पंजाब : तीन तरफा होगा मुकाबला
पंजाब विधान सभा चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला है. एक तरफ अकाली दल-भाजपा गठजोड़ है, दूसरी तरफ कांग्रेस और फिर आम आदमी पार्टी.
पंजाब : तीन तरफा होगा मुकाबला |
हालांकि सत्तारूढ़ आकाली-भाजपा के पक्ष में पंजाब में माहौल अनुकूल नहीं बन पा रहा है. इसके पीछे पंजाब में फैले नशे के कारोबार को ही मुख्य कारक माना जा रहा है, क्योंकि मौजूदा सरकार ने ही भले कितने भी नियम-कानून बनाएं हों, पर सच्चाई यह है कि यहां फैला नशा का धंधा बदस्तूर है. इसे ही विपक्षी पार्टयिां मुद्दा बना रही है, जिसका संतोषजनक जवाब सत्तारूढ़ दल के पास ना के बराबर है. मतलब यह कि त्रिकोणीय संघर्ष के बावजूद पंजाब में मुख्य मुकाबला कांग्रेस व आप के बीच होने की उम्मीद है.
इसी बीच कांग्रेस ने एक दिन पहले अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है. यह घोषणा पत्र पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने 9 जनवरी जारी किया. यह खास बात है. इस दौरान मनमोहन ने कहा कि पंजाब को अमरिंदर के नेतृत्व की जरूरत है. पंजाब के लोग बेहतर कल चाहते हैं. घोषणा पत्र में पंजाब की बेहतरी के मुद्दे हैं. पिछले 10 साल में सरकार की नाकामी से पंजाब के लोगों के सामने चुनौती आ गई है और लोगों को बेहतर कल चाहिए. मनमोहन सिंह का कहना है कि पिछली सरकार ने जो नुकसान किया है, उसकी भरपाई कांग्रेस करेगी. कैप्टन की सरकार बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर बनाएगी, युवाओं को रोजगार देगी. साथ ही कांग्रेस के अन्य नेताओं ने इशारा किया कि पार्टी से जुड़े भाजपा के चर्चित नेता नवजोत सिंह सिद्धू के मैदान में आने से राज्य की राजनीति पर व्यापक असर होगा, जो अन्य दलों को परेशान कर सकता है.
यों कहें कि कांग्रेस ने अपनी रणनीति को स्पष्ट कर दिया है कि वह राज्य को नशामुक्त कर युवाओं को रोजगार की दिशा में ले जाएगी और वह सब काम करेगी, जिसके न होने से पंजाब आज बदहाली की कगार पर है. पंजाब की राजनीति को नजदीक से समझने वाले लोगों का कहना है कि कांग्रेस दिन-ब-दिन अपनी स्थिति सुधारती जा रही है. इन दिनों कांग्रेस की पूरी कोशिश है कि वह सत्तारूढ़ गठबंधन के खिलाफ वाले मतों में विभाजन को कम करे. इस काम में कांग्रेस बहुत हद तक सफल भी रही है. खासकर भाजपा से नाराज होकर गठबंधन को मजा चखाने वाले मतदाता पहले तो ‘आप’ के प्रति जबरदस्त तरीके से आकर्षित थे, लेकिन अब उनका उत्साह घटा है और विकल्प के तौर पर वे कांग्रेस को विसनीय मानने लगे हैं. इस स्थिति में परिवर्तन आने की पूरी संभावना है.
यह उत्तरोत्तर परिवर्तित होती रही तो कांग्रेस पंजाब में एक बड़ी पार्टी के रूप में आ सकती है. उधर, राजनीति के जानकार बताते हैं कि सचाई यह है कि ‘आप’ में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. जहां एक ओर पार्टी के रणनीतिकार गुप्त रूप से अधिवक्ता एचएस फुलका का नाम सीएम के रूप में आगे बढ़ा रहे हैं, वहीं पार्टी का एक धड़ा भगवंत मान को बतौर सीएम प्रस्तुत करने लगा है. जानकारों की मानें तो भगवंत मान अपने निकटस्थों को यह संदेश दे रहे हैं कि पंजाब में ‘आप’ की सरकार बनने पर वे नि:संदेह सीएम बनेंगे. खबर तो यहां तक है कि इस हैसियत से वे कई बार कुछ प्रभावशाली विदेशी संस्थाओं के सामने भी प्रस्तुत हो चुके हैं. हालांकि ‘आप’ ने आधिकारिक रूप से अभी तक पंजाब के सीएम के नाम की प्रस्तावना नहीं की है.
पार्टीजनों का कहना है कि आप की छवि का प्रतिनिधित्व फुलका ही करते हैं. फुलका की अपनी एक हैसियत है. वे अन्य की तुलना में ज्यादा समझदार हैं. साथ ही एक खास समुदाय में उनकी अंदर तक पहुंच भी है. पंजाब जैसे पेचीदे प्रांत के लिए एक समझदार सीएम जरूरी है. खैर, यह तो तब की बात है, जब ‘आप’ को बहुमत मिले. बहरहाल, पंजाब की स्थितियां कुछ मामले में पेचीदा तो कुछ मामलों में स्पष्ट है. बताते हैं कि लोग कथित रूप से सत्तारूढ़ आकाली-भाजपा को नजरअंदाज कर दूसरे को मौका देना चाहते हैं, जबकि एक मजबूत धड़े के रूप में उभरी ‘आप’ खुद आंतरिक कलह में उलझकर अपनी दशा खराब कर रही है. दूसरी ओर, कांग्रेस इन हालातों को भांपते हुए खुद को सुधारने की कोशिश में है. बावजूद इसके परिणाम के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है. खैर, देखना है कि आगे क्या होता है?
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