नरेन्द्र मोदी : सम्मान के मायने
भारत के आम चुनाव में दुनिया की कितनी अभिरुचि है, उसका आभास प्रमुख देशों की मीडिया कवरेज से चल जाता है।
नरेन्द्र मोदी : सम्मान के मायने |
पाकिस्तान की चर्चा यहां नहीं करूंगा क्योंकि वहां की मीडिया का तो इस समय मख्य मुद्दा ही भारत का चुनाव है। इमरान खान ने प्रथम चरण के चुनाव के ठीक पहले एक बयान दे दिया कि अगर नरेन्द्र मोदी सत्ता में वापस आते हैं तो भारत के साथ संबंधों के लिए बातचीत में आसानी होगी। मोदी के प्रति उनका इतना प्यार अनायास तो नहीं छलक सकता। इमरान ने एक कुटिल चाल चली है। उन्हें पता है कि जिसके पक्ष में वे बयान देंगे उस पर अन्य पार्टयिां हमला करेंगी, उसे अपना बचाव करना होगा एवं उसके कुछ वोट अवश्य कटेंगे। इस तरह उनका प्रकट मोदी प्रेम वस्तुत: भाजपा को नुकसान पहुंचाने के लिए था।
आप पाकिस्तानी मीडिया पर होने वाली चर्चाओं को देख लीजिए कि मोदी को लेकर वहां क्या धारणा है? किंतु दुनिया भर में पाकिस्तान को छोड़कर कहीं से भी मोदी के विरोध में वातावरण का समाचार नहीं आ रहा है। उल्टे चुनाव की घोषणा के पूर्व एवं बाद से कुछ घटनाएं ऐसी हुई जो और ही संकेत देतीं हैं। इस कड़ी में ये पंक्तियां लिखे जाने तक सबसे अंतिम घोषणा रूस की है। रूस ने कहा है कि वह प्रधानमंत्री मोदी को अपने देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान (ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल) देगा। मोदी इस मायने में सौभाग्यशाली हैं कि रूस को मिलाकर उनको आठ अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल जाएंगे। इसका सबसे अहम पहलू यह है कि इनमें से चार सम्मान मुस्लिम देशों, सऊदी अरब, फलस्तीन, अफगानिस्तान और संयुक्त अरब अमीरात ने दिया है। यह स्वीकार करना होगा कि देश में राजनीतिक विरोधियों की आलोचनाओं के परे वि स्तर पर उनका सम्मान है। किंतु यहां मूल प्रश्न दूसरा है। रूस ने अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान देने की घोषणा लोक सभा चुनाव अभियान के बीच दिया है। तो इसके राजनीतिक मायने अवश्य हैं।
संयुक्त अरब अमीरात ने भी पिछले दिनों मोदी को सर्वोच्च नागरिक सम्मान जायद मेडल से सम्मानित किए जाने की घोषणा की। चुनाव अभियान के बीच ही मोदी की संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा निर्धारित है। वहां वे सम्मान प्राप्त करेंगे और एक मंदिर का उद्घाटन करेंगे, जिसके लिए जमीन उनकी पूर्व यात्रा के दौरान मिली थी। संयुक्त अरब अमीरात को भी मालूम है और रूस को भी कि इसका असर चुनाव पर पड़ सकता है। मतदाताओं को लगेगा कि उनके नेता का जब दुनिया इतना सम्मान कर रही है तो हम क्यों उसे हराएं। मंदिर उद्घाटन का असर भाजपा के मूल मतदाताओं पर होगा यह भी संयुक्त अरब अमीरात को पता है। यह सब चुनाव में मोदी की छवि को ऊपर उठाने वाले निर्णय हैं। 2019 की शुरु आत से ही दुनिया को मालूम था कि भारत में आम चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। बावजूद वे मोदी को अलग-अलग मंचों पर महत्त्व देते रहे तो यह अकारण नहीं हो सकता। पिछले फरवरी में उन्हें दक्षिण कोरिया ने अंतरराष्ट्रीय सियोल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया था। इसे एशिया का नोबल कहा जाता है। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ने मोदी का दिया हुआ बंडी पहनकर तस्वीर ट्वीट किया, जिसमें उनको अपना गहरा दोस्त बताया।
तो क्या दुनिया के अनेक देश, जिसमें प्रमुख मुस्लिम देश भी शामिल हैं, मोदी को हर हाल में विजयी होने देखना चाहते हैं? जिस तरह से अमेरिका खुलकर भारत के पक्ष में बयान दे रहा है वह प्रकारांतर से मोदी के पक्ष में ही है। उपग्रहरोधी मिसाइल परीक्षण पर इस समय अमेरिका ने जितना मुखर बयान दिया है, वह भारतीय विदेश नीति की यकीनन बहुत बड़ी सफलता है। अमेरिका भारत के साथ इस तरह प्रखरता से खड़ा होगा इसकी कल्पना शायद ही किसी को हो। अमेरिकी कूटनीतिक कमान के कमांडर जनरल जॉन ई हीतेन ने सीनेट की शक्तिशाली सशस्त्र सेवा समिति से कहा कि सवाल है कि उन्होंने ऐसा क्यों किया और मुझे लगता है कि उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वे अंतरिक्ष से अपने देश के समक्ष पेश आ रहे खतरों को लेकर चिंतित हैं। इसलिए उन्हें लगता है कि उनके पास अंतरिक्ष में अपना बचाव करने की क्षमता होनी चाहिए। याद करिए जब नासा ने कहा था कि भारत के मिसाइल परीक्षण से पैदा मलबों से अंतरिक्ष स्टेशनों को खतरा है तो पेंटागन ने इसका त्वरित खंडन किया था।
उसे पता है कि चुनाव के समय ऐसे बयान मोदी के पक्ष में ही जाएंगे। अभी कुछ ही दिनों पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि मोदी अच्छे दोस्त हैं, लेकिन अमेरिकी सामान पर 100 प्रतिशत कर वसूलते हैं। ट्रंप संदेश देना चाहते थे कि अमेरिकी सामानों पर ज्यादा कर लगाने वाले देशों के खिलाफ हमने कार्रवाई की है, लेकिन भारत को अलग रखा है तो मोदी के कारण। आखिर रूस के राष्ट्रपति पुतिन को इसी समय मोदी को सर्वोच्च सम्मान देने की याद क्यों आई? 57 सदस्य देशों वाला इस्लामिक सम्मलेन संगठन ओआईसी ने पहले भारत को घुसने नहीं दिया। इस बार अचानक उसने भारत को गेस्ट ऑफ ऑनर बना दिया। पाकिस्तान वहां नहीं गया किंतु ओआईसी ने भारत का निमंतण्रवापस नहीं लिया।
अभी मालदीव के संसदीय चुनाव में पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नसीद की मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी की विजय हुई तो मोदी को धन्यवाद का बयान दिया गया। इन सबका सीधा निष्कर्ष यही निकलता है कि प्रमुख देश चाहते हैं कि मोदी फिर प्रधानमंत्री बनें। वे सीधे ऐसा नहीं कह सकते तो मोदी को सम्मानित कर रहे हैं, भारत के साथ खड़ा होने का बयान दे रहे हैं या दूसरे तरीके से भारत को महत्त्व दे रहे हैं। हम मोदी के विरोधी हों या समर्थक, किंतु यह सच है कि उन्होंने विदेशी नेताओं से कूटनीतिक और उसके परे भी व्यवहार से प्रभावित कर निजी संबंध विकसित किए हैं। दुनिया के मुद्दों पर सीधी बात करके और प्रमुख समस्याओं पर सही भूमिका निभाकर प्रभाव स्थापित किया है। ब्लादीमिर पुतिन भी अंतरराष्ट्रीय मसलों पर बातचीत के लिए मोदी को आमंत्रित कर दो दिनों तक बातचीत करते हैं।
चीन के राष्ट्रपति शि जिनिपंग भी कूटनीतिक बंधनों से परे खुलकर बात करने के लिए मोदी को वुहान बुलाते हैं। डोकलाम में 73 दिनों तक भारतीय सेना भूटान के पक्ष में खड़ी रही और चीन को पीछे हटना पड़ा। तो ऐसा नहीं है कि संबंधों के लिए मोदी देश के मामले में कहीं नरम रवैया अपनाते हैं। सौर उर्जा के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठन बनाया, जिससे 104 देश जुड़ चुके हैं। आतंकवाद पर हर मंच से मोदी ने सबसे ज्यादा मुखर आवाज दी है। इन सबसे दुनिया को लगता है कि मोदी में नेतृत्व की बेहतर क्षमता है। आश्चर्य नहीं होगा अगर चुनाव प्रक्रिया के बीच किसी देश से फिर ऐसी घोषणा हो जाए जो मोदी की छवि को और मजबूत करने वाला है।
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