क्रिकेट : अब नहीं दिखेगा ‘गंभीर’ खेल

Last Updated 06 Dec 2018 04:20:19 AM IST

देश के बाएं हाथ के दूसरे सबसे सफल टेस्ट ओपनर गौतम गंभीर ने आखिरकार क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा कर दी।


क्रिकेट : अब नहीं दिखेगा ‘गंभीर’ खेल

वह फिरोजशाह कोटला मैदान पर 9 दिसम्बर से आंध्र प्रदेश के खिलाफ खेले जाने वाले रणजी ट्रॉफी मैच में दिल्ली के लिए खेलकर संन्यास लेंगे। इस तरह उन्होंने जिस मैदान से खेलने की शुरुआत की, उसी मैदान से कॅरियर का अंत करेंगे। भले ही गौतम गंभीर ने संन्यास की घोषणा अब की है। पर उनका अंतरराष्ट्रीय कॅरियर नवम्बर 2016 में राजकोट में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट में बुलाए जाने का फायदा नहीं उठाने के समय ही खत्म हो गया था।
गंभीर का टेस्ट कॅरियर अगस्त 2014 तक सही चलता रहा। लेकिन 2014 के आखिरी इंग्लैंड दौरे पर मैनचेस्टर और ओवल टेस्ट में सिर्फ 25 रन बनाने पर ही उनके कॅरियर की समाप्ति के संकेत मिल गए थे। वहीं वनडे कॅरियर जनवरी 2013 और टी-20 अंतरराष्ट्रीय कॅरियर दिसम्बर 2012 में ही समाप्त हो गया था। गौतम गंभीर के अंतरराष्ट्रीय कॅरियर पर लगाम लगने के बाद भी उनको आईपीएल कॅरियर चमक बिखेर रहा था, इससे उनके मन में भारतीय टीम में वापसी की उम्मीदें जोर मारतीं रहती थीं। लेकिन पिछले साल कोलकाता नाइट राइडर्स ने उन्हें खरीदना जरूरी नहीं समझा और दिल्ली डेयर डेविल्स टीम में लिये जाने के बाद बीच सीजन में कप्तानी छोड़ने के समय ही गंभीर की समझ में आ गया होगा कि कॅरियर पर विराम लगाने का समय आ गया है। इस रणजी सीजन में जब उन्होंने राजधानी से बाहर के मैच खेलने से मना कर दिया था, तब यह अंदाजा हो गया था कि वह संन्यास लेने की घोषणा करने जा रहे हैं।

गंभीर को टीम इंडिया से बाहर होने के बाद काफी समय तक लगता रहा कि वह वापसी कर सकते हैं। लेकिन जब पृथ्वी शॉ जैसे युवा ओपनर उभर आए तो उन्हें शायद अपनी स्थिति का सही आकलन करने में मदद मिली होगी। पर हमारे यहां कई बार खिलाड़ी संन्यास का फैसला करने में काफी देर कर देते हैं। अगर गंभीर ने 2016 में वापसी करने के समय संन्यास पर फैसला ले लिया होता तो उन्हें कम-से-कम विदाई टेस्ट खेलने को मिल सकता था। पर अब लगता है कि क्रिकेटरों के लिए विदाई टेस्ट से कुछ कमाई करने के कोई खास मायने नहीं रह गए हैं क्योंकि इस दौर तक पहुंचते-पहुंचते मालामाल हो चुके होते हैं। साथ ही उनके लिए कमेंटेटर बनने के विकल्प हमेशा खुले रहते हैं। इसलिए वह संन्यास जैसा कुछ भी महसूस नहीं करते हैं। गंभीर अपने विचारों को खुलकर रखने में विश्वास रखते हैं। वह ट्विटर पर कई बार कड़क अंदाज में अपने विचार रखते दिखे हैं। असल में वह अक्सर राष्ट्रीय मसलों पर अपने विचार रखने में कभी परहेज नहीं करते हैं। पाकिस्तान से क्रिकेट संबंधों के बारे में एक साक्षात्कार में गंभीर ने कहा कि सिर्फ क्रिकेट संबंध तोड़ने से कुछ होने वाला नहीं है। हमें पाकिस्तान से फिल्मों, संगीत और सभी तरह के संबंधों पर उस समय तक पाबंदी लगाने की जरूरत है, जब तक दोनों पड़ोसियों के संबंध सुधर नहीं जाते हैं। गंभीर के इस विचारों की वजह से उनके सोशल मीडिया पर खासे समर्थक भी हैं। इस साक्षात्कार के बाद एक दिलचस्प घटना यह घटी कि एक अमेरिकी पत्रकार डेनिस फ्रीडमैन जो कि भारतप्रेमी हैं। वह अपने ट्विटर को डेनिस जय हिंद नाम से चलाते हैं। उन्होंने गंभीर के इन विचारों के बाद गंभीर को ‘वर्बल टेरेरिस्ट’ कह दिया। इस पर वह जबर्दस्त ढंग से ट्रोल कर दिए गए। गंभीर के ट्वीट अक्सर राष्ट्रीयता वाले होते हैं। इसलिए उन्हें भाजपा 2019 में लोक सभा का चुनाव लड़ा दे तो हैरत नहीं होनी चाहिए। गंभीर भले ही बिग शॉट खेलने वाले खिलाड़ी नहीं रहे हैं पर भरोसेमंद ओपनर जरूर रहे हैं।
उनकी और सहवाग की ओपनिंग जोड़ी भारतीय टेस्ट इतिहास की सफलतम ओपनिंग जोड़ी रही है। गंभीर भले ही अपनी पारियों को शतक में बदलने के लिए नहीं जाने जाते हैं पर वह अहम मौकों पर विजयी पारी खेलना बखूबी जानते थे। यही वजह है कि उन्होंने 2007 के पहले टी-20 विश्व कप और फिर 2011 के आईसीसी वनडे विश्व कप में भारत को चैंपियन बनाने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने 2007 के टी-20 विश्व कप के फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल में 54 गेंद में 75 रन की पारी खेली। वहीं 2011 के वनडे विश्व कप फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ 97 रन की पारी खेलकर भारत को चैंपियन बनाने में अहम भूमिका निभाई। यह किसी भी भारतीय का विश्व कप फाइनल में बनाया सर्वाधिक स्कोर है।

मनोज चतुर्वेदी


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