रिजर्व बैंक ने YES Bank पर रोक लगाई, निदेशक बोर्ड भंग, निकासी की सीमा 50,000 रुपये तय

Last Updated 06 Mar 2020 09:35:08 AM IST

भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरूवार को नकदी संकट से जूझ रहे निजी क्षेत्र के येस बैंक पर रोक लगाते हुए उसके निदेशक मंडल को भंग कर दिया है। रिजर्व बैंक ने अगले आदेश तक ग्राहकों के लिए निकासी की सीमा 50,000 रुपये तय की है।




इसके अलावा बैंक के जमाकर्ताओं के लिए 50,000 रुपये की निकासी की सीमा तय की है। बैंक के लिए एक प्रशासक की भी नियुक्ति की गई है। रिजर्व बैंक ने सरकार के साथ विचार विमर्श के बाद जमाकर्ताओं के हितों के संरक्षण के लिए यह कदम उठाया है।      

रिजर्व बैंक ने येस बैंक के निदेशक मंडल को भी भंग कर दिया है। निदेशक मंडल पिछले छह माह से बैंक के लिए जरूरी पूंजी जुटाने में विफल रहा। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) प्रशांत कुमार को येस बैंक का प्रशासक नियुक्त किया गया है।      

रिजर्व बैंक ने देर शाम जारी बयान में कहा, ‘‘केंद्रीय बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि विश्वसनीय पुनरोद्धार योजना के अभाव, सार्वजनिक हित और बैंक के जमाकर्ताओं के हित में उसके सामने बैंकिंग नियमन कानून, 1949 की धारा 45 के तहत रोक लगाने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं है।  इसने साथ में येस बैंक के जमाकर्ताओं को यह आश्वासन भी दिया कि उनके हितों की पूरी तरह रक्षा की जाएगी और उन्हें घबराने की कोई जरूरत नहीं है।      

बयान में कहा गया है कि बैंक के प्रबंधन ने इस बात का संकेत दिया था कि वह विभिन्न निवेशकों से बात कर रहा है और इसमें सफलता मिलने की उम्मीद है। बैंक कई निजी इक्विटी कंपनियों के साथ भी पूंजी निवेश के लिए बात कर रहा था।      

बयान में कहा गया है कि इन निवेशकों ने रिजर्व बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ भी विचार विमर्श किया, लेकिन विभिन्न वजहों से उन्होंने बैंक में कोई पूंजी नहीं डाली।    

केंद्रीय बैंक ने कहा कि नियामकीय पुनर्गठन के बजाय एक बैंक या बाजार आधारित पुनरोद्धार अधिक बेहतर विकल्प होता इसलिए रिजर्व बैंक ने इस तरह की प्रक्रिया के लिए पूरे प्रयास किए। बैंक के प्रबंधन को एक विसनीय पुनरोद्धार योजना तैयार करने के लिए पूरा अवसर दिया गया, लेकिन यह सिरे नहीं चढ सकी।      

केंद्रीय बैंक ने अपने इस कदम को उचित ठहराते हुए कहा कि इन घटनाक्रमों के बीच बैंक से लगातार पूंजी निकलती रही।     

इससे पहले दिन में सरकार ने एसबीआई और अन्य वित्तीय संस्थानों को येस बैंक को उबारने की अनुमति दी थी।      

यदि इस योजना का क्रियान्वयन होता है तो कई वर्षों में यह पहला मौका होगा जबकि निजी क्षेत्र के किसी बैंक को जनता के धन के जरिये संकट से उबारा गया। इससे पहले 2004 में ग्लोबल ट्रस्ट बैंक का ओरियंटल बैंक आफ कॉमर्स में विलय किया गया था। 2006 में आईडीबीआई बैंक ने यूनाइटेड वेस्टर्न बैंक का अधिग्रहण किया था।      

इससे करीब छह माह पहले रिजर्व बैंक ने बड़ा घोटाला सामने आने के बाद शहर के सहकारी बैंक पीएमसी बैंक के मामले में भी इसी तरह का कदम उठाया गया था।

जमाकर्ताओं को एटीएम से धन निकालने में झेलनी पड़ी परेशानी

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा येस बैंक पर पाबंदी लगाए जाने के बाद बैंक के परेशान जमाकर्ताओं को एटीएम से धन निकालने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा।      

लंबी कतारों में खड़े जमाकर्ताओं को कहीं मशीनें बंद पड़ी मिलीं तो कहीं एटीएम में धन नहीं था।      

येस बैंक के ग्राहकों की मुसीबत और बढ़ गई जब उन्हें इंटरनेट बैंकिंग प्रणाली के माध्यम से धन स्थानांतरित करने में भी असुविधा झेलनी पड़ी।

भाषा
मुंबई


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment