Patanjali Misleading Advertisement Case : योग गुरु रामदेव और आचार्य बालकृष्ण सुप्रीम कोर्ट में हुए पेश, भ्रामक विज्ञापन मामले में मांगी माफी

Last Updated 02 Apr 2024 12:34:29 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापन मामले में अनुपालन को लेकर उचित हलफनामा दायर नहीं कर और ‘‘हर सीमा को तोड़कर पूरी तरह से अवज्ञा’’ करने के लिए योग गुरु रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक (MD) आचार्य बालकृष्ण के प्रति मंगलवार को नाराजगी जताई।


न्यायालय ने पतंजलि के प्रबंध निदेशक के इस बयान को भी खारिज कर दिया कि औषधि एवं प्रसाधन सामग्री (जादुई उपचार) अधिनियम पुराना है।

न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने मंगलवार को कहा, ‘‘केवल उच्चतम न्यायालय ही नहीं, इस देश की सभी अदालतों द्वारा पारित हर आदेश का सम्मान किया जाना चाहिए... यह पूरी तरह से अवज्ञा है।’’

पीठ ने अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश हुए रामदेव और बालकृष्ण से कहा, ‘‘आपको न्यायालय में दिए गए वचन का पालन करना होगा, आपने हर सीमा तोड़ी है।’’

अदालत ने इस बात पर हैरत जताई कि जब ‘‘पतंजलि कंपनी पूरे जोर-शोर से यह कह रही थी कि एलोपैथी में कोविड का कोई इलाज नहीं है तब केंद्र ने अपनी आंखें बंद क्यों रखीं।’’

रामदेव की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता बलबीर सिंह ने अदालत से योग गुरु की उपस्थिति और उनके बिना शर्त माफी मांगने पर गौर करने का आग्रह किया।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से कहा कि जो हुआ, वह नहीं होना चाहिए था और उन्होंने पूरे मामले का समाधान खोजने के लिए पक्षकारों के वकील की मदद करने की पेशकश की।

न्यायमूर्ति कोहली ने बालकृष्ण के वकील से कहा, ‘‘आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए था कि हलफनामा आपके पवित्र वचन का पालन करते हुए दायर किया गया है।’’

सुनवाई की शुरुआत में जब पतंजलि और अन्य के वकील ने अनुपालन के हलफनामे दाखिल करने के लिए कुछ और समय मांगा तो पीठ ने कहा, ‘‘कभी-कभी चीजें तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचनी चाहिए।’’

न्यायालय ने रामदेव और बालकृष्ण को मामले में एक सप्ताह में हलफनामे दाखिल करने का आखिरी मौका दिया।

पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 10 अप्रैल की तारीख तय करते हुए निर्देश दिया कि वे दोनों (रामदेव और बालकृष्ण) अगली तारीख पर उसके समक्ष उपस्थित रहेंगे।

न्यायालय ने पतंजलि आयुर्वेद के उत्पादों और उनके चिकित्सकीय प्रभावों के विज्ञापनों से संबंधित अवमानना कार्यवाही के मामले में 19 मार्च को रामदेव और बालकृष्ण से व्यक्तिगत रूप से अपने समक्ष पेश होने को कहा था। पीठ ने कंपनी और बालकृष्ण को पहले जारी किए गए अदालत के नोटिस का जवाब दाखिल नहीं करने पर कड़ी आपत्ति जताई थी।

न्यायालय ने कहा था कि उसे रामदेव को ‘कारण बताओ’ नोटिस जारी करना उपयुक्त लगता है क्योंकि पतंजलि द्वारा जारी विज्ञापन 21 नवंबर, 2023 को अदालत में दिए गए हलफनामे का विषय हैं। इसने कहा कि ऐसा लगता है कि रामदेव ने इसका समर्थन किया था।

पीठ ने कहा, ‘‘क्या दोनों उपस्थित है?’’

रामदेव की ओर से पेश वकील ने कहा कि वे दोनों अदालत में हैं।

पीठ ने कहा कि पतंजलि द्वारा जारी विज्ञापन देश के ‘‘कानून के दायरे’’ में हैं।

पतंजलि आयुर्वेद के आचार्य बालकृष्ण ने कई गंभीर बीमारियों के इलाज में औषधीय प्रभावकारिता का दावा करने वाली कंपनी के हर्बल उत्पादों के विज्ञापन और चिकित्सा की अन्य प्रणालियों को कमजोर करने के लिए उच्चतम न्यायालय में बिना शर्त माफी मांगी है।

पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड ने 21 नवंबर, 2023 को शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया था कि वह किसी भी कानून का, खासकर उसके उत्पादों के विज्ञापन या ब्रांडिंग से संबंधित कानूनों का उल्लंघन नहीं करेगी।

 

भाषा
नई दिल्ली


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