नगालैंड : आरक्षण पर हिंसा
उपद्रवियों की बेजा मांगों को लेकर पूरा नगालैंड हलकान है. सरकारी संपत्तियों को उपद्रवी चुन-चुन कर आग के हवाले कर रहे थे हैं.
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राजधानी कोहिमा में स्थित सभी सरकारी दफ्तरों को नुकसान पहुंचाया गया. अपनी मांगों को इस तरह से मनमाने का लोगों का तरीका अशोभनीय है.
वजह बहुत छोटी है, लेकिन जिस तरह से लोग तांडव कर रहे हैं, उससे लगता है नक्सली सोच अब धीरे-धीरे बाहर आ रही है. वहां के शहरी स्थानीय निकाय के चुनाव में महिलाओं को तैंतीस प्रतिशत आरक्षण देने का विरोध किया जा रहा है. लोगों ने अपने विरोध को इतना हिंसक बना दिया कि नगालैंड की राजधानी कोहिमा में राज्य चुनाव आयोग, कोहिमा नगर परिषद की इमारत व उपायुक्त के कार्यालयों में जमकर तोड़फोड और अन्य चीजों को आग में झोक रहे हैं. दरअसल, यह लोग जनजातीय समूहों के विरोध के बावजूद चुनाव के लिए आगे बढ़ने को लेकर नगालैंड मुख्यमंत्री टीआर जेलिआंग और उनकी पूरी कैबिनेट का इस्तीफा मांग रहे हैं. नगालैंड में बिगड़ते हालात को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने वहां पर असम राइफल्स को तैनात करने का फैसला लिया है क्योंकि बिगड़े हालात में राज्य के मुख्यमंत्री को भी खतरा बताया जा रहा है. ऐसे हालात को काबू करने के लिए विशेष सुरक्षा का इंतेजाम होना जरूरी भी है.
कोहिमा में नगालैंड ट्राइब्स एक्शन कमेटी (एनटीएसी) आंदोलन की अगुआई कर रहा है. उसकी मांगे हैं कि महिलाओं को आरक्षण नहीं दिया जाए, मुख्यमंत्री जेलिआंग और उनकी कैबिनेट को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त किया जाए, दीमापुर पुलिस आयुक्त को हटाया जाए और चुनाव को अवैध अमान्य घोषित करने का अल्टीमेटम उन्होंने दिया है. अल्टीमेटम देने के 24 घंटे बीतने के बाद कुछ नहीं हुआ तो उन्होंने सरकारी कार्यालयों में आगजनी शुरू कर दी. सरकारी कर्मचारियों के साथ मारपीट हो गई. उनके इस तरीके का कोई विरोध करता है तो उसे भी नुकसान पहुंचा रहे हैं. हालांकि, वहां बिगड़ते हालात को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने असम राइफल्स की तैनाती कर दी. ऐसा करना जरूरी भी है नहीं तो हालात बहुत बेकाबू हो सकते हैं.
केंद्र सरकार को जरूरत है कि वहां सख्त रुख अपनाए, ताकि बेवजह लोग हताहत न हो, और आगे सरकारी जायदाद को नुकसान न हो सके. वहां का जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है. वहां के हालातों को किसी भी सूरत में सामान्य करने की आवश्यकता है. नगालैंड के मौजूदा हाल पूर्व में हरियाणा में हुए हिंसक जाट आंदोलन की याद ताजा कर रहा है. हरियाणा में आरक्षण के नाम पर क्या हुआ था, जिसे पूरे संसार ने देखा. कोहिमा में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है. दरअसल, अब लोगों के विरोध करने का तरीका बदल गया है. पहले विरोध शांति के माहौल में सपन्न हुआ करते थे लेकिन अब हिंसक, उपद्रव व आगजनी करके शुरू होते हैं. नगालैंड पर केंद्र सरकार की गहरी नजर बनी हुई है. हालांकि, इस समय पूरी मशीनरी चुनाव में व्यस्त है.
एनटीएसी ने नगालैंड के राजभवन को अपनी मांगों को लेकर एक ज्ञापन सौंपा है. वैसे, राज्यपाल पीबी आचार्य इस समय इटानगर में हैं. उनके पास अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल का भी प्रभाव है. राज्यपाल पीबी आचार्य के आदेश पर एनटीएसी के दबाव में जेलिआंग ने चुनाव प्रक्रिया को अमान्य घोषित कर दिया और दीमापुर के पुलिस आयुक्त एवं पुलिस उपायुक्त का भी तबादला कर दिया ताकि गोलीबारी की घटना की निष्पक्ष जांच हो सके. इस घटना में दो प्रदर्शनकारी युवक मारे गए थे, जिसके बाद से राज्य में रोष पनप रहा है. आरक्षण पर कारगर नीति की समीक्षा करने की जरूरत है, ताकि हर समय आरक्षण को लेकर आवाजें न उठ सकें.
आरक्षण का अगर सही मायने में फायदा देना है तो आरक्षण को जाति-विशेष न देकर आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को देना चाहिए. आज आरक्षण से हर क्षेत्र पिछड़ा हुआ है, वे सभी लोग जो उस पद के लिए काबिल नहीं भी है वे भी आरक्षण की आड़ में जगह बनाए हुए हैं. भारत पिछले कुछ सालों से आरक्षण की आग में झुलस रहा है. कहीं भी किसी मुद्दे पर लोग आरक्षण के नाम पर उपद्रव करना शुरू कर देते हैं. दरअसल असल सच्चाई यह कि अब आरक्षण की आड़ में सियासी चोला ओढ़ना कुछ आसान हो गया है. केजरीवाल के बाद लोगों ने आरक्षण करके राजनीति में घुसने का नायाब तरीका अपनाना शुरू कर दिया है.
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