मोटे अनाजों की खरीद, आवंटन, वितरण दिशानिर्देशों में संशोधन
सरकार ने मोटे अनाजों की खरीद, आवटन व वितरण के दिशानिर्देशों में संशोधन किया है।
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ज्वार व रागी की वितरण अवधि पहले की 3 माह की अवधि से बढ़ाकर 6 व 7 माह की गई है। संशोधित दिशानिर्देश में मोटे अनाज की खरीद को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया गया है।
मोटे अनाज की खरीद के लिए अब तक जारी दिशानिर्देशों तहत राज्यों को केंद्रीय पूल के तहत किसानों से एमएसपी पर मोटा अनाज खरीदने की अनुमति दी गई थी।
कुछ राज्यों को मोटे अनाज की खरीद प वितरण में आ रही कठिनाइयों को दूर करने और केंद्रीय पूल के तहत मोटे अनाज की खरीद बढ़ाने के लिए विभिन्न हितधारकों के साथ विचार-विमर्श किया गया और बातचीत के आधार पर मोटे अनाजों की खरीद, आवंटन, वितरण और बिक्री के लिए दिशानिर्देशों में संशोधन किया है।
संशोधन के अनुसार, ज्वार और रागी की वितरण अवधि पहले की 3 महीने से बढ़ाकर क्रमश: 6 और 7 महीने कर दी गई है। इससे इन अनाजों की खरीद और खपत में बढ़ोतरी होगी क्योंकि राज्य के पास इन अनाजों को वितरित करने के लिए अधिक समय होगा। इसमें खरीद शुरू होने से पहले उपभोक्ता राज्य द्वारा रखी गई अग्रिम मांग को पूरा करने के लिए एफसीआई के माध्यम से अतिरिक्त मोटे अनाज के इंटर-स्टेट परिवहन का प्रावधान शामिल किया गया है।
नए दिशानिर्देश सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के माध्यम से मोटे अनाज की खरीद खपत को बढ़ाएंगे। चूंकि ये फसलें आमतौर पर सीमांत और असिंचित भूमि पर उगाई जाती हैं, इसलिए इनकी बढ़ी हुई उपज स्थायी खेती और फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करेगी।
खरीद बढ़ने से इन फसलों की खरीद से लाभान्वित होने वाले किसानों की संख्या भी बढ़ेगी। सीमांत और गरीब किसान जो पीडीएस के लाभार्थी भी हैं, उन्हें बाजरे की खरीद और उसके बाद 1 रु पये प्रति किलो की दर से वितरण के कारण लाभ होगा। क्षेत्र विशेष में पैदा होने वाले मोटे अनाजको स्थानीय खपत के लिए वितरित किया जा सकता है जिससे गेहूं व चावल की परिवहन लागत बचेगी।
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