विश्लेषण : दीर्घकालिक विकास पर नजर
अपना चौथा बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश के सामने दीर्घकालिक विकास को अधिक महत्त्व देते हुए लोक-लुभावनी घोषणाओं से परहेज किया और बजट का केंद्रबिंदु आधारभूत अवसंरचना विकास और अर्थव्यवस्था के हरेक क्षेत्र में तकनीक के बेहतर प्रयोग के माध्यम से उत्पादकता और पारदर्शिता बढ़ाने पर रखा।
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2021-22 के बजट से पूंजीगत व्यय में जबरदस्त उछाल की परंपरा को कायम रखते हुए इस बार भी इसे 35.4 फीसद से बढ़ाते हुए 7.5 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है। राज्यों को पूंजी निर्माण के लिए दिए जाने वाले अनुदान को जोड़ देने पर पूंजीगत व्यय 10.68 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जो भविष्य में जीडीपी विकास दर को दहाई अंक में पहुंचाने की क्षमता निर्माण करेगा। अवसंरचना विकास में पूंजीगत व्यय की प्राथमिकता ‘प्रधानमंत्री गति शक्ति’ योजना को दी गई है, जो आवागमन और परिवहन के साधनों को समग्रता और समनव्यता से विकसित करने की योजना है, जिससे अर्थव्यवस्था में न्यूनतम खर्च पे आपूर्ति-मांग श्रृंखला को सुदृढ़ किया जाए।
इससे लागत मूल्यों में कमी आएगी और देश की उत्पादन दक्षता बढ़ेगी, जिसका लाभ देश में कम कीमतों के रूप में उपभोक्ताओं के पास पहुंचेगा और साथ ही निर्यात के लिए हमारे उत्पादों की मांग बढ़ेगी। 25,000 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग, बहुविधि लॉजिस्टिक पार्क, एक-स्टेशन एक उत्पाद, डाक सेवा और रेल नेटवर्क में समग्रता और 100 गति शक्ति कार्गो टर्मिंनल जैसी घोषणाएं रोजगार में वृद्धि के साथ-साथ माल ढुलाई में होने वाले नुकसान को कम करेंगी और उत्पादों को नये बाजार देकर उत्पादनकर्ता और व्यापारी वर्ग की आय को बढ़ाएंगी।
किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्यों पर खरीदारी के लिए आवंटन में बढ़ोतरी उत्तर प्रदेश और पंजाब के चुनाव में भुनाई जाएगी परंतु गंगा नदी के 5 किलोमीटर के दायरे में जैविक खेती को बढ़ावा देने की घोषणा दूरदर्शी योजना है, जिसका लाभ किसानों को मिलेगा। जैविक उत्पादों की मांग देश के महानगरों और विदेशों में खूब है, और जब गति शक्ति योजना से परिवहन संरचना सुदृढ़ हो जाएगी, किसान अपने जैविक उत्पादों को इन बाजारों में बेच पाएंगे, जिससे उनकी आय कम समय में गुणात्मक वृद्धि करेगी।
अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में तकनीक का उपयोग बढ़ाने पर बल दिया गया है, जो स्वागतयोग्य है। तकनीक का उपयोग उत्पादकता बढ़ाता है, और दीर्घकाल में खर्च को कम करता है, जिससे लाभांश बढ़ता है। नई तकनीक रोजगार भी उत्पन्न करती हैं। शासकीय व्यवस्था में तकनीक का उपयोग पारदर्शिता लाने के साथ-साथ निर्णय में तेजी लाकर अर्थव्यवस्था में व्यापार करने की सुलभता बढ़ाता है।
इसलिए इसका साकारतमक परिणाम ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ और ‘ईज ऑफ लिविंग’ पर पड़ेगा। डाकघर में डिजिटल बैंकिंग और 75 नये डिजिटल बैंक शाखा शुरू करना आम नागरिकों के जीवन में सुविधा लाएगा। ई-कार को आम जनता तक सुलभता से पहुंचाने के लिए बैटरी बदलने की नीति और 5जी स्पेक्ट्रम का आवंटन बजट की 2 ऐसी घोषणाएं हैं, जो अर्थव्यवस्था के साथ-साथ आम जनजीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने की क्षमता रखती हैं। हालांकि बजट में निम्न और मध्यमवर्गीय परिवारों की महंगाई से तत्काल राहत की अपेक्षाओं को धक्का लगा है क्योंकि आयकर में किसी प्रकार की छूट नहीं दी गई। अर्थव्यवस्था में उपभोग खर्च बढ़ने से जीडीपी की वृद्धि दर में तात्कालिक रूप से गुणात्मक वृद्धि होती है, जो इस बजट से नदारद है।
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