पराली से बनेगी बायोगैस, सीएनजी वाहनों में हो सकेगा इस्तेमाल

Last Updated 21 Oct 2019 06:34:41 AM IST

धान की कटाई के बाद बचे डंठल और पत्तियों आदि से बायोगैस बनाने वाला देश का पहला संयंत्र हरियाणा के करनाल जिले में लगाया जा रहा है।


पराली से बनेगी बायोगैस (file photo)

यह कदम किसानों द्वारा पराली खेतों में जलाने की प्रवृत्ति में कमी लाने के प्रयासों के तहत उठाया गया कदम है। इस बायोगैस का इस्तेमाल सीएनजी वाहनों में किया जा सकता है।
देश की सबसे बड़ी सीएनजी वितरक कंपनी इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (आईजीएल) ने एक बयान में बताया कि उसके प्रबंध निदेशक ईएस रंगनाथन ने 18 अक्टूबर को करनाल में संयंत्र का भूमि पूजन किया। कंपनी ने कहा कि विशेष मशीन लगाई जाएंगी जो धान की पराली को काटकर उसका गट्ठर बनाएंगी ताकि पराली का पूरे साल भर के लिए भंडारण किया जा सके और संयंत्र चलता रहे। इस संयंत्र की क्षमता साल में 20 हजार एकड़ धान के खेतों की पराली को बायोगैस में बदलने की होगी। कंपनी इस बायोगैस का वितरण करनाल में करेगी।’ कंपनी ने बयान में कहा कि संयंत्र 2022 तक तैयार हो जाएगा। इसे सतत योजना के तहत अजय बायो एनर्जी  बना रही है। 

बयान में कहा गया कि संयंत्र से हर दिन अधिकतम 10 हजार किलोग्राम बायोगैस का उत्पादन होगा। मुख्य कच्चा माल के तौर पर धान की पराली का इस्तेमाल होगा। इसकी क्षमता हर साल 40 हजार टन पराली की खपत करने की होगी। इसमें तैयार बायोगैस का इस्तेमाल ट्रैक्टर व अन्य भारी मशीनों तथा जेनरेटरों में किया जाएगा। बयान के अनुसार संयंत्र से प्राप्त अवशेष जैविक होंगे और इनका इस्तेमाल जैविक खेती में खाद के तौर पर किया जा सकेगा।

भाषा
नई दिल्ली


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