कोरोना वायरस का असर: चिकन के दामों में भारी गिरावट, पोल्ट्री उद्योग तबाह

Last Updated 09 Mar 2020 09:48:56 AM IST

चिकन से कोरोना वायरस फैलने की अफवाहों के कारण चिकन सस्ता हो गया है, लेकिन पोल्ट्री उद्योग और इससे संबंधित उद्योग तबाही के कगार पर आ गया है। पोल्ट्री उद्योग की तबाही के कारण पोल्ट्री उपकरण और फीड मुहैया करने वाले उद्योग भी प्रभावित हुए हैं।


कृषि अर्थशास्त्री और पॉल्ट्री फेडरेशन आफ इंडिया के एडवायजर विजय सरदाना ने बताया कि अफवाह के कारण कुक्कुट पालक किसानों की उत्पादन लागत जहां 80 रुपये है वहां उन्हें चिकन की कीमत 20 रुपये मिल रही है। उन्होंने बताया पोल्ट्री उद्योग देश में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करीब दो करोड़ लोगों को रोजगार देता है, लेकिन चिकन से कोरोना वायरस फैलने की अफवाह के कारण पूरा उद्योग तबाह हो गया है जिससे इस उद्योग से जुड़ लोगों की आजीविका संकट में है।

कोरोना फैलने के डर के मारे लोग मांस, मछली, चिकन, अंडा खाने से परहेज करने लगे हैं जिससे चिकन की मांग कम हो गई है। बताया जाता है मांग कम होने से चिकन की थोक कीमत में 70 फीसदी की गिरावट आई है, वहीं, उपभोक्ताओं को जहां एक किलो चिकन के लिए 180-200 रुपये खर्च करने पड़ते थे वहां अब उनको 100-150 रुपये प्रति किलो चिकन मिल रहा है।

नोएडा के एक चिकन विक्रेता ने बताया कि उसकी खरीद इस समय प्रति चिकन 50-60 रुपये पड़ रही है जबकि वह 150 रुपये प्रति किलो तक बेचता है।

बिहार के मुजफ्फरपुर के एक उपभोक्ता ने बताया कि पहले जहां एक किलो चिकन के लिए तकरीबन 200 रुपये चुकाना पड़ता था वहां अब 100 रुपये प्रति किलो में भी चिकन लेने कोई नहीं आ रहा है।

केंद्रीय पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्यपालन मंत्री गिरिराज सिंह ने पिछले दिनों बताया कि मुर्गे से कोरोनावायरस फैलने की अफवाहों के चलते देश के पॉल्ट्री उद्योग पर काफी असर पड़ा है। बकौल गिरिराज सिंह उनको दक्षिण भारत से आने वाले एक सांसद ने बताया कि इससे पोल्ट्री उद्योग को रोजाना 1,500 से 2,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।

वहीं, केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी राज्यमंत्री डॉ. संजीव कुमार बालियान की माने तो इस अफवाह के कारण चिकन के थोक भाव में 70 फीसदी तक की गिरावट आई है। उन्होंने बताया कि चिकन का भाव जहां 100 रुपये प्रति किलो चल रहा था, वहां अब घटकर 30 रुपये प्रति किलो पर आ गया है।

पोल्ट्री उद्योग को फीडिंग सिस्टम, मैनुअल फीडर, वाटर सिस्टम, ड्रिंकर हीटिंग सिस्टम, वेंटिलेटर आदि उपकरण मुहैया करवाने वाली कंपनी धूमल इंडस्ट्रीज के अधिकारी पुरुषोत्तम कौजलगी ने आईएएनएस को बताया कि कोरोना वायरस के प्रकोप के बाद बीते एक महीने से उनके कारोबार पर काफी असर पड़ा है। उन्होंने बताया कि न तो किसी उपकरण की मांग आ रही है और न ही नये प्रोजेक्ट सामने आ रहे हैं, बल्कि पुराने प्रोजेक्ट ने भी फिलहाल काम बंद कर दिया है।

पोल्ट्री फीड बनाने वाली एक कंपनी के अधिकारी ने बताया कि उनकी बिक्री तकरीबन ठप पड़ गई है, साथ ही फीड तैयार करने के लिए मक्के और सोयाबीन व अन्य वस्तुओं की वह खरीदारी करते थे, वह भी उन्होंने फिलहाल रोक दी है।

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने अफवाहों का खंडन करते हुए कहा कि विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन(ओआईई) के मुताबिक कोरोना वायरस का संचार मानव से मानव में होता है और पशु से मानव में या मानव से पशु में इसका संचार होने का अब तक कोई प्रमाण नहीं मिला है।

विजय सरदाना ने बताया कि भारत का पोल्ट्री उद्योग एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की है जोकि तकरीबन खत्म हो गई है। उन्होंने कहा कि इसका सबसे ज्यादा असर मक्का और सोयाबीन उत्पादक किसानों और सोया इंडस्ट्री पर पड़ा है। उन्होंने बताया कि मक्के का दाम प्रति टन 7,000 रुपये घट गया है।

देश में कृषि उत्पादों का सबसे बड़ा वायदा बाजार नेशनल कमोडिटी एंड डेरीवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीएक्स) पर जनवरी से लेकर अब तक सोयाबीन के दाम में 800 रुपये प्रतिक्विंटल से ज्यादा की गिरावट आई है।

 

आईएएनएस
नई दिल्ली


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