New GST Rules: जीएसटी नियमों में होने वाला है बदलाव, ज्यादा ITC लेने पर वजह बतानी होगी या उसे लौटाना होगा

Last Updated 09 Jul 2023 11:58:36 AM IST

माल एवं सेवा कर (GST) परिषद एक नया कानून लाने की तैयारी कर रही है। इस नए कानून के तहत यदि किसी कंपनी या कारोबारी ने अधिक इनपुट कर क्रेडिट (ITC) का दावा किया है, तो उसे इसकी वजह बतानी होगी या अतिरिक्त राशि सरकारी खजाने में जमा करानी होगी। सूत्रों ने यह जानकारी दी।


सूत्रों ने बताया कि केंद्र और राज्यों के कर अधिकारियों वाली विधि समिति का विचार है कि जहां जीएसटीआर-3बी रिटर्न में लिया गया आईटीसी स्वत: सृजित वाले जीएसटीआर-बी में दर्ज राशि से एक निश्चित सीमा से अधिक हो जाता है, तो पंजीकृत व्यक्ति को पोर्टल के जरिये इसकी जानकारी दी जानी चाहिए। इसके साथ ही उसे इस अंतर की वजह बताने या अतिरिक्त आईटीसी को ब्याज के साथ लौटाने का निर्देश दिया जाना चाहिए।

समिति ने सुझाव दिया है कि यदि अंतर 20 प्रतिशत से अधिक और राशि 25 लाख रुपये से अधिक है, तो यह प्रावधान लागू होना चाहिए।

जीएसटी परिषद की 11 जुलाई को होने वाली 50वीं बैठक में समिति की सिफारिशों पर अंतिम निर्णय लिया जा सकता है। अभी कारोबारी अपने आपूर्तिकर्ताओं द्वारा किए गए कर के भुगतान का इस्तेमाल जीएसटीआर-3बी में अपनी जीएसटी देनदारी निपटाने के लिए करते हैं।

ऐसे मामलों में जहां जीएसटीआर-1 और जीएसटीआर-3बी में घोषित कर देनदारी में अंतर 25 लाख रुपये और 20 प्रतिशत की निर्दिष्ट सीमा से अधिक है, कारोबारियों को इसकी वजह बताने या शेष कर को जमा कराने के लिए कहा जाएगा।

जीएसटी नेटवर्क जीएसटीआर-2बी फॉर्म तैयार करता है, जो एक स्वत: सृजित होने वाला दस्तावेज है। इससे आपूर्तिकर्ताओं द्वारा जमा कराए गए प्रत्येक दस्तावेज में आईटीसी की उपलब्धता या अनुपलब्धता का पता चलता है।

सूत्रों ने कहा कि विधि समिति का विचार है कि पंजीकृत व्यक्ति को बाहरी आपूर्ति या जीएसटीआर -1 का मासिक विवरण दाखिल करने की अनुमति उस समय तक नहीं दी जानी चाहिए, जब तक कि उसने कर अधिकारी को विसंगति के बारे में संतुष्ट न कर दिया हो या अतिरिक्त आईटीसी दावे को लौटा नहीं दिया हो।

जीएसटी अधिकारियों पिछले महीने जीएसटीआर-1 में घोषित कर देनदारी और जीएसटीआर-3बी में भुगतान किए गए कर में अंतर के मामलों में इसी तरह का ही कर अपवंचना को रोकने का कदम उठाया था।

इस कदम का उद्देश्य फर्जी चालान के मामलों पर अंकुश लगाना है। जालसाज आमतौर पर सामान या सेवाओं की वास्तविक आपूर्ति के बिना गलत तरीके से आईटीसी का लाभ उठाने के लिए इस मार्ग का इस्तेमाल करते हैं।

जीएसटी के तहत फर्जी पंजीकरण का पता लगाने के लिए जीएसटी अधिकारियों दो माह का विशेष अभियान शुरू किया है।

ऐसे पंजीकरण फर्जी बिल या इन्वॉयस जारी करने और सरकार को चूना लगाने के मकसद से किए जाते हैं।

जीएसटी आसूचना महानिदेशालय (डीजीजीआई) ने वित्त वर्ष 2022-23 में 1.01 लाख करोड़ रुपये से अधिक की जीएसटी चोरी का पता लगाया है, जो इससे पिछले वर्ष की तुलना में दोगुना आंकड़ा है। इनमें अधिकारियों ने 14,000 मामले दर्ज किए गए हैं।
 

भाषा
नई दिल्ली


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