बीसीसीआई : सही वक्त पर सही फैसला
भारतीय क्रिकेट पर से लगता है कि संकट के बादल छंट गए हैं. अब तो चैंपियंस ट्रॉफी के लिए विराट कोहली की कप्तानी में टीम भी घोषित कर दी गई है.
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आईसीसी के राजस्व और गवन्रेस मॉडल में बदलाव करने पर एक समय तो लगा था कि बीसीसीआई अपने नुकसान की भरपाई के लिए आईसीसी को सबक सिखा सकता है.
इसके तहत ही वह चैंपियंस ट्रॉफी से हटने की सोच रहा था. इस सोच के पीछे पूर्व बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन और उनके गुट का दिमाग चल रहा था. वह तो अच्छा हुआ कि बीसीसीआई का कामकाज देखने वाले प्रशासकों के पैनल के प्रमुख विनोद राय हालात को समझने में सफल रहे और उन्होंने बीसीसीआई की विशेष साधारण सभा बैठक को सही लाइन दे दी. वहीं शशांक मनोहर से हिसाब चुकता करने का इरादा रखने वाले हाथ पर हाथ धरे बैठे रह गए हैं.
बीसीसीआई यदि अपने राजस्व को 57 करोड़ डालर से 29 करोड़ डालर आने पर चैंपियंस ट्रॉफी में भाग नहीं लेने की घोषणा कर देता तो आईसीसी की आर्थिक हालात को ग्रहण लग सकता था. असल में आईसीसी का लगभग 70 प्रतिशत राजस्व भारतीय बाजार से आता है. इस कारण ही भारत आईसीसी के राजस्व में से बड़ा हिस्सा मांग रहा था.
अगर बीसीसीआई भिड़ने का मन बनाता तो आईसीसी की आर्थिक स्वास्थ खराब होती ही. पर इस टकराहट में आईपीएल भी प्रभावित होती और बीसीसीआई को भी बड़ा आर्थिक झटका सहना पड़ सकता है. इससे यह तो साफ है कि विश्व क्रिकेट मुश्किल दौर में फंसने से बच गई है. यहां तक टीम चयन की बात है तो चयनकर्ताओं ने ऐसा कोई खिलाड़ी नहीं चुना है, जिसकी आलोचना या तारीफ हो. यह टीम कोई सरप्राइज करने में सफल नहीं हो सकी है. आपको ऋषभ पंत, संजू सैमसन, कुलदीप यादव और सुरेश रैना जैसे खिलाड़ियों को नहीं चुनने का अफसोस हो सकता है. पर चुने गए खिलाड़ी को नकारा नहीं बताया जा सकता है.
सबसे ज्यादा अफसोस दिल्ली डेयरडेविल्स के युवा क्रिकेटर ऋषभ पंत के नहीं चुने जाने पर जताया जा रहा है. इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि ऋषभ ने इस आईपीएल और इससे पहले घरेलू सत्र में शानदार प्रदर्शन करके क्रिकेटप्रेमियों के दिलो-दिमाग में जगह बना ली. पर यह भी सच है कि पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की बल्लेबाजी में भले ही गिरावट आ गई है. लेकिन उनकी विकेटकीपिंग का आज भी कोई तोड़ नहीं है.
इसलिए जब धोनी ने खेलने का फैसला कर लिया है तो ऋषभ पंत के खेलने की संभावनाएं कम हो जाती हैं. हां, इतना जरूर है कि देश के इस टैलेंट का इस्तेमाल किया जाता तो देशवासियों को खुशी तो होती ही है, साथ ही इस युवा को अनुभव भी मिल जाता. धोनी के चुने जाने पर पंत की जगह सिर्फ ओपनर के तौर पर बनाई जा सकती थी. वैसे भी पंत अंडर-19 क्रिकेट में खेलने के समय ओपनिंग किया करते थे. टीम इंडिया में रोहित शर्मा का साथ निभाने के लिए शिखर धवन को चुना गया है. वैसे तो शिखर बेजोड़ बल्लेबाज हैं और एक साल तक खराब फॉर्म से जूझने के बाद आईपीएल के इस सत्र में बल्ले से रन निकल रहे हैं. फिर भी यह पक्का था कि यदि ओपनर केएल राहुल चोटिल नहीं होते तो शायद शिखर को खेलने का मौका नहीं मिल पाता.
इससे यह जरूर लगता है कि पंत को शिखर की जगह ही लिया जा सकता था. मगर शायद चयनकर्ताओं के दिमाग में यह बात रही हो कि पंत को इंग्लैंड के माहौल में खेलने का अनुभव नहीं होने पर भी चुनना उचित फैसला नहीं होता.
टीम इंडिया पिछली चैंपियंस ट्रॉफी की विजेता है, इसलिए उसे खिताब को बचाने के लिए संघर्ष करना होगा. लेकिन टीम के लिए सबसे अहम कप्तान विराट कोहली की फॉर्म का उतार-चढ़ाव है. विराट पिछले कुछ समय से फॉर्म पाने के लिए संघषर्रत हैं. यह कहा जा रहा है कि आईसीसी के कार्यकलापों से बीसीसीआई की बादशाहत को झटका लगा है.
यह बादशाहत तभी बरकरार रह सकती है, जब वह बातचीत का सिलसिला चलाकर राजस्व को 45 करोड़ डालर तक ले जाया जाए. पर हमें नहीं भूलना चाहिए कि बीसीसीआई की यह बादशाहत ही है कि चैंपियंस ट्रॉफी के लिए टीम चयन की अंतिम तारीख 25 अप्रैल निकलने पर भी टीम नहीं चुनने पर कोई आलोचना नहीं कर सका है. इसलिए अभी ट्रॉफी जीतने पर फोकस करने की जरूरत है. आर्थिक स्वास्थ को बेहतर बनाने के लिए बीसीसीआई कभी भी आईसीसी के लिए दो-दो हाथ कर सकती है.
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