अर्थव्यवस्था : माहौल तो माकूल है
वैश्विक स्तर पर अच्छा प्रदर्शन कर रही अर्थव्यवस्था में आर्थिक संकेतकों में उतार-चढ़ाव आना स्वाभाविक है।
![]() अर्थव्यवस्था : माहौल तो माकूल है |
हालांकि मौजूदा वर्ष की वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि गिरकर यह 7.1% के स्तर पर जा पहुंची जबकि प्रथम तिमाही में यह 8.2% थी। दरअसल, जुलाई-सितम्बर के महीनों में कच्चे तेल के दामों में तेजी के साथ ही रुपये की कीमत में तेजी से गिरावट ने विनिर्माण क्षेत्र को खासा प्रभावित किया।
विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि जहां 2018-19 की प्रथम तिमाही में 13.4% थी, वहीं दूसरी तिमाही में यह गिरकर 7.4% रह गई। नतीजतन, समग्र जीडीपी में 0.9 प्रतिशत अंकों की गिरावट आ गई। कुछ क्षेत्रों में असमान मॉनसून, असमय और अनचाही वष्रा न केवल कृषि परिदृश्य को कमजोर किया बल्कि खनन क्षेत्र में वृद्धि पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाला। लेकिन ढांचागत सुविधाओं को दुरुस्त करके, श्रम कानूनों की जटिलताएं दूर करके, भूमि की उपलब्धता में सुधार लाकर, बिजली की आपूर्ति दुरुस्त करके और चुस्त प्रशासनिक सुधारों के साथ ही औपचारिक वित्त तक सबकी पहुंच में सुधार लाकर उम्मीद की जा सकती है कि अर्थव्यवस्था सुधार की राह पर चल पड़ेगी। वैश्विक पारिस्थितिकीय प्रणाली में भारत एक चमकदार क्षेत्र है। आईएमएफ के मुताबिक, चीन और भारत 2011-17 के दौरान सर्वाधिक तेजी से आगे बढ़तीं अर्थव्यवस्थाएं रहीं। चीन ने 2011-13 के दौरान सर्वोच्च वृद्धि दर हासिल की जबकि भारत 2014-16 के दौरान ही तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रह सका। अलबत्ता, र्वल्ड इकनॉमिक आउटलुक-2018 के मुताबिक, भारत 2018 और 2019 में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था होगा।
इन दोनों वर्षो में उसकी वृद्धि दर 7.3 तथा 7.4% दर्ज की जाएगी। इस प्रकार वृद्धि दर के मामले में चीन को भी पीछे छोड़ देगा। अमेरिका, जर्मनी, जापान और ब्रिटेन जैसी अन्य अर्थव्यवस्थाओं ने 2017 में क्रमश: 2.2%, 2.5%, 1.7% तथा 1.7% की वृद्धि दर दर्ज की। ब्राजील की वृद्धि दर सबसे कम 1% रही। इससे पूर्व के लगातार दो वर्षो 2015 तथा 2016 में उसकी वृद्धि दर नकारात्मक 3.5% रही थी। उम्मीद है कि आने वाली तिमाहियों में भारत की जीडीपी की वृद्धि दर में बढ़ोतरी होगी। हाल के महीनों में सुधार का परिदृश्य उभरने और निर्यात मोच्रे में सुधार से विनिर्माण क्षेत्र के प्रदर्शन में सुधार की उम्मीद की जा रही है। कृषि क्षेत्र में सुधार महत्त्वपूर्ण साबित होंगे। इनसे इस क्षेत्र में विकास के साथ ही खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में इजाफा होगा। कारोबारी सुगमता के लिहाज से भारत के ऊंचे पायदान पर जा पहुंचने और एमएसएमई (माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज) क्षेत्र में प्रमुख सुधार लाए जाने से हम उम्मीद कर सकते हैं कि एमएसएमई क्षेत्र का प्रदर्शन आने वाली तिमाहियों में बेहतर हो सकेगा। निजी उपभोग पर परिव्यय का स्थिर बने रहना इस बात का संकेत है कि मांग में सुधार हो रहा है। यही स्थिति आने वाले समय में औद्योगिक गतिविधियों में भी रहनी है। बहरहाल, 2018-19 में जीडीपी की समग्र वृद्धि दर 7.5% रहने की उम्मीद है। 2017-18 में यह आंकड़ा 6.7% था। कारोबारी सुगमता वाले देशों की सूची में भारत की ऊंची छलांग काफी प्रेरक है, जिसने भारत की अपेक्षाएं काफी बढ़ा दी हैं।
सरकार ने जो सुधारात्मक उपाय किए हैं, उनके सकारात्मक परिणाम मिलने लगे हैं। भारत ने पिछले चार वर्षो में इस सूची में 65 पायदानों का सुधार किया है। वह 2014 में 142वें स्थान पर था, 2018 में 77वें स्थान पर जा पहुंचा। कारोबारी सुगमता बढ़ने से निश्चित ही भारतीय अर्थव्यवस्था में ज्यादा से ज्यादा विदेशी निवेश होगा। आगामी कुछ वर्षो में भारत में 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक निवेश आकषिर्त करने की क्षमता है। गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2018 में भारत में 62 बिलियन अमेरिकी डॉलर का विदेशी निवेश हुआ था। यह किसी एक वर्ष में सर्वाधिक विदेशी निवेश था। विश्व बैंक की कारोबारी सुगमता सूची में भारत की ऊंची छलांग के पीछे अनेक कारक रहे। जीएसटी और इन्सॉलवेंसी एंड बैंकरप्टी कोड के कार्यान्वयन के साथ ही अन्य अनेक कारक रहे जिनके चलते भारत ने सकारात्मक परिणाम हासिल किए। सुधारात्मक उपायों की मौजूदा गति इसी तरह से जारी रही तो उम्मीद है कि भारत आने वाले कुछ वर्षो में कारोबारी सुगमता वाले देशों की सूची में पचासवें स्थान पर जा पहुंचेगा। भारत के विकास में एमएसएमई की भूमिका को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल में ऐतिहासिक उपायों की घोषणा की है। अनेक कार्यक्रम आरंभ किए जाने की बात कही। इनके तहत प्रधानमंत्री ने बारह प्रमुख पहल की घोषणा की। इन बारह फैसलों से एमएसएमई क्षेत्र में नया अध्याय आरंभ होगा। एमएसएमई क्षेत्र के हालात साजगार बनाने के लिए पांच महत्त्वपूर्ण पहलू-सुलभ ऋण, बाजार तक पहुंच, तकनीकी उन्नयन, कारोबारी सुगमता और कामगारों में सुरक्षा का भाव-यकीनन इस क्षेत्र का कायाकल्प कर देने वाले साबित होंगे। एमएसएमई क्षेत्र में तमाम उपाय किए जा रहे हैं, जो समूचे क्षेत्र को इतना सक्षम बना देंगे कि यह क्षेत्र जीडीपी में न केवल अपने योगदान को बढ़ाएगा बल्कि रोजगार अवसर मुहैया कराने वाले क्षेत्र के रूप में भी उभरेगा। विभिन्न तकनीकी चैनलों के जरिए एमएसएमई के लिए छह हजार करोड़ रुपये का जो पैकेज घोषित किया गया है, वह अंतत: माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज को इस कदर बढ़ावा देगा कि ये उद्यम ऐसे उत्पाद और प्रक्रिया बना और तैयार कर सकें कि उनकी वैश्विक भागीदारी में इजाफा हो सके। साथ ही, उनके साजो-सामान की घरेलू बाजार में भी ज्यादा से ज्यादा मांग निकल सके।
कहा जाता है कि धीरे-धीरे मगर लगातार बढ़ने से गंतव्य पर पहुंचना आसान हो जाता है। भारत के पास दोहरा लाभ है। वह धीरे-धीरे के स्थान पर तेजी से और मजबूती से अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ रहा है। मेरा मानना है कि अभी भारत के लिए आगे निकल जाने का सबसे अच्छा समय है। जरूरी है कि बढ़ती जनसंख्या के लिए रोजगार के अवसरों का ज्यादा से ज्यादा सृजन किया जाए। आर्थिक बुनियादी कारक मजबूत हैं, और सही दिशा में देश को बढ़ा रहे हैं। कारोबारी सुगमता की सूची में भारत की ऊंची छलांग से इस बात की तसदीक होती है। यदि एमएसएमई क्षेत्र के लिए माहौल सुविधानजक और माकूल बना दिया जाए तो यकीनन देश आर्थिक वृद्धि की राह पर सरपट बढ़ सकेगा।
| Tweet![]() |