हमेशा के लिए नहीं रखा जा सकता लॉकडाउन

Last Updated 01 May 2020 03:00:21 AM IST

जाने-माने अर्थशास्त्री और भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने बृहस्पतिवार को कहा कि लॉकडाउन हमेशा के लिए जारी नहीं रखा जा सकता और अब आर्थिक गतिविधियों को खोलने की जरूरत है ताकि लोग अपना काम-धंधा फिर शुरू कर सकें।


भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन (file photo)

हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि यह कदम सावधानी पूर्वक उठाया जाना चाहिए।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से संवाद में उन्होंने कहा कि भारत एक गरीब देश है और संसाधन कम हैं। इसलिए हम ज्यादा लंबे समय तक लोगों को बैठाकर खिला नहीं सकते। कोविड-19 से निपटने के लिए भारत जो भी कदम उठाएगा, उसके लिए बजट की एक सीमा है। हालांकि गांधी ने राजन से जब किसानों और प्रवासी श्रमिकों की समस्या पर सवाल किया तो राजन ने कहा कि यही वह क्षेत्र है जहां हमें अपनी प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना का फायदा उठाना चाहिए। हमें संकट में पड़े किसानों और मजदूरों की मदद के लिए इस प्रणाली का उपयोग करना चाहिए।
इस पर आने वाले खर्च के संबंध में गांधी के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कोविड-19 संकट के दौरान देश में गरीबों की मदद के लिए 65,000 करोड़ रु पए की जरूरत होगी। हम उसका प्रबंध कर सकते हैं क्योंकि हमारी अर्थव्यवस्था 200 लाख करोड़ रु पए की है। उन्होंने कहा, ‘यदि गरीबों की जान बचाने के लिए हमें इतना खर्च करने की जरूरत है तो हमें करना चाहिए।’ लॉकडाउन से जुड़े सवाल पर राजन ने कहा, ‘अगर आप लॉकडाउन के दूसरे चरण को लीजिए जिसका मतलब है कि आप अर्थव्यवस्था को फिर से खोलने में पूरी तरह से सफल नहीं हुए। हमें चीजों को खोलना होगा और स्थिति का प्रबंधन करना होगा। अगर कोराना संक्रमण का कोई मामला आता है तो उसे हम पृथक करें।’

उन्होंने कहा कि भारत में मध्य वर्ग और निम्न मध्य वर्ग के लिए अच्छे रोजगार के अवसर सृजित करना बहुत जरूरी है। यह काम अर्थव्यवस्था में बहु बड़े पैमाने पर विस्तार के साथ ही किया जा सकता है। पर उन्होंने साथ में यह भी जोड़ा कि कि पिछले कुछ सालों से भारत की आर्थिक वृद्धि दर उत्तरोत्तर गिर रही है। राजन ने कहा कि रोजगार के अच्छे अवसर निजी क्षेत्र में होने चाहिए, ताकि लोग सरकारी नौकरियों के मोह में ना बैठें। इसी संदर्भ में उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी आउटसोर्सिंग उद्योग का जिक्र किया कि किसी ने सोचा नहीं था कि यह इस तरह एक मजबूत उद्योग बनेगा। उन्होंने कहा कि ‘‘यह आउटसोर्सिंग क्षेत्र इसलिए पनप और बढ़ सका क्योंकि उसमें सरकार का दखल नहीं था।’
गांधी ने राजन से एक सवाल किया था कि कोविड-19 भारत के लिए कुछ अवसर भी उपलब्ध कराता है। इसके जवाब में राजन ने कहा कि इतना बड़ा संकट किसी के लिए अच्छा नहीं हो सकता लेकिन कुछ तरीके सोचे जा सकते हैं। हमारा प्रयास नई परिस्थितियों के साथ वैश्विक चर्चा को इस तरफ मोड़ने पर होना चाहिए जिसमें ज्यादा से ज्यादा देशों के फायदे की बात हो। कांग्रेस नेता के एक प्रश्न के उत्तर में राजन ने कहा, ‘इन हालात में भारत अपने उद्योगों एवं आपूर्ति श्रृंखला के लिए अवसर हासिल कर सकता है। परंतु हमें इस बहुध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था में संवाद का प्रयास करना होगा।’ उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के बाद भारत के संदर्भ में अब तक जो आंकड़े आए हैं वो चिंताजनक हैं।
रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर ने कहा, ‘अगर आप सीएमआईई (सेंटर फॉर मानिटिरंग इंडियन इकोनामी) के आंकड़े को देखें तो कोविड-19 के कारण 10 करोड़ और लोगों से रोजगार छिन गया है। हमें अर्थव्यवस्था को इस तरह से खोलना होगा कि लोग फिर से काम पर लौट सकें।’  उन्होंने कहा कि हमारे पास इतनी बड़ी संख्या में लोगों की लंबे समय तक मदद करने की क्षमता नहीं है।

भाषा
नई दिल्ली


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