सामयिक : जवाब दिया जा रहा है

Last Updated 19 Feb 2019 06:46:28 AM IST

यह सेना की बहुत बड़ी सफलता है कि उसने पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड अब्दुल रशीद गाज़ी को आखिरकार मार गिराया हालांकि इस ऑपरेशन में एक मेजर समेत हमारे चार जांबाज सिपाही वीरगति को प्राप्त हुए।


सामयिक : जवाब दिया जा रहा है

देश इस समय बेहद कठिन दौर से गुज़र रहा है क्योंकि हमारे सैनिकों की शहादत का सिलसिला लगातार जारी है। अभी भारत अपने 40 वीर सपूतों को धधकते दिल और नाम आंखों से अंतिम विदाई दे भी नहीं पाया था, राष्ट्र अपने भीतर के घुटन भरे आक्रोश से उबर भी नहीं पाया था, कि 18 फरवरी की सुबह फिर हमारे पांच जवानों की शहादत की एक और हिला देने वाली खबर आई। पुलवामा की इस हृदयविदारक घटना ने इतना तो साबित कर ही दिया कि बिना स्थानीय मदद के ऐसी किसी वारदात को अंजाम देना संभव नहीं था। कहने की आवश्यकता नहीं कि इस वीभत्सता में कश्मीरियत, जम्हूरियत और इंसानियत ने कब का दम तोड़ दिया है। 
घाटी में आतंक का ये सिलसिला जो 1987 से शुरू हुआ था वह अब निर्णायक दौर में है। देश के प्रधानमंत्री ने नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि जवानों के खून की एक-एक बूंद और हर आंख से गिरने वाले एक-एक आंसू का ऐसा बदला लिया जायेगा कि विश्व इस न्यू इंडिया को महसूस करेगा। स्पष्ट है कि वह इस बार आरपार की लड़ाई के पक्ष में है और यह सही भी है; क्योंकि देश में हुए आतंकवादी हमले के बाद इस समय जो देश का माहौल बना हुआ है, वह शायद इससे पहले कभी देखने को नहीं मिला। आज देश की हर आंख नम है, हर दिल शहीदों के परिवार के दर्द को समझ रहा है।

ये वाकई में एक नया भारत है जिसमें आज हर दिल में देशभक्ति की ज्वाला धधक रही है। यह एक अघोषित युद्ध का वह दौर है जिसमें हर व्यक्ति देश हित में अपना योगदान देने के लिए बेचैन है। कोई शहीदों के बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेदारी ले रहा है तो कोई अपनी एक महीने की तनख्वाह दे रहा है। स्थिति यह है कि ‘भारत के वीर’ कोष में मात्र दो दिन में 6 करोड़ से ज्यादा की राशि जमा हो गई। आज देश की मन:स्थिति का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि देश का बच्चा-बच्चा और महिलाएं तक कह रही हैं कि हमें सीमा पर जाने दो। हम पाकिस्तान से बदला लेने को बेताब हैं।
पूरा देश अब पाकिस्तान से बातचीत नहीं बदला चाहता है। हालात यह हैं कि पाक से बातचीत करने जैसा बयान देने पर नवजोत सिंह सिद्धू को एक टीवी शो से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है तो कहीं पाकिस्तान से हमदर्दी जताने वाले को नौकरी से बाहर कर दिया जाता है। जिस देश में कुछ समय पहले तक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर देश विरोधी नारे लगाने वालों के पक्ष में कई राजनैतिक दलों के नेता और मानववादी संगठन इकट्ठा हो जाते थे, आज वह देश भारत माता की जय और वंदे मातरम जैसे नारों से गूंज रहा है। यह नए भारत की गूंज ही है कि अपने भाषणों में हरदम आग उगलने वाले ओवैसी जैसे नेता आतंकवाद के खिलाफ बोलते हैं। यह नए भारत की ताकत ही है कि कश्मीर के अलगाववादी नेताओं को मिलने वाली सुरक्षा और सुविधाओं के छीने जाने पर फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे घाटी के नेता शांत हैं। और नए भारत की यह ताकत सिर्फ  देश में ही नहीं, दुनिया में भी दिखाई दी जब आतंकवाद की वीभत्स घटना पर विश्व के 48 देशों ने भारत को समर्थन दिया। अमेरिका से लेकर रूस ने कहा कि भारत को आत्मरक्षा का हक है और वे भारत के साथ हैं।
और यह नए भारत की शक्ति ही है कि आज पाकिस्तान बैकफुट पर है। आज वह अपने परमाणु हथियार सम्पन्न होने के दम पर युद्ध की धमकी नहीं दे रहा बल्कि इस हमले में अपना हाथ न होने की सफाई दे रहा है। यह नए भारत का दम है कि यह हरकत उसपर उल्टी पड़ गई। दरअसल, अमेरिका की ट्रम्प सरकार द्वारा अफगानिस्तान से अपनी फौज वापस बुलाने के फैसले से आतंकी संगठनों और पाक दोनों के हौसले फिर से बुलंद होने लगे थे। इस समय को उन्होंने इस क्षेत्र में अपनी ताकत दिखाने के मौके के रूप में देखा; क्योंकि सेना की मुस्तैदी और ऑपरेशन ऑल आउट के चलते वे काफी समय से देश या घाटी में कोई वारदात नहीं कर पा रहे थे जिससे उन्हें अपने अस्तित्व पर ही खतरा दिखने लगा था और वह जबरदस्त दबाव में थे। उन्होंने सोचा था कि भारत में चुनाव से पहले ‘कुछ बड़ा’ करके वह भारत पर दबाव बनाने में कामयाब हो जाएंगे जबकि हुआ उल्टा। आज आर्थिक रूप से जर्जर पाकिस्तान सामाजिक रूप से भी पूरी दुनिया में अलग-थलग पड़ चुका है।

डॉ नीलम महेन्द्रा


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