सरोकार : कॉरपोरेट नायकों को क्या हुआ?
क्या भारत के स्टार्ट-अप की दुनिया के सुपर स्टार बिन्नी बंसल भी विश्व की प्रख्यात आईटी कंपनी आइगेट कॉरपोरेशन के चेयरमैन और सीईओ फणीश मूर्ति, रैनबैक्सी फार्मा के पूर्व प्रमुख मलविंदर सिंह और रजत गुप्ता के रास्ते पर जा चुके हैं?
![]() सरोकार : कॉरपोरेट नायकों को क्या हुआ? |
बिन्नी पर गंभीर आरोप लगे हैं। बिन्नी ने फ्लिपकार्ट समूह के सीईओ के पद से गंभीर व्यक्तिगत कदाचार के आरोपों के चलते इस्तीफा दे दिया। यह स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनके कद के शख्स पर इतना छिछोरा आरोप लगे। हालांकि वे अपने को दूध का धुला हुआ बताते रहे थे।
थोड़ा पहले जाएं तो भारत के कॉरपोरेट संसार के पोस्टर ब्यॉय रहे गोल्डमैन सैक ग्रुप के रजत गुप्ता पर अमेरिका में इनसाइड ट्रेडिंग के आरोप साबित हुए। उन्हें सजा भी हुई। फणीस मूर्ति को तो सूचना प्रौद्योगिकी प्रदाता कंपनी आइगेट के मैनेजमेंट ने अपने चेयरमैन और सीईओ पद से कथित यौन उत्पीड़न के आरोप में बर्खास्त कर दिया। फणीस को इससे पहले इन्फोसिस से इसी तरह के आरोप में बर्खास्त किया गया था। और अगर बात जापानी कंपनी दाइची सैंक्यो और रैनबैक्सी के पूर्व प्रमोटरों की बात करें तो इससे भी भारत के कॉरपोरेट जगत को लेकर कोई बहुत सकारात्मक संदेश नहीं गया दुनिया भर में। दाइची सैंक्यो का मानना था कि रैनबैक्सी के कुछ पूर्व शेयरधारक(पढ़ें प्रमोटर) ने अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस से जुड़े मामले और एफडीए जांच में कुछ अहम जानकारियां छिपाई। अब तो रैनबैक्सी के पूर्व चेयरमैन मलविंदर सिंह और उनके छोटे भाई शिवइंदर आपस में ही लड़ रहे हैं। हम भले ही वैीकरण के दौर में रह रहे हैं पर कुछ कंपनियों को लेकर हर देश भावनात्मक रूप से सोचता है। आपको याद होगा कि भारतीय एयरटेल लाख कोशिशों के बाद भी दक्षिण अफ्रीकी मोबाइल कंपनी एमटीएन पर कब्जा नहीं कर पाई थी। वजह थी कि समूचा दक्षिण अफ्रीका उसे अेतों की शान और अस्मिता के साथ जोड़कर देखता है।
रजत गुप्ता के कृत्य के कारण भी भारत की साख पर बट्टा लगा था। उन पर इनसाइडर ट्रेडिंग का आरोप साबित हुआ था। आरोप था कि उन्होंने अपने दोस्त और बिजनेस असोसिएट गैलियन ग्रुप हेज फंड के फाउंडर राज राजरत्नम को गोल्डमैन के बोर्डरूम के सीक्रेट्स बताए थे। रजत इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष, गोल्डमैन साक्स के स्वतंत्र निदेशक, शिकागो विश्वविद्यालय के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के सदस्य तथा अमेरिकन इंडियन फाउंडेशन के सह-अध्यक्ष भी हैं। वह 1973 में मैकिन्से एंड कंपनी में शामिल हो गए। प्रबंध निदेशक के पद पर पहुंचने वाले ऐसे प्रथम व्यक्ति बने जिनका जन्म अमेरिका से बाहर हुआ था। रजत को व्यापक रूप से किसी पश्चिमी कंपनी में शीर्ष पद तक पहुंचने वाला प्रथम भारतीय होने का श्रेय दिया जाता है। और चलते-चलते रीबॉक कंपनी में हुए बड़े घोटाले का भी जिक्र कर लिया जाए। कुछ साल पहले रीबॉक इंडिया ने अपने हाई प्रोफाइल मैनेजिंग डायरेक्टर सुभिंदर सिंह और सीईओ विष्णु भगत को 870 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के आरोप में बर्खास्त कर दिया था।
कुल मिलाकर बात यह कि भारतीय कंपनियों को कॉरपोरेट गवन्रेस के सवाल पर और बेहतर होने की जरूरत है। यही नहीं, भारतीय सीईओ को अपना आचरण भी साफ रखना होगा जिससे कि उन पर कभी कदाचार, यौन उत्पीड़न या इस तरह के दूसरे आरोप ना लगें जिन आरोपों को बिन्नी बंसल झेल रहे हैं।
| Tweet![]() |