चुके हैं। आगे सरकार क्या-क्या अद्भुत काम करेगी, यह भी जान चुके हैं। जो सरकार के काम को पहचानना नहीं चाहते, उसके वादों को जानना नहीं चाहते और जो जरा सा अभिभूत होने में ही चुक जाते हैं, अभिभूत होने से पहले ही रुक जाते हैं, वे निहायत ही असंवेदनशील हैं। सरकार उनका क्या करे, उनकी चिंता में क्यों मरे। जब देश अभिभूत है, देश का जनतंत्र अभिभूत है, गणतंत्र अभिभूत है, लोकतंत्र अभिभूत है और सर्वाधिक प्रजातंत्र अभिभूत है तो विकलांग अभिभूतहीनता पर कौन कान दे, कौन ध्यान दे। प्रजा ने अपना प्रजातंत्र चुन लिया है क्योंकि वह प्रजा है और प्रजा राजा के बिना नहीं रह सकती। इसलिए प्रजा के हर हिस्से ने अपना-अपना राजा चुन लिया है। राजाओं की अपनी-अपनी जागीरें हैं, अपने-अपने रजवाड़े हैं जिनकी रक्षा के लिए वे हर समय जंग छेड़े रहते हैं, रास्ता कितना भी सीधा-सपाट हो उस पर टेढ़े ही रहते हैं। प्रजा की बहबूदी और खुशहाली के लिए प्रजा से नारे लगवाते रहते हैं, प्रजा के हाथ-पैर उछलवाते रहते हैं। राजाओं और नवाबों को खुश रखने के लिए प्रजा कभी जयश्री राम के नारे लगाती है, तो कभी अल्ला हू अकबर का नारा लगाती है।

वह वंदे मातरम बोलती है, भारत माता की जय बोलती है, जय हिंद बोलती है, जय श्रीकृष्ण बोलती है, राधे-राधे बोलती है, जय भीम बोलती है, जय जवान जय किसान भी बोलती है। प्रजा हर-हर महादेव बोलती है, घर-घर मोदी भी बोलती है। प्रजा अपने राजा के इशारे पर वोट देती है, दंगे करती है, पंगे लेती है। प्रजा अपने राजा के हर कुकर्म को नजरअंदाज कर जाती है, कभी कोई आवाज नहीं उठाती है। राजा किसी दूसरे की तरफ इशारा कर दे तो हाय हाय चिल्लाती है।
अभिभाषण के बाद प्रजा खुश है। जिसे खुश होना चाहिए वह तो खुश है ही, जिसे नाखुश होना चाहिए वह भी खुश है। हर मंत्रालय खुश है कि जो वह करता रहा है वह आगे भी करता रहेगा। हर सचिवालय खुश है कि जो वहां होता रहा है आगे भी वही होता रहेगा। हर अधिकारी खुश है कि कुछ भी उलटा-सीधा करने के उसके अधिकार में न कोई कटौती कर पाया है न आगे कोई कटौती कर पाएगा। हर बाबू खुश है कि तनख्वाह के अलावा वह जितना कुछ घर ले जाता रहा है, उतना ही आगे भी ले जा पाएगा। पुलिस खुश है कि दो-चार अपवादों को छोड़कर कोई उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा, उसके र्ढे में कोई बदलाव नहीं ला पाएगा। अपराधी खुश हैं कि जब न प्रशासनतंत्र बदलेगा, न पुलिसतंत्र बदलेगा तो कोई उनका क्या उखाड़ लेगा, क्या बिगाड़ लेगा। हर कॉरपोरेट व्यापारी खुश है कि जैसे वह सरकारी दामाद रहता आया है, आगे भी वैसा ही रहेगा। मीडिया खुश है कि कोई आये कोई जाये उसकी उंगलियां घी में और सर कड़ाही में रहेगा। किसान, मजदूर खुश हैं कि वादों, आश्वासनों में जो उन्हें मिलता रहा है वह आगे भी मिलता रहेगा। बेरोजगार खुश हैं कि सरकारों के बूते न पहले कुछ हुआ है, न आगे कुछ होगा और अगर उनका कोई भविष्य है तो भगवान भरोसे होगा।
अभिभाषण के बाद देश में नई उम्मीद जगी है, नया उत्साह आया है, नई दिशा मिली है, विकास का नया स्वप्न आया है, देश छलांग लगाकर आगे बढ़ेगा ऐसा संकल्प आया है। देश अंगड़ाई लेकर उठेगा और विश्व की शीषर्तम अर्थव्यवस्थाओं के बीच जा बैठेगा। राफेल आ जाएगा, अपाचे आ जाएगा। सेना की शक्ति देखकर दुश्मन दहल जाएगा। गरीबी, बदहाली देश का रास्ता नहीं रोक पाएंगी, बीमारी और कुपोषण से होतीं मासूम बच्चों की मौतें कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगी। औरतों और मासूम बच्चियों के प्रति अपराध देश की रफ्तार को रोक नहीं पाएंगे, उस पर लगाम नहीं लगा पाएंगे। न किसानों की बदहाली कुछ कर पाएगी और न बेरोजगारों की बेरोजगारी डरा पाएगी। बढ़ते प्रदूषण की चपेट में आते शहर देश को नाकाम नहीं कर पाएंगे, पानी के निरंतर कम होते स्रोत और बूंद-बूंद को तरसते लोग सफलता के आड़े नहीं आएंगे। बढ़ती आबादी के बोझ तले संसाधन भले चरमरा जाएं मगर देश आगे बढ़ता जाएगा, तरक्की की नई सीढ़ियां चढ़ता जाएगा। नेताओं की डरावनी गैर-जिम्मेदारी चाहे जितना नीचे उतर जाये, नियामक संस्थाओं का जमीर पूरी तरह मर जाये पर देश महान बनकर रहेगा, देश का सीना तनकर रहेगा। अभिभाषण के बाद प्रजा अभिभूत है प्रजातंत्र बेहद मजबूत है।

विभांशु दिव्याल


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