शेयर बाजार : रौनक के साथ बढ़ा जोखिम

Last Updated 19 Jan 2018 05:07:08 AM IST

यकीनन 17 जनवरी को सेंसेक्स का पहली बार 35 हजार अंकों पर पहुंचने का ऐतिहासिक महत्त्व है.




शेयर बाजार : रौनक के साथ बढ़ा जोखिम

साथ ही नये वर्ष 2018 में और नये बजट 2018-19 के कुछ दिन पहले मुंबई शेयर बाजार की यह उपलब्धि अर्थव्यवस्था को गतिशील करने और बाजार का उत्साह बढ़ाने के लिए महत्त्वपूर्ण है. यद्यपि कृषि व रोजगार मोचरे पर चिंताएं बनी हुई है और कच्चे तेल में तेजी आ रही है, उसके बाद भी शेयर बाजार का बढ़ना भारतीय अर्थव्यवस्था के पटरी पर लटने का संकेत दे रहा है. लेकिन शेयर बाजार के विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि जिस तरह से बड़े पैमाने पर शेयर बाजार में लंबे समय से सुस्त पड़ी हुई कंपनियों के शेयर की बिक्री 2008 के बाद में हाल ही के दिनों में सर्वाधिक रूप से बढ़ी है, उससे शेयर बाजार में जोखिम भी बढ़ गई है. ऐसे में शेयर बाजार में हर कदम फूंक-फूंककर रखना जरूरी है. उल्लेखनीय है कि भारत की आर्थिक संभावनाओं में घरेलू व विदेशी निवेशकों का यकीन लगातार बढ़ता जा रहा है.
इसके पीछे कई कारण हैं. सरकार ने निवेशकों केअनुकूल नीतियां लागू की हैं. पिछले चार वर्षो में सरकार ने कई अहम क्षेत्रों के शत-प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लिए खोल दिया है. खासतौर से सरकार के 17 जनवरी को उठाए गए इस कदम ने देखते ही देखते शेयर बाजार को तेजी दी है कि चालू वित्त वर्ष में बाजार से वह 20,000 करोड़ रुपये का ही कर्ज उगाहेगी. इसके पहले उसने इस जरिए 50,000 करोड़ रुपये जुटाने की घोषणा की थी. 

चूंकि सरकार ने 20,000 करोड़ के ऋण से अपना काम चला लेने की घोषणा की है तो इसे राजकोषीय घाटे की सुधरती स्थिति का संकेत समझा गया है. भारत की आर्थिक और वित्तीय स्थितियों से संबंधित विभिन्न नई अध्ययन रिपोटरे के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2017-18 की तीसरी तिमाही में कई कंपनियों की आमदनी उत्साहवर्धक रही. खासतौर से बैंकिंग और आईटी शेयरों में शानदार तेजी आई.
ऐसी वित्तीय और आर्थिक अनुकूलता के कारण विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) लगातार भारतीय शेयर बाजार में शेयरों की खरीदारी कर रहे हैं. इस समय जब भारतीय शेयर बाजार में जश्न का माहौल है, तब इस जश्न के साथ कुछ सावधानी भी जरूरी है. वस्तुत: शेयर बाजार को अर्थव्यवस्था के मूलभूत कारकों का पर्याप्त समर्थन हासिल नहीं है. मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की हालत कमजोर है. बैंकों के कर्ज का बोझ बढ़ा हुआ है. बेरोजगारी की समस्या बनी हुई है. ऐसे दौर में भारतीय शेयर बाजार के ऊंचाई पर पहुंचाने के मौके पर शेयर बाजार संबंधित कुछ प्रश्नों पर विचार भी जरूरी है. क्या इस समय उद्योग और कारोबार के लिए शेयर बाजार से पर्याप्त धन मिल रहा है? आम आदमी अभी भी शेयर बाजार से क्यों दूरी बनाए हुए है? जब भारत क्रय शक्ति के आधार पर दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, जिसकी अर्थव्यवस्था एक खरब डॉलर की है, क्या वहां कुल जनसंख्या के करीब तीन फीसद लोगों का ही निवेशक के रूप में शेयर बाजार से जुड़ना पर्याप्त है? भारतीय कारोबारियों के पास नये उद्यम शुरू करने या चालू उद्यम को पूरा करने के लिए पर्याप्त धन ही नहीं है.
नये फंड तक भी उनकी पहुंच नहीं है क्योंकि बैंक अब फंसे हुए कर्ज के मामलों को देखते हुए नए ऋण देने में काफी सतर्कता बरतने लगे हैं. ऐसे में इस संकट से निकलने का तरीका है नये सिरे से पूंजीकरण करना. इस काम के लिए मजबूत शेयर बाजार की आवश्यकता होगी. जरूरी होगा कि सरकार के द्वारा निवेश का माहौल सुधारने के लिए और अधिक साफ संकेत दिए जाएं. देश के कारोबार के मद्देनजर शेयर बाजार को और अधिक अनुकूल बनाया जाए. यदि सरकार भारत के शेयर और पूंजी बाजार को मजबूत बनाने की डगर पर आगे बढ़ना चाहती है, तो जरूरी होगा कि सेबी की भूमिका को और प्रभावी बनाया जाए. जरूरी है कि सेबी शेयर बाजार की गतिविधियों पर सतर्कता से ध्यान देकर अधिक स्वस्थ दिशा दे. सेबी के द्वारा बाजार के संदिग्ध उतार-चढ़ावों की तरफ आंखे खुली रखी जाए. शेयर बाजारों में घोटाले रोकने के लिए डीमैट और पैन की व्यवस्था को और कारगर बनाना जाए.
छोटे और ग्रामीण निवेशकों की दृष्टि से शेयर बाजार की प्रक्रिया को और सरल बनाया जाए. जहां ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में देश में छोटे निवेशकों की तादाद तेजी से नहीं बढ़ रही है वहीं शेयर खरीदने की गतिविधि बड़े शहरों और विकसित राज्यों में ही केंद्रित हो रही है. ऐसे में शेयर बाजार के महत्त्व को ज्यादा-से-ज्यादा लोगों को समझाए जाने की जरूरत है. आशा की जानी चाहिए कि मोदी सरकार के बढ़ते हुए आर्थिक सुधारों के मद्देनजर छोटे निवेशक भी भारतीय शेयर बाजार में अपने कदम मजबूती से आगे बढ़ाएंगे, इससे शेयर बाजार में सच्ची चमक दिखाई देगी. ऐसा होने पर अभी जो शेयर बाजार 35 हजार की ऊंचाई पर पहुंचा है, वह अगले एक वर्ष में 40 हजार से भी अधिक ऊंचाई पर दिखाई दे सकेगा. चूंकि भारतीय शेयर बाजार फुटकर निवेशकों, म्युचुअल फंड और बाजार के कारण तेजी से आगे बढ़ा है और इसका लाभ लेने के लिए आम आदमी भी आगे बढ़ गया है. लेकिन शेयर बाजार को आने वाले समय में हषर्द मेहता जैसे घोटालों से बचाए रखने के हरसंभव कदम उठाए जाने होंगे. चूंकि शेयर बाजार की वर्तमान तेजी में 2008 के बाद सुस्त पड़ी हुई बहुत सी कंपनियों की शेयर कीमतों में तेज उछाल आना भी एक कारण है, अतएव सेबी के द्वारा शेयर बाजार पर और अधिक ध्यान देकर छोटे निवेशकों को जखिमों और निराशाओं से बचाना होगा. ऐसा होने पर भारत का संतुलित व स्वस्थ शेयर बाजार देश की अर्थव्यवस्था, उद्यमियों, कारोबारियों और छोटे निवेशकों को भी खुशियां देते हुए दिखाई देगा. हम आशा करें कि इस समय घरेलू और विदेशी निवेशकों के आशावादी रुख के दम पर शेयर बाजार में जो मजबूती बनी हुई है, उस मजबूती को बनाए रखने के लिए वित्तमंत्री अरुण जेटली 1 फरवरी, 2018 को प्रस्तुत होने वाले वर्ष 2018-19 के बजट के तहत शेयर बाजार में खुशियां भरने के और अधिक कारगर कदम उठाते हुए दिखाई देंगे.

जयंतीलाल भंडारी


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