रैनबैक्सी के पूर्व प्रमोटर शिविंदर गिरफ्तार

Last Updated 11 Oct 2019 05:32:04 AM IST

आर्थिक अपराध शाखा ने रैनबैक्सी कंपनी के पूर्व प्रमोटर शिविंदर मोहन सिंह समेत चार लोगों को धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया है।


रैनबैक्सी कंपनी के पूर्व प्रमोटर शिविंदर मोहन सिंह

दबोचे गए तीन अन्य आरोपी सुनील गोढ़वानी, कवि अरोड़ा और अनिल सक्सेना हैं। यह गिरफ्तारी रेलीगेयर इंटरप्राइजेज कंपनी के फंड में हेराफेरी की शिकायत के बाद की गई। पुलिस शिविंदर के भाई मालविंदर की भी पुलिस तलाश कर रही है। उसके खिलाफ लुक आउट नोटिस सकरुलर भी जारी किया गया है।

आर्थिक अपराध शाखा अतिरिक्त पुलिस आयुक्त ओपी मिश्रा एवं एसीपी अमरदीप सहगल ने बताया कि रैनबैक्सी को जापानी कम्पनी दाइची को बेचने के बाद शिविंदर मोहनसिंह व मालविंदर ने रेलिगेयर इंटरप्राइजेज लिमिटेट के नाम से कम्पनी शुरू की। वित्तीय क्षेत्र से जुड़ी इस कंपनी की शाखा रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेट (आरएफएल) है। आरएफएल के प्रतिनिधि मनप्रीत सिंह सुरी ने बताया कि यह कम्पनी लघु एवं मध्यम श्रेणी के उपक्रमों को ऋण उपलब्ध कराती है।

शिकायत में बताया गया था कि दोनों भाइयों को कम्पनी के प्रमोटर के पद से भी हटा दिया गया था। आरोप है कि दोनों भाइयों ने कम्पनी के अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर कम्पनी के फंड को संदिग्ध फर्म में निवेश कराया। अभी तक की जांच में 2397 करोड़ रु पए के दुरु पयोग की बात सामने आई है। इससे पहले अगस्त में ईडी भी दोनों भाइयों के घरों और दफ्तरों पर छापेमारी कर चुकी थी। यह छापेमारी पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) के तहत दर्ज एक केस के सिलसिले में की गई थी। रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड (आरएफएल) ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि सिंह के कंपनी का निदेशक रहते हुए कर्ज लिया गया, लेकिन कर्ज की धनराशि का अन्य कंपनियों में निवेश किया गया।

आरोप है कि दोनों भाइयों ने पिता द्वारा स्थापित रैनबैक्सी कंपनी को करीब ग्यारह साल पहले जापानी कंपनी टाइची सैंक्यो को बेच दिया गया था। इसके बाद से दोनों भाई फोर्टसि हेल्थकेयर (हॉस्पिटल चेन) व रेलीगेयर इंटरप्राइजेज (फाइनेंसियल सर्विस फर्म) को संभाल रहे थे।

मंत्रालय में भी की गई शिकायत : आरईएल और आरएफएल ने इस कथित फ्रॉड की जांच के लिए कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री के पास एक अलग शिकायत दी है। शिकायतकर्ता ने कहा है कि सिंह ब्रदर्स ने विभिन्न बैंकों के पास जो शेयर गिरवी रखे थे, उन्हें इस साल फरवरी में उन बैंकों ने जब्त कर लिया, लिहाजा सिंह ब्रदर्स का आरईएल और आरएफएल सहित इसकी सब्सिडियरीज पर कंट्रोल पूरी तरह खत्म हो चुका है। शिकायतकर्ता ने कहा है कि इस बदलाव के चलते नया बोर्ड बनाया गया है, जिसमें ऐसे प्रोफेशनल्स हैं, जिनका प्रमोटरों से कोई नाता नहीं है।

अनसिक्योर्ड लोन है बड़ी वजह : उन्होंने कहा है, ‘कामकाज संभालने के बाद नए बोर्ड और मैनेजमेंट ने पाया कि आरईएल और इसकी सब्सिडियरीज की वित्तीय स्थिति बहुत खराब है। इस पर उन्होंने इस हालत के कारण तलाशे। आंतरिक जांच में पाया गया कि इस खराब माली हालत का कारण काफी हद तक बड़ी मात्रा में दिए गए अनसिक्योर्ड लोन पर विलफुल डिफॉल्ट थे। 

क्या है मामला
रेलिगेयर के सीनियर मैनेजर ने शिकायत की है कि कंपनी और उसकी सब्सिडियरी रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड (आएफएल) से धोखाधड़ी की गई और ‘सैकड़ों करोड़ रुपए की हेराफेरी कई फाइनेंशियल ट्रांजैक्शंस के जरिए की गई।’ इस शिकायत में आरोप लगाया गया है कि सिंह ब्रदर्स ने सह-आरोपियों से सांठगांठ कर ‘2016 में वित्तीय घोटाला किया।’ इसमें आरोप लगाया गया है कि दोनों भाइयों ने ‘सोच-विचार कर आपराधिक साजिश रची, जिसके जरिए बड़ा वित्तीय घपला किया गया।’

सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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