रिलायंस समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी को ED ने पूछताछ के लिए भेजा समन, 17 हजार करोड़ के लोन फ्रॉड से जुड़ा है मामला

Last Updated 01 Aug 2025 11:42:26 AM IST

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अनिल अंबानी को समन जारी किया है और उन्हें 5 अगस्त को पूछताछ के लिए बुलाया है।


प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रिलायंस समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी के समूह की कंपनियों के खिलाफ दर्ज करोड़ों रुपये के कथित बैंक ऋण धोखाधड़ी से जुड़े धन शोधन मामले में उन्हें पांच अगस्त को पूछताछ के लिए बुलाया है। आधिकारिक सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

सूत्रों ने कहा कि मामला दिल्ली में दर्ज होने की वजह से अंबानी (66) को दिल्ली स्थित ईडी मुख्यालय बुलाया गया है। उन्होंने कहा कि एजेंसी अंबानी के पेश होने पर धनशोधन निवारण अधिनियम के तहत उनका बयान दर्ज करेगी। उनके समूह की कंपनियों के कुछ अधिकारियों को भी अगले कुछ दिन में पेश होने के लिए कहा गया है।

पिछले सप्ताह संघीय एजेंसी ने 50 कंपनियों के 35 परिसरों और अनिल के व्यापारिक समूह के अधिकारियों समेत 25 लोगों के परिसरों पर छापे मारे थे। 24 जुलाई को शुरू हुई यह छापेमारी तीन दिन तक जारी रही थी।यह कार्रवाई रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर (आर इन्फ्रा) समेत अनिल अंबानी की कई समूह कंपनियों द्वारा कथित वित्तीय अनियमितताओं और 17,000 करोड़ रुपये से अधिक के सामूहिक ऋण को किसी और काम में इस्तेमाल करने के लिए की गई।

सेबी की एक रिपोर्ट के आधार पर, एजेंसी ने पाया कि आर इंफ्रा ने सीएलई नामक एक कंपनी के माध्यम से रिलायंस समूह की कंपनियों में इंटर-कॉर्पोरेट डिपॉजिट(आईसीडी) के रूप में धनराशि "हस्तांतरित" की। आरोप है कि आर इंफ्रा ने शेयरधारकों और ऑडिट पैनल की मंजूरी से बचने के लिए सीएलई को अपनी "संबंधित पार्टी" के रूप में प्रकट नहीं किया।

रिलायंस समूह के सूत्रों ने बताया कि कंपनी ने नौ फरवरी को सार्वजनिक रूप से आर इन्फ्रा से संबंधित मामले का खुलासा किया था।रिलायंस समूह के सूत्रों ने कहा कि रिलायंस इंफ्रा पर 6,500 करोड़ रुपये का कर्ज था। उन्होंने कहा कि यह आरोप सनसनीखेज और तथ्यों पर आधारित नहीं है कि 10,000 करोड़ रुपये की धनराशि दूसरे कामों में इस्तेमाल की गई।

उन्होंने कहा कि रिलायंस इंफ्रा ने इस मामले में अपनी बकाया राशि की वसूली के लिए कड़ी मेहनत की।उन्होंने बताया कि उच्चतम न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा आयोजित और बंबई उच्च न्यायालय में दायर अनिवार्य मध्यस्थता कार्यवाही के माध्यम से, रिलायंस इंफ्रा ने 6,500 करोड़ रुपये के अपने पूरे बकाया की वसूली के लिए एक समझौता किया।

कंपनी के सूत्रों ने कहा कि समझौते में शामिल ओडिशा की वितरण कंपनियां चालू हैं और उनकी वसूली अदालतों में लंबित है।

कंपनी के सूत्रों ने बताया कि आरोपों के विपरीत, यह राशि पूरी तरह से वसूली योग्य है।

ईडी 2017-2019 के बीच अंबानी की समूह कंपनियों को यस बैंक से मिले लगभग 3,000 करोड़ रुपये के "अवैध" ऋण को दूसरे कामों में इस्तेमाल करने के आरोपों की भी जांच कर रही है।


 

भाषा
नई दिल्ली


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