पाकिस्तान : झांसे में न आएं
चुनावी और दलीय राजनीति की दर्दनाक सीमाएं बार-बार स्पष्ट हो रही हैं। दो घटनाओं को हम आधार बना सकते हैं।
पाकिस्तान : झांसे में न आएं |
मीडिया में यह खबर अचानक सुर्खियां बन गई कि अमेरिका के रक्षा विभाग ने पाकिस्तान में एफ 16 विमानों की गिनती की है, और वह संख्या में पूरी पाई गई। इसके एक दिन पहले अमेरिका से ही आई खबर हमारे यहां सर्वाधिक महत्त्व की थी कि नासा ने भारत के इस दावे को खारिज किया है कि अंतरिक्ष में उपग्रह विरोधी मिसाइल के परीक्षण से पर्यावरण को कोई खतरा नहीं पहुंचा। उसके अनुसार भारत द्वारा ध्वस्त उपग्रह के टुकड़े अंतरिक्ष में कायम रहेंगे जो भविष्य के लिए खतरनाक हो सकते हैं। दोनों खबरों को इस तरह प्रस्तुत किया गया मानो भारत की सरकार, सेना, रक्षा संस्थान, अंतरिक्ष संस्थान..सब झूठे दावे करते हैं। दोनों समाचार ऐसे थे, जिनसे पूरी दुनिया में भारत की विकृत छवि निर्मिंत हो रही थी। बाद में दोनों समाचारों की अमेरिका से ही धज्जियां उड़ गई। किंतु तब तक इस खबर से देश में अजीब माहौल बनाया जा चुका था।
इस पर गहराई से विचार करना जरूरी है। आखिर, अमेरिका की फॉरेन पॉलिसी पत्रिका ने खबर दी और हमने उसे ब्रह्मवाक्य मान लिया। यह भी नहीं सोचा कि हमारी वायु सेना ने बाजाब्ता पत्रकार वार्ता करके कहा था कि पाकिस्तान द्वारा एफ 16 विमान के उपयोग तथा उनको गिराए जाने के सबूत हमारे पास हैं। यह भी ध्यान रखिए कि इस समाचार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने ट्वीट कर दिया था। इमरान के ट्वीट को देखिए-सच की हमेशा जीत होती है, और यही श्रेष्ठ नीति है। युद्ध का उन्माद फैला कर चुनाव जीतने का भाजपा का प्रयास और पाक एफ-16 को मार गिराने के झूठे दावे उलटे पड़ गए हैं। अमेरिकी रक्षा अधिकारियों ने भी पुष्टि कर दी है कि पाकिस्तानी बेड़े से कोई एफ-16 गायब नहीं है। हम पत्रकार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के ट्वीट को तो फॉलो करते ही हैं। बस, धड़ाधड़ समाचार फ्लैश। हमने नहीं सोचा कि यह पाकिस्तान की कुटिल नीति हो सकती है। भारतीय वायु सेना ने 28 फरवरी को पाकिस्तानी एफ-16 से दागी गई मिसाइल के टुकड़े साक्ष्य के तौर पर दिखाए थे जो निर्णायक रूप से इस बात की पुष्टि करते थे कि पाकिस्तान ने कश्मीर में भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने के लिए एफ-16 विमान का इस्तेमाल किया था। हमारे लिए अमेरिकी पत्रिका, इमरान सच और अपनी वायु सेना झूठी हो गई।
हमने तनिक भी सोचने की जहमत नहीं उठाई कि एफ 16 का प्रयोग कर पाकिस्तान फंस गया है, क्योंकि अमेरिका ने उसे विमान देते समय शर्त रखी थी कि इसका उपयोग केवल आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में होगा। भारत उसकी असलियत सामने लाने की रणनीति पर काम कर रहा है। इसमें यह पूरा प्रकरण उसके द्वारा पैदा किया गया हो सकता है। अगर इन सबको ध्यान में रखा जाता तो समाचार की तस्वीर ही अलग होती। हमें तो अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन का शुक्रिया कहना चाहिए जिसने बिना लाग-लपेट कह दिया कि हमारे पास ऐसी किसी जांच के बारे में कोई जानकारी नहीं, जिसमें पाकिस्तान के एफ-16 विमानों की गिनती की गई हो। साफ है कि जानबूझकर भारत को नीचा दिखाने, सेना के साथ आम भारतीय का मनोबल गिराने के लिए समाचार के रूप में झूठ गढ़ा गया था।
अब आइए, दूसरे समाचार पर। नासा ने मिशन शक्ति को बेहद खतरनाक बताते हुए कहा कि इसकी वजह से अंतरिक्ष की कक्षा में करीब 400 मलबे के टुकड़े फैल गए हैं, जिनसे आने वाले दिनों में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में मौजूद स्पेस असेट्स के लिए खतरा उत्पन्न हो सकता है। दनादन भारत में समाचार फ्लैश और बयान पर बयान आने लगे। किसी ने नहीं सोचा कि यह आरोप हमारे देश पर है। खैर, डीआरडीओ के अध्यक्ष जी सतीश रेड्डी ने नासा के वक्तव्य को तथ्यों के साथ खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि हमने 300 किलोमीटर से भी कम दूरी के लोअर ऑर्बिट को चुना जिससे अन्य देशों के स्पेस असेट्स को नुकसान न हो। सारा मलबा 45 दिन के अंदर नष्ट हो जाएगा। मलबे पर नजर रखने के लिए तकनीक मौजूद हैं, जिनसे उनको गिरते देखा जा सकता है। हमारा देश ऐसा है जो शायद रेड्डी को भी आरोपों के घेरे में ला देता पर यहां भी अमेरिकी रक्षा विभाग आ गया। उसने साफ कह दिया कि मलबे 45 दिनों में धरती पर गिर जाएंगे। जरा देखिए, अमेरिका का रक्षा विभाग भारत के साथ खड़ा होता है, पर हम भारतीय अपने देश की क्षमता और दावों पर विश्वास करने करने को तैयार नहीं हैं। पी. चिदंबरम जैसे वरिष्ठ नेता कहने लगे कि मूर्ख सरकार ही अपनी शक्ति को उजागर करती है, बुद्धिमान सरकार कभी ऐसा नहीं करती। रेड्डी ने कहा कि मिशन शक्ति की प्रकृति गोपनीय रखने की नहीं है।
ये दोनों प्रकरण हमें एक भारतीय के नाते आत्मचिंतन को प्रवृत्त करते हैं, या नहीं? एफ 16 मामले में साफ दिख रहा है कि अमेरिका में सक्रिय पाकिस्तानी लॉबिस्टों ने समाचार प्लांट कराया और इमरान ने उसे फैलाने वाले एजेंट की भूमिका निभाई। कुलभूषण जाधव मामले में हमारे पत्रकारों ने जो लेख लिखे उन्हें ही पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में उसे रॉ का जासूस साबित करने के लिए प्रस्तुत कर दिया। साफ था कि पाकिस्तान ने रणनीति के तहत वह जानकारियां फैलाई थीं। पाकिस्तान के अलावा भी दुनिया में ऐसे देश और समूह हैं, जो प्रमुख शक्ति के रूप में भारत के उभार को सहन नहीं कर पा रहे। ऐसे लोग सीधे विरोध नहीं कर सकते तो परोक्ष रूप से आपको झूठा बनाएंगे। आपके विरुद्ध माहौल बनाने की कोशिश करेंगे। आखिर नासा ने इस तरह का गैर-जिम्मेदार बयान क्यों दिया? वहां भी तो भारत विरोधी होंगे जिनको हमारी सफलता से ईष्र्या होगी। यह तो हमारी विदेश नीति और कूटनीति की सफलता है कि अमेरिका समेत कई देश साथ खड़े हो जाते हैं, या कम से कम सार्वजनिक तौर पर विरोध करने या प्रश्न उठाने की सीमा तक नहीं जाते। कहने का तात्पर्य यह कि भारत आज ऐसी जगह है, जहां हमें सतर्क रहने की जरूरत है। ऐसा नहीं हुआ तो ये हमारे आंतरिक मतभेदों का लाभ उठाकर हमें यथासंभव नुकसान पहुंचा सकते हैं। दुर्भाग्य से अभी भी हम इस स्थिति को समझने के लिए तैयार नहीं दिखते।
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