प्रवासी सम्मेलन : सहभागिता होगी जरूरी

Last Updated 11 Jan 2017 06:52:22 AM IST

हाल ही में 8 और 9 जनवरी को बेंगलुरू में 14वां प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन आयोजित किया गया.


प्रवासी सम्मेलन : सहभागिता होगी जरूरी

यह अब तक का सबसे बड़ा प्रवासी सम्मेलन था, जिसमें छह हजार प्रवासी भारतीयों (एनआरआई) ने शिरकत की. सम्मेलन में देश के विकास में प्रवासी भारतीयों से सहयोग की नई चमकीली संभावनाएं दिखाई दीं और प्रवासियों के माध्यम से यह बात उभरकर सामने आई कि प्रवासी भारतीय नए भारत के निर्माण में आर्थिक सहभागी बनेंगे.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रवासी भारतीय दिवस समारोह में प्रवासी भारतीयों का अभिनंदन करते हुए प्रवासी भारतीयों को भारत की महान पूंजी की संज्ञा दी. प्रधानमंत्री ने 200 देशों में रह रहे करीब 3.12 करोड़ प्रवासी भारतीयों से देश की आर्थिक-सामाजिक तस्वीर को बदलने की अपील की. उन्होंने कहा कि प्रवासी भारतीयों ने नई ऊंचाइयों को पाने के लिए तमाम देशों में संघर्ष किया है और अवसरों को खंगाला है. साथ ही भारत को नई पहचान दी है. अब समय बदल गया है, भारत नई शक्ति के साथ उठ रहा है और यही कारण है यह समय भारत के लिए ब्रेन ड्रेन को ब्रेन गेन में बदलने का है. उन्होंने कहा कि हम पासपोर्ट का रंग नहीं खून का रिश्ता देखते हैं. उन्होंने कहा कि प्रवासी भारतीयों की तरफ से वर्ष 2016 में होने वाला इंवेस्टमेंट करीब 69 अरब डॉलर पहुंच गया है. यह एक अमूल्य योगदान है.

उन्होंने कहा कि उनके लिए एफडीआई का मतलब सिर्फ फॉरेन डायरेक्टर इंवेस्टमेंट नहीं है, बल्कि फस्र्ट डेवलप इंडिया है. सम्मेलन में मोदी ने प्रवासी भारतीयों की उत्साहपूर्ण मौजूदगी में उनके सपनों का समृद्ध और शक्तिशाली भारत बनाने का संकल्प व्यक्त करने के साथ प्रवासी भारतीयों से देश के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए अपनी सहभागिता सुनिश्चित करने का आह्वान किया. मोदी ने यह भी कहा कि विज्ञान व तकनीकी विभाग संयुक्त शोध सेवाएं शुरू करने जा रहा है, जिससे प्रवासी भारतीय वैज्ञानिक और टेक्नोक्रेट भारत के शोध और विकास में भागीदार बन सकेंगे. विदेशों में रोजगार चाहने वाले भारतीय युवाओं के लिए सरकार जल्द एक प्रवासी कौशल विकास योजना शुरू करेगी. गौरतलब है कि प्रवासी भारतीयों को एक साझा मंच देने और उन्हें देश से जोड़ने के लिए 2003 से जनवरी माह में प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है.

इस मौके पर देश के उद्यमी, कारोबारी, राज्य सरकारों और केंद्र सरकार द्वारा दुनिया के कोने-कोने से आए भारतवंशियों को देश के लिए लुभाने और देश के प्रति स्नेह भाव पैदा करने का प्रयास किया जाता है. 14वें प्रवासी सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रवासियों का आकषर्ण इसलिए बढ़ा हुआ था, क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले ढाई साल में प्रवासियों में उत्साह व देश प्रेम पैदा किया है. अपने प्रभावपूर्ण भाषण से प्रवासियों को देश से जोड़ने का प्रयास किया है. विदेशों में विभिन्न सभाओं में एक ओर उन्होंने देश में पूंजी की जरूरत के लिहाज से प्रवासियों की भूमिका को महत्त्वपूर्ण बताया था. वहीं दूसरी ओर उन्होंने प्रवासियों की सुविधाओं के लिए अभूतपूर्व घोषणाएं भी की. स्थिति यह है कि उन्होंने जो घोषणाएं की, उन्हें सरकार ने देखते-ही-देखते अमलीजामा भी पहना दिया.

निश्चित रूप से केंद्र सरकार देश के साथ-साथ पूरी दुनिया से उच्च शिक्षा प्राप्त कुशल पेशेवरों और प्रतिभाओं को अपने साथ जोड़ने की डगर पर आगे बढ़ रही है. इसके लिए केंद्र सरकार ने एक सितम्बर से 30 सितम्बर, 2016 तक की अवधि तक पहले चरण में 100 आवेदकों के चयन के लिए ऑनलाइन पेशकश की थी. इस पेशकश के मद्देनजर सौ गुना से अधिक विदेशी आवेदकों ने अनुबंध आधार पर तीन साल के लिए देश के विकास में अपना योगदान देने के लिए आवेदन किया है. आवेदकों में अमेरिका के प्रसिद्ध कोलंबिया, कॉन्रेल और येल जैसे विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों, ऐप्पल, गूगल, फेसबुक सहित अन्य प्रमुख वैिक कंपनियों में काम करने वाले पेशेवर और साइंटिस्ट भी शामिल हैं.

उल्लेखनीय है कि कुछ समय पहले अमेरिका के ड्यूक विश्वविद्यालय, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय और हार्वर्ड विश्वविद्यालय के सहयोग से कॉफमैन फाउंडेशन द्वारा किए गए शोध अध्ययन में कहा गया है कि चूंकि भारत का आर्थिक परिदृश्य अनुकूल है अत: अमेरिका और अन्य विकसित देशों से भारतीय प्रतिभाएं भारत की ओर तेजी से लौट सकती हैं. यदि हम चाहते हैं कि प्रवासी भारतीय भारत की ओर विदेशी मुद्रा के प्रवाह में भारी वृद्धि करें और भारत के विकास के पूर्ण सहभागी बनें तो हमें प्रवासियों के प्रति सांस्कृतिक सहयोग और स्नेह बढ़ाना होगा.

वस्तुत: दुनिया के सारे प्रवासी भारतीय बहुत धनी नहीं हैं. अधिकांश देशों में इनकी आर्थिक हालत बहुत अच्छी नहीं है. खासतौर से विभिन्न खाड़ी देशों में लाखों कुशल-अकुशल भारतीय श्रमिक  इस बात से त्रस्त हैं कि वहां पर इन्हें न्यूनतम वेतन और जीवन के लिए जरूरी उपयुक्त सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं. जिस तरह चीन प्रवासी चीनियों के हितों की रक्षा करता है, हमें उसी तरह भारतीय प्रवासियों को हितों की रक्षा के लिए आगे आना चाहिए. हमें उनके आर्थिक-सामाजिक मुद्दे मजबूती से उठाना चाहिए. जब हम खुलकर प्रवासियों की मदद करते हुए दिखाई देंगे तो फिर निश्चित रूप से दुनिया के अधिकांश भारतीय प्रवासियों का भारत के प्रति लगाव और बढ़ेगा और उनके कदम भारत में निवेश करने के लिए तेजी से आगे बढ़ेंगे.

आशा करें कि आने वाले समय में भारत को विकसित देश बनाने में प्रवासियों की भूमिका महत्त्वपूर्ण होगी. जिस तरह कोई तीन दश्क  पहले चीन में जब प्रवासी चीनियों ने सारी दुनिया से कमाई हुई अपनी दौलत चीन में लगाकर चीन की तकदीर हमेशा के  लिए बदल डाली, उसी प्रकार से भारत की तकदीर बदलने में प्रवासी भारतीयों द्वारा और अधिक कारगर सहयोग किया जाएगा. हम आशा करें कि प्रवासी भारतीय दुनिया के कोने-कोने में अपने ज्ञान और कौशल का परचम फहराते हुए विदेशों से डॉलर, यूरो और अन्य बहुमूल्य विदेशी मुद्राओं का ढेर स्वदेश भेजकर जहां एक ओर भारत को बढ़ती हुई विदेशी पूंज की जरूरत के लिए मदद करेंगे, वहीं दूसरी ओर प्रवासी भारतीय अपने ज्ञान व कौशल के सहयोग से भारतीय अर्थव्यवस्था और भारतीय समाज को चमकाते हुए भी दिखाई देंगे.

जयंतीलाल भंडारी
लेखक


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