मुद्दा : विराट का लचर प्रदर्शन

Last Updated 10 Apr 2019 07:00:37 AM IST

आईसीसी विश्व कप शुरू होने में मुश्किल से सवा महीना बचा है। लेकिन दुनिया के सर्वश्रेष्ठ कप्तानों में शुमार टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली का पिछले दिनों में जिस तरह का प्रदर्शन रहा है, उसे देखकर चिंता होना लाजिमी है।


मुद्दा : विराट का लचर प्रदर्शन

विराट पर एक क्रिकेटर के तौर पर शायद ही किसी को संदेह रहा हो। जिस खिलाड़ी ने 227 वनडे मैचों में 59.57 की औसत से 10843 रन ठोकने के साथ सचिन तेंदुलकर के बाद सबसे ज्यादा 41 शतक बना दिए हों, उस पर संदेह हो भी कैसे सकता है। विराट की विश्व कप में जिम्मेदारी बल्ला चलाना ही नहीं, बल्कि चतुराई भरी कप्तानी से टीम को सफलताएं दिलाना है। पर वह आईपीएल के 12वें संस्करण में जिस तरह से रॉयल चैलेंजर्स, बेंगलुरू की कप्तानी कर रहे हैं, उससे निराशा होती है। उनकी अगुआई में यह टीम पहले छह मैच हारकर क्वालिफाइंग की दौड़ से किसी हद तक बाहर हो गई है। विराट इस टीम को एक सूत्र में पिरोने में विफल दिख रहे हैं।
आईपीएल मैचों में मैदान में विराट की बॉडी लेंग्वेज को देखकर लगता ही नहीं कि वह टीम इंडिया के सफलता प्रतिशत के हिसाब से नियमित कप्तानों में सबसे सफल रहने वाले कप्तान हैं। उन्होंने टीम इंडिया का 68 मैचों में नेतृत्व किया है, जिनमें से 49 जीते और 17 हारे हैं। उनका सफलता प्रतिशत 73.88 है। देश के लिए सबसे ज्यादा 110 जीतें हासिल करने वाले कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के 59.52 के मुकाबले उनका सफलता प्रतिशत बेहतर है।

लेकिन आईपीएल के इस सत्र में आरसीबी द्वारा खेले मैचों में ऐसा कमाल अब तक तो देखने को नहीं मिला है। विराट की कप्तानी में चतुरता का पुट तो दूर की बात बल्कि खामियां ज्यादा दिख रही हैं। धोनी की अगुआई वाली सीएसके के खिलाफ चेन्नई में वह विकेट के मिजाज को जाने बगैर दो स्पिनरों के साथ उतर गए और धोनी की टीम ने स्पिनरों के बूते पर मैच जीत लिया। इसी तरह कोलकाता नाइट राइडर्स केखिलाफ 205 रन के लक्ष्य का बचाव करते समय जब टीम जीत की तरफ बढ़ती दिख रही थी, तब उनके गेंदबाजों के पास आखिरी ओवरों में रसेल पर लगाम कसने की कोई योजना नहीं थी। रसेल के धमाल से आरसीबी हार गई।

इन सब बातों के बीच पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर की बात में दम दिखता है कि विराट बल्लेबाज तो बेहतरीन हैं पर कप्तान नौसिखिया। वह कहते हैं कि मेरे हिसाब से वह व्यवहारकुशल कप्तान भी नहीं हैं। वह कहते हैं कि विराट भाग्यशाली हैं कि बिना कुछ खास किए आरसीबी के आठ साल से कप्तान बने हुए हैं। आठ साल से कप्तान रहते हुए अपनी टीम को एक बार भी चैंपियन नहीं बना सके हैं। पिछले साल आरसीबी छठे और 2017 में आखिरी स्थान पर रही थी। ऐसे प्रदर्शन पर किसी भी कप्तान की इस पेशेवर लीग में छुट्टी हो जाती पर विराट टीम इंडिया के सफल कप्तान होने की वजह से इस पद पर जमे हुए हैं।
आईपीएल में आरसीबी के शर्मनाक प्रदर्शन में विराट की कप्तानी ही नहीं बल्लेबाजी में खराब प्रदर्शन की भी अहम भूमिका रही है। अब तक खेले छह मैचों में 33.83 के औसत से 203 रन ही बना सके हैं, जिसमें सिर्फ एक अर्धशतक शामिल है। यही नहीं वह कुछ मौकों पर गुगली गेंदों को समझ नहीं पाने के कारण बोल्ड तक हो चुके हैं। इससे यह तो लगता है कि उन्हें विश्व कप से पहले नेट्स पर खामियों पर पार पाने के लिए काम करना चाहिए। इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन ने तो विराट को विश्व कप के लिए आराम देने की सलाह तक दे दी है। पर यह भी लगता है कि विराट को रंगत पाने के लिए एक धमाकेदार पारी की जरूरत है। यदि अगले मैचों में विराट के साथ एबी डिविलियर्स का बल्ला धूम मचाने लगे और गेंदबाज थोड़े योजनवद्ध ढंग से गेंदबाजी करने लगे तो आरसीबी की किस्मत बदल भी सकती है। विराट वैसे भी ऐसे खिलाड़ी हैं कि आलोचनाओं का मुंह तारीफों की तरफ मोड़ने का माद्दा रखते हैं।
सही है कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पिछली सीरीज हारने के दौरान भी विराट की नेतृत्व क्षमता पर सवालिया निशान उठते नजर आए थे। पर इन सब बातों का विश्व कप पर प्रभाव शायद ही पड़े। इसकी वजह यह है कि विश्व कप के दौरान मैदान पर विराट को सलाह देने के लिए धोनी होंगे। यह कहा भी जाता है कि विराट की सफलताओं में धोनी की सलाहों की अहम भूमिका रहती है। विश्व कप के बाद धोनी संन्यास लेते हैं तो विराट की मदद कौन करेगा। यह काल्पनिक सवाल है क्योंकि बहादुरों की राह खुद बन जाती है। इसलिए धोनी के संन्यास के बाद भी विराट के सफल कप्तानी कॅरियर की उम्मीद करनी चाहिए।

मनोज चतुर्वेदी


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