निजीकरण की दिशा में रेलवे का एक और कदम

Last Updated 11 Oct 2019 05:35:56 AM IST

सरकार ने रेलवे के निजीकरण की दिशा में एक कदम और बढ़ा दिया है। इसके लिए सरकार ने 150 ट्रेनों और 50 रेलवे स्टेशनों को निजी ऑपरेटरों को सौंपने के लिए अधिकार प्राप्त समूह का गठन किया है।


नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत (file photo)

यह समूह इसके लिए एक ब्लूप्रिंट तैयार करेगा। अधिकार प्राप्त समूह में नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत को चेयरमैन, जबकि रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनोद कुमार यादव, सचिव आर्थिक मामले (वित्त मंत्रालय), सचिव शहरी विकास मंत्रालय और रेलवे के वित्त आयुक्त को बतौर सदस्य बनाया गया है।
इससे पहले नीति आयोग के मुख्य कार्याधिकारी अमिताभ कांत द्वारा रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनोद कुमार यादव को लिखे गए एक पत्र में कहा गया है कि प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए एक अधिकार प्राप्त समूह गठित किया जाए। पत्र में उन्होंने कहा था कि रेलवे को 400 स्टेशनों को विश्व स्तर के रेलवे स्टेशनों में तब्दील करने की जरूरत थी, लेकिन अब तक इनमें से कुछ ही उन्नत हो पाए हैं। उन्होंने कहा कि ‘‘मैंने रेल मंत्री के साथ विस्तृत चर्चा की जिसमें यह निर्णय हुआ कि कम से कम 50 स्टेशनों के लिए मामले को प्राथमिकता के साथ देखने की जरूरत है। छह हवाईअड्डों के निजीकरण में हालिया अनुभव पर विचार करते हुए कार्य को समयबद्ध तरीके से अंजाम देने के लिए सचिवों के अधिकार प्राप्त समूह के गठन के लिए समान प्रक्रिया।’’    

उन्होंने कहा कि जैसा कि आप पहले ही अवगत हैं कि रेल मंत्रालय ने यात्री ट्रेनों के संचालन के लिए निजी ट्रेन ऑपरेटरों को लाने का भी निर्णय किया है और पहले चरण में 150 ट्रेनों के लिए संबंधित कवायद पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि इंजीनियरिंग रेलवे बोर्ड सदस्य और यातायात रेलवे बोर्ड सदस्य भी अधिकार प्राप्त समूह में शामिल किए जाने चाहिए। लखनऊ-दिल्ली मार्ग पर तेजस एक्सप्रेस, रेलवे का पहला अनुभव है जिसका संचालन गैर रेलवे ऑपरेटर, इसकी अनुषंगी आईआरसीटीसी द्वारा किया जा रहा है। इस ट्रेन को गत चार अक्टूबर को हरी झंडी दिखाई गई थी। नीति आयोग ने यह पत्र बुधवार को भेजा था। इस परिपेक्ष्य में बृहस्पतिवार को रेलवे बोर्ड ने अधिकार प्राप्त समूह का गठन कर दिया है।

सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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