ऋण स्थगन के दौरान नहीं लिया जाएगा ब्याज पर ब्याज

Last Updated 24 Mar 2021 01:02:27 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को निर्देश दिया कि छह महीने की ऋण किस्त स्थगन अवधि के लिए उधारकर्ताओं से कोई चक्रवृद्धि या दंडत्मक ब्याज नहीं लिया जाएगा। यदि पहले ही कोई राशि ली जा चुकी है तो उसे वापस जमा या समायोजित किया जाएगा।


सुप्रीम कोर्ट

कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर पिछले साल ऋण किस्त स्थगन की घोषणा की गई थी। शीर्ष न्यायालय ने 31 अगस्त, 2020 से आगे ऋण किस्त स्थगन का विस्तार नहीं करने के केंद्र सरकार और आरबीआई के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा कि यह एक नीतिगत निर्णय है।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि शीर्ष न्यायालय केंद्र की राजकोषीय नीति संबंधी फैसले की न्यायिक समीक्षा तब तक नहीं कर सकता है जब तक कि यह दुर्भावनापूर्ण और मनमाना न हो। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि वह पूरे देश को प्रभावित करने वाली महामारी के दौरान राहत देने के संबंध में प्राथमिकताओं को तय करने के सरकार के फैसले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है। पीठ ने रीयल एस्टेट और बिजली क्षेत्रों के विभिन्न उद्योग संगठनों द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर अपने फैसले में यह बात कही। इन याचिकाओं में महामारी को देखते हुए ऋण किस्त स्थगन की अवधि और अन्य राहत उपायों को बढ़ाने की मांग की गई थी।

सरकार की दलील : पिछली सुनवाई में केंद्र ने न्यायालय को बताया था कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर रिजर्व बैंक द्वारा छह महीने के लिए ऋण की किस्तों के भुगतान स्थगित रखने जाने की छूट की योजना के तहत सभी वगरे को यदि ब्याज माफी का लाभ दिया जाता है तो इस मद पर छह लाख करोड़ रुपए से ज्यादा धनराशि छोड़नी पड़ सकती है। अगर बैकों को यह बोझ वहन करना होगा तो उन्हें अपनी कुल शुद्ध परिसंपत्ति का एक बड़ा हिस्सा गंवाना पड़ेगा जिससे अधिकांश कर्ज देने वाले बैंक संस्थान अलाभकारी स्थिति में पहुंच जाएंगे और इससे उनके अस्तित्व पर ही संकट खड़ा हो जाएगा। केंद्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इसी वजह से ब्याज माफी के बारे में सोचा भी नहीं गया और सिर्फ किस्त स्थगित करने का प्रावधान किया गया था।

एसएनबी
नई दिल्ली


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