2018-19 में आर्थिक वृद्धि दर सुधरकर 7 से 7.5 प्रतिशत रहेगी : समीक्षा

Last Updated 29 Jan 2018 01:32:54 PM IST

वित्त वर्ष 2018-19 में भारत फिर से दुनिया की सबसे तेजी से बढती अर्थव्यवस्था का दर्जा हासिल कर लेगा. वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा संसद में आज पेश आर्थिक समीक्षा 2017-18 में यह अनुमान लगाया गया है.


फाइल फोटो

संसद में आज पेश आर्थिक समीक्षा में विश्व बाजार में कच्चे तेल के चढते दाम और नित नई रिकार्ड ऊंचाई पर पहुंच रहे शेयर बाजार में अचानक गिरावट के खतरे को भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये बडी चुनौती बताया गया है. हालांकि, समीक्षा में उम्मीद जताई गई है कि 2018-19 में 7 से 7.5 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि हासिल करने के साथ भारत एक बार फिर दुनिया की सबसे तेजी से बढने वाली बडी अर्थव्यवस्था बन जायेगा.
    
वर्ष 2018-19 का आम बजट पेश होने से दो दिन पहले संसद में पेश आर्थिक समीक्षा में राजकोषीय घाटे को कम करने की राह में थोडे विराम की संभावना से इनकार नहीं किया गया है. गौरतलब है कि यह 2019 के आम चुनाव से पहले का आखिरी पूर्ण बजट होगा.
   
आम बजट एक फरवरी को पेश किया जाएगा. 
   
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2017-18 की आर्थिक समीक्षा को आज संसद में पेश किया. समीक्षा को मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियम और उनकी टीम ने तैयार किया.
   
समीक्षा में चालू वित्त वर्ष की आर्थिक वृद्धि 6.75 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है. इसमें कहा गया है कि आने वाले साल में निर्यात के साथ साथ निजी क्षेत्र का निवेश गति पकडेगा. इससे पहले केन्द्रीय सांख्यकी कार्यालय सीएसओ ने चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जारी किया. इस लिहाज से आर्थिक समीक्षा में अनुमान इससे ऊंचा आया है.
   
इससे पिछले वर्ष 2016-17 में सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी वृद्धि 7.1 प्रतिशत रही थी और उससे पिछले साल यह 8 प्रतिशत और 2014-15 में 7.5 प्रतिशत रही थी.
   
चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि पर माल एवं सेवाकर जीएसटी लागू होने और उससे पहले नवंबर 2016 में की गई नोटबंदी के बाद का असर रहा.
   
आर्थिक समीक्षा संसद के पटल पर रखे जाने के बाद संवाददाता सम्मेलन में सुब्रमणियम ने कहा, ‘‘अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार आ रहा है. नोटबंदी और जीएसटी का अस्थाई प्रभाव समाप्त होता दिख रहा है.’’
 

आर्थिक समीक्षा में अर्थव्यवस्था की 10 नयी तस्वीरें

वित्त मंत्री अरूण जेटली द्वारा संसद में आज पेश आर्थिक समीक्षा में अर्थव्यवस्था की दस नयी 10 नई तस्वीरें सामने आयी हैं. इसे आंकडों के आधार पर प्रस्तुत किया गया है जो निम्नलिखित हैं 

1. माल एवं सेवा र्क जीएसटी ने भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नया परिप्रेक्ष्य दिया है और बाजार के नए आंकडे उभर कर सामने आए हैं. जीएसटी के लागू होने के बाद अप्रत्यक्ष
करदाताओं की संख्या में 50 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है. इसी तरह स्वैच्छिक पंजीकरण, विशेषकर वैसे छोटे उद्यमों द्वारा कराए गए पंजीकरण में भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की
गई है जो बडे उद्यमों से खरीदारी करते हैं, क्योंकि वे स्वयं भी ‘इनपुट टैक्स वेडिट’ से लाभ उठाना चाहते हैं. जीएसटी से विश्वनिर्माण उद्योग वाले प्रमुख राज्यों का कर संग्रह गिरने
की आशंका निराधार साबित हुई है.
  
नवम्बर, 2016 में नोटबंदी के बाद व्यक्तिगत आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या में लगभग 18 लाख की वृद्धि दर्ज की गई है.
  
2. संगठित क्षेत्र, विशेषकर गैर-कृषि औपचारिक क्षेत्र में नौकरी पेशा वालों की संख्या अनुमान की तुलना में अधिक है. कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफओ) और राज्य कर्मचारी बीमा
निगम  योजना (ईएसआईसी) में पंजीकरण की दृष्टि से यदि रोजगार की ‘औपचारिकता’ को परिभाषित किया जाए तो औपचारिक क्षेत्र में कार्यरत गैर-कृषि श्रम बल का अनुपात
लगभग 31 प्रतिशत पाया गया है.
   
वहीं जब उपरोक्त के साथ साथ ‘औपचारिक’ रोजगार को जीएसटी में पंजीकृत इकाइयों से भी परिभाषित करें तो औपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की हिस्सेदारी 53 प्रतिशत
पाई गई है. 

3. राज्यों के अंतर्राष्ट्रीय निर्यात से जुडे आंकडों को आर्थिक समीक्षा में पहली बार शामिल किया गया . इनसे निर्यात प्रदर्शन और राज्यों की आबादी के जीवन स्तर के बीच मजबूत
संबंधों के संकेत मिलते हैं. वैसे राज्य जो अंतर्राष्ट्रीय निर्यात करते हैं और अन्य राज्यों के साथ व्यापार करते हैं, वे अपेक्षाकृत अधिक समृद्ध पाए गए हैं.

4. निर्यात में सबसे बडी कंपनियों की हिस्सेदारी अपेक्षाकृत बहुत कम पाई गई है, जबकि अन्य समतुल्य देशों में यह स्थिति विपरीत देखी जाती है. निर्यात में शीर्ष एक प्रतिशत भारतीय कंपनियों की हिस्सेदारी केवल 38 प्रतिशत आंकी गई है, जबकि ठीक इसके विपरीत कई देशों में इन शीर्ष कंपनियों की हिस्सेदारी बहुत अधिक पाई गई है. ब्राजील, जर्मनी, मेक्सिको और अमेरिका में यह हिस्सेदारी वमश: 72, 68, 67 और 55 प्रतिशत है.

5.  राज्यस्तरीय शुल्कों में छूट आरओएसएली की योजपना से सिले-सिलाए परिधानो, मानव निर्मित फाइबरी का निर्यात लगभग 16 प्रतिशत बढ गया है, जबकि अन्य के मामलों में
ऐसा नहीं देखा गया है.

6.   भारतीय समाज में लडकों के जन्म के चाहत तीव्र है. एक लडके के जन्म के चक्कर में संतानों की संख्या बढ जाती है. 

7. समीक्षा में यह बात भी रेखांकित की गई है कि भारत में कर विभागों ने कई कर विवादों में चुनौती दी है, लेकिन इसमें सफलता की दर भी कम रही है. यह दर 30 प्रतिशत से कम आंकी गई है. लगभग 66 प्रतिशत लंबित मुकदमे दांव पर लगी रकम का केवल 1.8 प्रतिशत हैं. आर्थिक समीक्षा में यह भी बताया गया है कि 0.2 प्रतिशत मुकदमे दांव पर लगी रकम का 56 प्रतिशत हैं.

8. आंकडों के के आधार पर आर्थिक समीक्षा में इस ओर ध्यान दिलाया गया है  बचत में वृद्धि के बजाय निवेश में वृद्धि आर्थिक वृद्धि का मुख्य कारक है.

9. भारत में राज्यों और अन्य स्थानीय सरकारों का कर संग्रह का अनुपात अन्य संघीय व्यवस्था वाले समकक्ष राष्ट्रों की तुलना में बहुत कम  है. आर्थिक समीक्षा में भारत, ब्राजील
और जर्मनी में स्थानीय सरकारों के प्रत्यक्ष कर-कुल राजस्व अनुपातों की तुलनात्मक तस्वीर पेश की गई है.

10. आर्थिक समीक्षा में भारतीय क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन दर्शाने वाले स्थलों और इसके कारण कृषि पैदावार पर हुए व्यापक प्रतिकूल असर को भी रेखांकित किया गया है. तापमान में हुई अत्यधिक बढोतरी के साथ-साथ बारिश में हुई कमी को भी भारतीय नक्शे पर दर्शाया गया है. इसके साथ ही इस तरह के आंकडों से कृषि पैदावार में हुए परिवर्तनों को भी ग्राफ में दर्शाया गया है. इस तरह का असंरक्षिचित क्षेत्रों की तुलना में गैर-संरक्षिचित क्षेत्रों में दोगुना पाया गया है.

समीक्षा मुख्य बातें

वित्त मंत्री अरूण जेटली ने संसद में आज 2017-18 की आर्थिक समीक्षा पेश की. इसकी मुख्य बातें निम्नलिखित हैं:
 

  • देश की आर्थिक वृद्धि दर वित्त वर्ष 2018-19 में 7-7.5 प्रतिशत रहेगी, भारत तीव वृद्धि वाली बडी अर्थव्यवस्था का तमगा फिर हासिल कर लेगा.
  • वित्त वर्ष 2017-18 में आर्थिक वृद्धि दर 6.75 प्रतिशत रहेगी.
  • कच्चे तेल की कीमतों में उछाल और शेयर कीमतों में तेज गिरावट के जोखिम के प्रति सतर्कता की जरूरत.
  • अगले साल का नीतिगत एजेंडा..कृषि क्षेत्र की मदद की जाए, एयर इंडिया का निजीकरण हो, बैंकों में पूंजी डालने का काम पूरा हो.
  • जीएसटी आंकडे के अनुसार अप्रत्यक्ष करदाताओं की संख्या 50 प्रतिशत की वृद्धि.
  • राज्यों, स्थानीय निकायों का कर संग्रह संधीय व्यवस्था वाले अन्य देशों के मुकाबले काफी कम.
  • नोटबंदी से वित्तीय बचतों को प्रोत्साहन.
  • गैर-निष्पादित परिसंपत्ति एनपीएी की समस्या के समाधान के लिये ऋण शोधन संहिता का उपयोग सवियता से किया जा रहा है.
  • खुदरा मुद्रास्फीति 2017-18 में औसतन 3.3 प्रतिशत, छह वित्त वर्ष में सबसे कम.
  • देश को अपीलीय तथा न्यायिक क्षेत्रों में लंबे समय से लंबित मामलों के निपटान की जरूरत है.
  • गांव से लोगों के शहरों की ओर पलायन से कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढी .
  • चालू वित्त वर्ष में किसानों के लिये 20,339 करोड रुपये की ब्याज सहायता की मंजूरी दी गयी.
  • सेवा क्षेत्र में 2017-18 में एफडीआई 15 प्रतिशत बढा.  
  • वैश्विक व्यापार में सुधार से देश का अन्य देशों के साथ कारोबार मजबूत बने रहने की संभावना.
  • श्रम कानूनों के बेहतर तरीके से वियान्वयन के लिये प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाना चाहिए.
  • स्वच्छ भारत पहल से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता का दायरा 2014 में 39 प्रतिशत से बढकर जनवरी 2018 में 76 प्रतिशत पहुंचा.
  • समावेशी वृद्धि को बढावा देने के लिये शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे सामाजिक बुनियादी ढांचे को प्राथमिकता.
  • गंभीर वायु प्रदूषण से निपटने के लिये केंद्र, राज्यों को सहयोग बढाना चाहिए.
  • वित्त वर्ष 2017-18 समीक्षा का रंग गुलाबी जिसका मकसद महिलाओं से जुडे मुद्दों को रेखांकित करना है.
  • भारतीय माता-पिता बेटे की चाह में ज्यादा संतान पैदा करते हैं.

 

भाषा


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