होड़ बढ़ने की आशंका

Last Updated 06 Feb 2017 05:24:16 AM IST

दुनिया भर में इस समय अमेरिका और रूस के बीच फिर नाभिकीय अस्त्रों के होड़ की आंशका बढ़ रही है. इस आशंका के पीछे रूस के राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन का हालिया बयान एवं अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का एक ट्विट है.


होड़ बढ़ने की आशंका

पुतिन ने कहा है कि उनके देश को नाभिकीय ताकत के मोर्चे पर और सशक्त होने की जरूरत है. पुतिन ने साफ कहा कि आने वाले साल में नाभिकीय क्षमताओं को और ज्यादा मजबूत करना उनकी प्रमुख सैन्य रणनीति होगी. इसके जवाब ने ट्रंप ने ट्वीट कर कहा है कि अमेरिका को अपनी नाभिकीय क्षमता को बड़े पैमाने पर मजबूत और इसका विस्तार करना चाहिए.

ट्रंप ने लिखा कि अमेरिका को तब तक ऐसा करते रहना चाहिए जब तक कि नाभिकीय हथियारों को लेकर बाकी दुनिया का दिमाग ठिकाने नहीं आ जाता है. दुनिया के ये दो देश नाभिकीय हथियारों में अव्वल हैं. अगर वे इस तरह की घोषणाएं करते हैं तो इसे हम आप यूं ही नहीं ले सकते. हालांकि ट्रंप ने अभी तक नाभिकीय हथियारों की वृद्धि या विस्तार की किसी योजना का खुलासा नहीं किया है, लेकिन उनके ट्विट से साफ है कि अगर रूस ने ऐसा किया या रूस के द्वारा ऐसा किए जाने की आशंका पैदा हुई तो वे नये नाभिकीय अस्त्रों का जखीरा बढ़ाने में संकोच नहीं करेंगे. ध्यान रखिए कि नाभिकीय हथियारों के मुद्दे पर यह बयान देने से एक ही दिन पहले ट्रंप ने पेंटागन के शीर्ष जनरलों से मुलाकात की थी. इन जनरलों में रणनीतिक प्रतिरोधक क्षमता एवं नाभिकीय एकीकरण के डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ, वायुसेना के लेफ्टिनेंट जनरल जैक वीनस्टीन आदि शामिल थे. वैसे अमेरिका नाभिकीय हथियारों के आधुनिकीकरण और रखरखाव के लिए एक खरब डॉलर खर्च करने की योजना पहले ही बना चुका है. डॉनल्ड ट्रंप का वक्तव्य अमेरिका की रक्षा नीति में बड़ा बदलाव माना जा रहा है.

ट्रंप वैसे भी ओबामा प्रशासन की नीतियों को अपने कार्यकारी आदेशों से बदलने की शुरुआत कर चुके हैं. इसलिए उनके बयान को कोई हल्के से नहीं ले सकता. ओबामा प्रशासन ने हालांकि नाभिकीय निरस्त्रीकरण की दिशा में कोई कदम नहीं बढ़ाया, पर नाभिकीय हथियारों में कमी लाने और धीरे-धीरे उसके उन्मूलन पर जोर देने की उसकी घोषित नीति रही है. इस कारण रूस से तनाव होते हुए भी नाभिकीय अस्त्रों के होड़ की आशंका पैदा नहीं हुई. अब तो अमेरिका के रक्षा विशेषज्ञों ही मानने लगे हैं कि ट्रंप का बयान अमेरिका-रूस के बीच परमाणु हथियारों की होड़ को बढ़ावा दे सकता है.

अमेरिका में जो नाभिकीय अप्रसार लॉबी है वह इसके खिलाफ आवाज उठा रही है. सेंटर फॉर आर्म्स कंट्रोल एंड नॉन-प्रोलिफरेशन यानी शस्त्र नियंत्रण और अप्रसार के कार्यकारी निदेशक और 18 साल तक कांग्रेस के सदस्य रह चुके जॉन टियरने का बयान है कि केवल 140 अक्षरों का इस्तोमाल कर अमेरिका में एक बड़े बदलाव की घोषणा कर देना नवनिर्वाचित राष्ट्रपति के लिए खतरनाक है. उनके अनुसार यह निश्चित तौर पर नये नाभिकीय हथियारों की एक दौर शुरू कर देगा. टियरने के कथन को आप ऐसे लोगों का प्रतिनिधि कथन मान सकते हैं और इनका भय निराधार भी नहीं है. नाभिकीय अस्त्र रखते हुए भी अमेरिका की घोषित नीति नाभिकीय अप्रसार की रही है.



ट्रंप के बयान से यह निष्कर्ष निकाला जा रहा है कि अमेरिका की यह घोषित नीति बदल रही है. इसके परिणाम क्या होंगे इसकी कल्पना से ही दिल दहल जाता है. 2016 की शुरुआत में ट्रंप ने रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदवारी प्राप्त करने के दौर में कहा था कि अगर वह राष्ट्रपति बने तो नाभिकीय हमले की पहल नहीं करेंगे. लेकिन आगे उन्होंने यह भी कह दिया था कि वह किसी भी विकल्प को सिरे से नकार नहीं सकते हैं. ट्रंप के प्रवक्ता स्पाइसर के अनुसार यह कई देशों को दिया गया हमारा जवाब था. इसका अर्थ क्या है? रूस के राष्ट्रपति तो साफ कर चुके हैं कि उनके लिए नाभिकीय ताकत मजबूत करना मजबूरी है.

इस तरह यह आशंका मजबूत हो रही है कि शीत युद्ध के दौर के समान दोनों देशों के बीच नाभिकीय हथियार विकसित करने की होड़ हो सकती है. इन दोनों देशों के बीच ऐसा हुआ तो यह इन्हीं तक सीमित नहीं रह सकता. दूसरे देशों को भी ऐसा करने का आधार मिल जाएगा. चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनियंग ने कहा कि वह अमेरिका की परमाणु क्षमता को मजबूत करने के ट्रंप के आह्वान को लेकर चिंतित है. उन्होंने कहा कि हम नाभिकीय हथियारों के पूर्ण निषेध और विनाश का समर्थन करते हैं. हुआ ने कहा कि सबसे ज्यादा परमाणु आयुध वाले देश को परमाणु निरस्त्रीकरण में खास जिम्मेदारी लेनी चाहिए और इसके अनुकूल दशा तैयार करने की खातिर नाभिकीय आयुध में नाटकीय रूप से कमी लाने का नेतृत्व करना चाहिए. जाहिर है, चीन ने ट्रंप और पुतिन की भाषा बोलने से परहेज किया है, लेकिन उसकी चिंता स्पष्ट है.

ट्रंप और पुतिन के विचारों का एक प्रभाव देखिए. द बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स नामक नामी पत्रिका ने अपनी प्रतीकात्मक डूम्सडे क्लॉक (कयामत के दिन की घड़ी) में पल्रय के वक्त को 30 सेकंड और पहले खिसका दिया. द बुलेटिन ऑफ द अटॉमिक साइंटिस्ट्स एक गैर तकनीकी अकादमिक पत्रिका है, जो नाभिकीय और दूसरे नरसंहार के हथियारों, वायुमंडल में परिवर्तन, नई तकनीकी, बीमारियों की वजह से वैिक सुरक्षा पर पड़ने वाले खतरों का अध्ययन करती है. उसकी घड़ी को इस बात की प्रतीक माना गया है कि मानवता इस ग्रह को खत्म करने के कितने नजदीक है. आखिरी बार इस घड़ी के समय में 2015 में फेरबदल की गई थी.

अब तय किया गया नया समय आधी रात से ढाई मिनट पहले है. यानी प्रतीकात्मक तौर पर कयामत वक्त 30 सेकंड और नजदीक आ चुका है. वॉशिंगटन स्थित नेशनल प्रेस क्लब के लॉरेंस क्रास ने ट्रंप और पुतिन के बयानों का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है कि उच्च पदों पर बैठे एक या दो लोगों के शब्दों या घोषित नीतियों को इतनी ज्यादा तवज्जो दी गई है. तो होगा क्या? इस समय निश्चयात्मक तौर पर हम कुछ नहीं कह सकते. किंतु इतना साफ है कि नाभिकीय मोर्चे पर हम एक खतरनाक मोड़ पर पहुंच रहे हैं.

अवधेश कुमार


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